युवा पीढ़ी को योग की जरूरत तो और भी ज्यादा है, वर्तमान युग में भौतिकतावाद के पीछे भागने वालों में बड़ी संख्या युवाओं की ही है। दुष्परिणामस्वरूप युवा तनावग्रस्त होकर कम उम्र में ही अनेकोनेक शारीरिक और मानसिक बिमारियों से ग्रस्त हो रहे है जिसका सबसे उत्तम निदान योग ही है। स्वस्थ्य रहने हेतु अनेकों विधाएं है जैसे वाकिंग, जॉगिंग, रनिंग, साइकिलिंग, स्विमिंग, एरोबिक्स आदि। इन सबमे #योग का सर्वोच्च स्थान इसलिए है क्योंकि सिर्फ योग ही ऐसी विधा है जो शरीर, मन और आत्मा को एक ही ईकाई मानता है और शरीर से ज्यादा मन पर सकारात्मक प्रभाव देता है।
-अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
-मनु वाशिष्ठ-

पहला सुख निरोगी काया, और इस काया को योग द्वारा किस तरह फिट रखें। पर पहले योग के बारे में तो जान लें। योग के बारे में अक्सर लोगों का मानना है कि स्वस्थ्य व्यक्ति को योग की कोई आवश्यकता नहीं है। लेकिन वे भूल जाते हैं, योग कोई इलाज नही कि इसे बीमार व्यक्ति ही अपनाये। योग तो खुशमयी जीवन जीने की कला है। और ईश्वर कृपा से यदि आज हम स्वस्थ है तो भविष्य में भी स्वस्थ्य बने रहने हेतु योग अपनाना आवश्यक है, क्योंकि उम्र के साथ बीमारियाँ अक्सर आती ही हैं। योग को बोरियत भरा समझने की भूल ना करें, योग तो आनन्द की ओर ले जाने वाली राह है। सही तरीके से सिखाये गए योग से कभी बोरियत नही होती है।
योग की विशेषता है कि इसे बच्चे,बूढ़े, स्त्री, पुरुष, युवा, स्वस्थ्य, बीमार हर व्यक्ति कर सकता है। योग शिक्षक का कार्य है, कि व्यक्तिगत जरूरत के अनुसार कराएं। योग करने से मोटापा भी कम होता है। अधिक वजन एवं मोटापे के कारणों को जानकर विशेष रूप से कराये गए आसनों, प्राणायाम से स्थायी तौर पर वजन कम होकर मोटापा दूर होकर शक्ति, स्फूर्ति में वृद्धि होती है। योग मनुष्य के शारीरिक फिगर को बैलेंस में लाता है, इससे मोटा व्यक्ति दुबला और दुबला व्यक्ति मोटा होता है। दुबला या स्लिम होना भर स्वस्थ्य होने की गारंटी नही है। और न ही योग सिर्फ कोई दुबले या स्लिम होने की #दवा है। योग तो स्वस्थ और खुशहाल रहने की जीवनशैली है। और स्लिम व्यक्तियों में भी अनेको बीमारियाँ हो सकती है। योग में किये जाने वाले विभिन्न आसनो का शरीर के सारे बाह्य और आंतरिक अंगों पर बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ता है उनकी मसाज होती है, रक्त संचार सुचारू होता है जो मनुष्य के अच्छे स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है। थकान होने पर या ज्यादा श्रम करने पर आई हुई #थकान तो योगासन, प्राणायाम और ध्यान से पूरी तरह #दूर हो जाती है। सारे अंगों, जोड़ों, मसल्स, लिगामेंट्स नस नाड़ियों पर आसनो से आयी हुई स्ट्रेचिंग, तनाव, दबाव से रिलैक्स होकर व्यक्ति तरोताज़ा हो जाता है। अतः थकान के दौरान योग साधना अवश्य करना चाहिए। केवल जीर्ण रोगों को छोड़कर बीमारी के दौरान योग अभ्यास करने से बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। एक कुशल योग शिक्षक बीमारी के अनुसार ही योग अभ्यास करायेगा। एडवांस स्टेज का कैंसर, क्रोनिक रोग, बाहरी रोग का आक्रमण, लिवर का पूरी तरह खराब हो जाना आदि कुछेक बीमारियों को छोड़कर #समस्त बीमारियों को स्थायी तौर पर योग के माध्यम से #ठीक किया जा सकता है। मधुमेह, रक्तचाप जैसी बीमारियों को नियमित योग एवं जीवनशैली से जड़ से समाप्त किया जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान तो योग अत्यंत सहायक होता है। कुशल योग एक्सपर्ट के मार्गदर्शन में विशेष आसनों, प्राणायाम और ध्यान में द्वारा पुरे गर्भावस्था के दौरान महिला पूरी तरह शारीरिक और मानसिक स्तर पर स्वयं तो स्वस्थ्य रह ही सकती है साथ ही आने वाली #सन्तान भी स्वस्थ होगी और नॉर्मल डिलेवरी की भी पूरी संभावना होती है। जीवन के सारे सुख स्वस्थ्य रहने पर ही भोगे जा सकते है। यदि प्रतिदिन एक घण्टे योगाभ्यास कर लिया जाये तो बचे 23 घण्टों में 36 घण्टों की ऊर्जा पायी जा सकती है। कितनी भी व्यस्तता हो, दुनिया मे कही भी हो योग अवश्य करें। एक घण्टा न तो कुछ देर ही करें। हमारी किसी भी तरह की व्यस्तता का सबसे पहला दुष्प्रभाव हमारे योग पर पड़ता है। हम सारे कार्य तो करेंगे पर योग सबसे पहले छोड़ेंगे। आप दुनिया में कही भी हो, कुछ भी कार्य हो कुछ समय योग के लिए अवश्य निकाले। आप शक्ति, स्फूर्ति और दुगुनी ऊर्जा से आप शक्ति, स्फूर्ति और दुगुनी ऊर्जा से कार्य कर पाएंगे। हिन्दू धर्म कभी नही कहता की योग का अनुसरण सिर्फ हिंदू ही करेंगे। योग तो सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्ति का #सर्वोत्तम साधन है। क्या सूर्य अपनी किरणे किसी धर्म विशेष के लोगों को ही प्रदान करता है? वायु ,जल, प्रकृति की सभी स्वास्थ लाभ की चीजें, क्रियाएं सभी के लिए हैं, किसी एक धर्म विशेष के लिए नहीं ना, फिर ?
इसी तरह योग प्रैक्टिस करने वाले को इसके पूर्ण स्वास्थ्य लाभ मिलेंगे। युवा पीढ़ी को योग की जरूरत तो और भी ज्यादा है, वर्तमान युग में भौतिकतावाद के पीछे भागने वालों में बड़ी संख्या युवाओं की ही है। दुष्परिणामस्वरूप युवा तनावग्रस्त होकर कम उम्र में ही अनेकोनेक शारीरिक और मानसिक बिमारियों से ग्रस्त हो रहे है जिसका सबसे उत्तम निदान योग ही है। स्वस्थ्य रहने हेतु अनेकों विधाएं है जैसे वाकिंग, जॉगिंग, रनिंग, साइकिलिंग, स्विमिंग, एरोबिक्स आदि। इन सबमे #योग का सर्वोच्च स्थान इसलिए है क्योंकि सिर्फ योग ही ऐसी विधा है जो शरीर, मन और आत्मा को एक ही ईकाई मानता है और शरीर से ज्यादा मन पर सकारात्मक प्रभाव देता है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार भी मनुष्य को होने वाली 90% बीमारियाँ मनोजनित हैं, और योग ही एक ऐसी विधा है जो मन के विकारों को दूर करके उसे तनावमुक्त रख स्वस्थ्य बनाता है।शरीर के कुछ विभिन्न पोज़ बना लेना या शरीर को अलग अलग तरीके से तोड़ मरोड़कर आसन कर लेना ही योग नहीं है। योग सिर्फ आसन ही नही वरन सम्पूर्ण #लाइफ स्टाइल है। आसन तो योग का एक अंग है। योग सिर्फ एक घण्टे करने की विषय वस्तु न होकर हर पल योगी बने रह सकने की कला है। अपने मन, चित्त, विचारों, श्वसन आदि को नियंत्रण में रख सदा वर्तमान में जीना सिखाता है योग।
__ मनु वाशिष्ठ, कोटा जंक्शन राजस्थान