
-कोटा के कुछ संचालकों का रवैया तो इतना मनमाना है कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन की ओर से दी जा रही हिदायतों की लगातार अवहेलना कर रहे हैं। कुछ कोचिंग संस्थान तो इतने ढ़ीढ़ हो गए हैं कि वे तो हिदायतों की पालना करने का नाटक करना तक भी भी जरूरी नहीं समझते। उन्हें अपने मजबूत आर्थिक साम्राज्य की ताकत पर इतना भरोसा है कि वे प्रशासनिक हिदायतों की लगातार अनदेखी-अवहेलना करने को अपना अधिकार समझे हुए बैठे हैं।
-कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। राजस्थान में कोचिंग सिटी का दावा करने वाले कोटा में कोचिंग छात्रों के आत्महत्या करने का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा। कोटा में रहकर नीट की कोचिंग कर रही एक और कोचिंग छात्रा झारखंड के रांची निवासी रिचा सिन्हा (16) ने फांसी के फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली।
मिली जानकारी के अनुसार कोटा के विज्ञान नगर थाना क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक कॉपलेक्स के एक हॉस्टल में कल रात 9:30 बजे बाद छात्रा रिचा सिन्हा ने फांसी के फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली। हॉस्टल के जिस कमरे में यह छात्रा रहती थी,वहां उसकी एक और अन्य छात्रा भी रुम पार्टनर थी। करीब 9:30 बजे जब इस रुम पार्टनर छात्रा के पिता का फोन आया तो वह फोन पर बात करती हुई कमरे के बाहर की बालकनी में चली गई तो रिचा सिन्हा ने अचानक बालकनी का अन्दर से दरवाजा लगा दिया और फांसी के फंदे से लटक गई।
दूसरी छात्रा के शोर मचाने और हॉस्टल वार्डन को फोन पर सूचना देने के बाद हॉस्टल वार्डन व अन्य लोग कमरे में पहुंचे और दरवाजा तोड़कर भीतर प्रवेश किया तो छात्रा पंखे से फांसी के फंदे से लटकी हुई मिली। उसे तत्काल नीचे उतार कोटा में तलवंडी के एक निजी चिकित्सालय ले जाएगा जहां चिकित्सकों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। सूचना मिलने पर विज्ञान नगर पुलिस ने शव को बरामद किया और उसे पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया है। रांची निवासी रिचा सिन्हा पिछले मई माह में नीट की तैयारी के लिए कोटा आई थी और तब से ही इसी म हॉस्टल में रह रही थी।
इस महीने कोटा में कोचिंग छात्रा के आत्महत्या की यह पहली घटना है लेकिन पिछले महीने अगस्त में कोटा में सात कोचिंग छात्रों ने अपनी जान दे दी थी। जिला प्रशासन की ओर से बीते महीने भी कोचिंग,हॉस्टल,मैस प्रबंधकों की बैठक बुलाकर हर बार की तरह एक बार फिर कोचिंग छात्रों को तनावमुक्त रखने के बारे में हिदायतें दी गई लेकिन इन हिदायतों का पहले की तरह इस बार भी कोई असर हुआ हो,ऎसा नजर नहीं आ रहा है।
आज जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोटा आए हुए हैं तो ऐसे में कोटा में एक और कोचिंग छात्रा के आत्महत्या करने की घटना के बाद स्थानीय नागरिक प्रशासन पर स्वाभाविक रूप से दबाव बना है क्योंकि पिछले दिनों जब कोटा में कोचिंग छात्रों की कोटा में आत्महत्या करने की घटनाएं बढ़ी थी तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर से वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए कोटा के कोचिंग,होस्टल, मैस संचालकों की स्थानीय प्रशासन के साथ बैठक करके कोटा में कोचिंग छात्रों की आत्महत्या की बढ़ती हुई घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की थी और कई कड़ी हिदायतें भी दी थी लेकिन उसके बावजूद उन्होंने निर्देशों का पालन नहीं किया।
मुख्यमंत्री की ओर से कहा गया था कि अवकाश के दिन कोचिंग संस्थान में कोचिंग बंद रखी जाए, लेकिन इस हिदायत के बाद रविवार को अवकाश के दौरान एक ही कोचिंग संस्थान की ओर से टेस्ट आयोजित किए गए और उसके बाद टेस्ट देने वाले दो कोचिंग छात्रों ने आत्महत्या कर ली। अब तक इन कोचिंग संस्थानों के मालिकों से कानूनी तरीकें से यह नहीं पूछा गया है कि रविवार को अवकाश होने के बावजूद टेस्ट क्यों लिए गए जबकि राज्य सरकार ने अवकाश के दिन कोचिंग संस्थान में कोचिंग गतिविधियां संचालन करने पर भी प्रतिबंध लगाया हुआ है और जिला प्रशासन की ओर से जिला मजिस्ट्रेट ओ पी बुनकर यह लगातार हिदायत दे रहे हैं कि कोचिंग संस्थान संडे को फ़न डे के रूप में बनाए लेकिन उसके बावजूद रविवार को टेस्ट लेकर इन आदेशों की लगातार अवहेलना की जा रही हैं लेकिन अभी तक कानूनी प्रक्रिया के तहत किसी भी कोचिंग संस्थान संचालक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है जिसके कारण इन कोचिंग संस्थानों के मालिकों के हौसले बुलंद हैं और लगातार मनमानी करते आ रहे हैं। कुछ कोचिंग संस्थानों के मालिकों की रवैया तो इतना मनमाना है कि वे तो इन आदेशों की पालना का अभिनय तक नहीं करते।