-विष्णु देव मंडल-

(बिहार मूल के स्वतंत्र पत्रकार)
चेन्नई। आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावकों को बहला फुसलाकर बच्चों की तस्करी का मामला सामने आया है। जब कोई शातिर व्यक्ति उनके बच्चों के भविष्य बनाने के नाम पर दो मीठे बोल बोल देते हैं तो माता-पिता उनकी बेईमानी और बहशीपन को समझ नही पाते और अपने जिगर के टुकड़े को बेहतर शिक्षा और धार्मिक शिक्षा के नाम पर इन लोगों को सौंप देते हैं।
उल्लेखनीय है कि 29 नंम्बर को बाल कल्याण विभाग द्वारा माधवरम डीसी कार्यालय में शिकायत दर्ज की गई थी कि माधावरम स्थित धार्मिक शिक्षा प्रशिक्षण केंद्र में 12 बच्चे कैद है जो मूलत बिहार के निवासी हैं। शिकायत पर त्वरित कार्रवाई करते हुए माधवरम पुलिस ने प्रशिक्षण केंद्र पर छापेमारी की और 12 नौनिहालों को कैद से छुड़ाया।
माधवरम में अवैध रूप से चल रहे इस शिक्षण केंद्र के खिलाफ शिकायत को आधार बनाकर कोलातूर पुलिस के डीसी राजाराम के नेतृत्व में एक टीम ने बिहार मूल के अख्तर और अब्दुल्ला को हिरासत में लिया गया, और आईपीसी अधिनियम 342, 323, 324 और बाल अधिनियम धारा 72 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
नौनिहालों को कैद से छुड़ाने के बाद एगमोर चिल्ड्रन अस्पताल में इलाज कराया गया, सभी बच्चों के शरीर में खरोंचे और चोट के निशान मिले थे। अस्पताल में इलाज के बाद उन सभी 12 बच्चों को रायपुरम स्थित बायज होम नाम के अनाथालय में रखा गया। सभी प्रताड़ित बच्चे बिहार के थे। इन बच्चों को माता-पिता की आर्थिक स्थिति माकूल नहीं होने के कारण दो व्यक्ति धार्मिक शिक्षा के नाम पर नन्हें चेन्नई लाए थे। इन बच्चों के शरीर पर खरोंचे और घाव के निशान देखने से यह प्रतीत हो रहा था कि बच्चों के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की जाती थी।
बहरहाल सभी बच्चे कैद से मुक्त होकर रविवार को ट्रेन से अपने पैतृक गांव बिहार के लिए भेज दिए गए हैं। तमिलनाडु पुलिस ने कपड़े, खिलौने, घड़ी, चाकलेट खाने पीने चीजों के साथ बच्चों को विदाई दी।