मकर संक्रांति आज

-राजेन्द्र गुप्ता
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मकर संक्रांति एक ऋतु पर्व है। यह दो ऋतुओं का संधिकाल है। यह त्योहार शीत ऋतु के खत्म होने और वसंत ऋतु के शुरूआत की सूचना देता है। पिछले कुछ सालों से मकर संक्रांति का पर्व कभी 14 तो कभी 15 जनवरी को मनाया जाता है। इस साल मकर संक्रांति कल यानी 14 जनवरी को पड़ रही है।
इसलिए 14 जनवरी को सूर्योदय के साथ स्नान, दान और पूजा-पाठ के साथ यह त्योहार मनेगा। ज्योतिषियों के मुताबिक सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश हर साल 20 मिनट की देरी से होता है। इसलिए सूर्य की चाल के आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 5000 साल बाद मकर संक्रांति फरवरी महीने के अंत में मनाई जाएगी।
मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त  
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उदयातिथि के अनुसार, मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी 2025 को ही मनाई जाएगी. इस दिन सूर्य सुबह 8 बजकर 41 मिनट मकर राशि में प्रवेश करेंगे. हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति पुण्य काल का समय सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा और महापुण्य काल का समय सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.
मकर संक्रांति पर स्नान-दान का शुभ मुहूर्त
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मकर संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 9 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा जबकि समाप्त शाम 5 बजकर 46 मिनट पर होगा। मकर संक्रांति का महापुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 9 बजकर 3 मिनट से सुबह 10 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। यह दोनों ही समय स्नान और दान के लिए शुभ है। इसके अलावा स्नान-दान के लिए मकर संक्रांति का पूरा दिन अच्छा माना जाता है।
मकर संक्रांति पर्व का महत्व
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मकर संक्रांति के दिन तिल, चिड़वा, उड़द दाल, चावल, कंबल और धन का दान करना अत्यंत ही फलदायी माना जाता है। इन चीजों का दान करने से घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता बनी रहती है। मकर संक्रांति के दिन किसी पवित्र नदी या गंगा में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान सूर्य देव की पूजा जरूर करें।
उत्तरायण और दक्षिणायन
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मकर संक्रांति का नाम इसलिए क्योंकि इसी दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसके साथ ही सूर्य के गमन की गति भी उत्तरायण हो जाती है। और यह छह माह तक रहती है। छह माह उत्तरायण के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाते हैं जो सामान्य तौर पर देवताओं की एक रात्रि मानी जाती है। उत्तरायण देवताओं का दिन होने के नाते भी मंगलकारी होता है। स्वर्ग में रहने वाले देवता उत्तरायण काल में पृथ्वी पर घूमने आते हैं। और इस मौके पर मनुष्यों द्वारा की गई आहुति आदि स्वर्ग में देवताओं को जल्द ही मिल जाती है।
बुद्धि होती है शुद्ध
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 बदलाव का त्योहार मकर संक्रांति खासतौर पर हमारी उस संस्कृति की देन है। जिसमें काल की मान्यता चक्र के रूप में की गई है। संक्रांति, संस्कृति और संस्कार इन तीनों का मिलन हमें जीवन जीने की सामर्थ्य प्रदान करता है। वास्तव में यह मन बुद्धि और चेतना को शुद्ध करने का अवसर है।
राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9116089175
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