
– विवेक कुमार मिश्र

कोई कार्य इतना कठिन नहीं होता कि उसे हम कर ही न सकें। यदि कार्य का अंबार आपके पास पड़ा है तो तय है कि कार्य को आप न तो ठीक से समझ पा रहे हैं और न ही सही ढ़ंग से कार्य कर रहे हैं। हम सब एक सुविधाजनक स्थिति में रहने के आदि होते हैं और इस हिसाब से अपने मन मस्तिष्क को तैयार कर लेते हैं की थोड़ी भी असुविधा नहीं हुई कि हम चीखने चिल्लाने लगते हैं कि यह हमसे नहीं हो सकता। अरे गर्मी पड़ रही है ऐसे में यह कार्य कैसे करेंगे। गर्मी जितनी होती नहीं उससे ज्यादा हमारे दिमाग में गर्मी हो जाती है और हम अपने आप को उस कार्य के अनुकूल नहीं पाते। यदि कोई और उस कार्य को इसी गर्मी में कर रहा है तो हम क्यों नहीं कर सकते इस तरह से हम सोचते ही नहीं। फिर हम यह बहाना बना लेते हैं कि मौसम ठीक होगा फिर छुटे हुए कार्य को पूरा करेंगे । यह भी तय है कि छुटा हुआ कार्य कभी पूरा नहीं होता । कोई ऐसा खाली समय नहीं आता कि आप छुटे और छोड़ दिये गये कार्य को पूरा कर लेंगे। यदि आज आप छुटे हुए कार्य को कर रहे हैं तो आने वाले समय पर बड़ा बोझ लादे जा रहे हैं जो कि आसानी से पूरा नहीं होने वाला है । अक्सर लोग कार्य को छोड़कर सुविधाओं की ओर भागते हैं यह भूल जाते हैं कि यह कार्य एक न एक दिन आपको ही करना है फिर जो आज कर सकते हैं उसे आज ही करें कल के लिए कुछ भी न छोड़ें पर मन तो एक अलग ही दुनिया में भागता रहता है वह सुविधाओं पर कंधा रख सो जाता है कि फिर कभी कर लेंगे। अभी कौन सी जल्दी है। छुट्टियां आयेगी तो कार्य पूरा कर लेंगे इस तरह एक न एक बहाना मिल ही जाता है और इस दुनिया में इसी तरह लोग-बाग चलते रहते हैं। इस तरह हम एक सुविधा जोन में चलें जाते हैं या यह सोच लेते हैं कि यह कार्य मेरा है ही नहीं, इसे कोई और कर लेगा। यहीं पर कबीर साहब याद आते हैं। उनकी साखियां जीवन मर्म के गहरे अनुभव से निकली हैं।
भक्त कवि कबीर ने बहुत पहले मानव स्वभाव को समझते हुए इस तरह से चेताया था कि –
‘कल करे सो आज करे। आज करे सो अब ।
पल में परलय होत है , बहुरी करोगे कब ।।
जो कुछ करना है, जो आज का कार्य है उसे तो आज ही करना होगा । कब क्या हो जाएं इसे तो कोई नहीं जानता । कल पर कुछ मत टालों कल को किसने देखा ? और हां कल तो कल के कार्य होंगे आज तो तुझे आज का कार्य करना ही होगा। यह वास्तविक दुनिया का यथार्थ है कि कुछ भी कल पर मत छोड़ो। आज तो और ज्यादा यह सोचने का विषय हो गया है क्योंकि आजकल तो इस तरह से खबरें आएं दिन आती है कि चलते चलते या गाना गाते गाते आदमी चला गया । कोई मंच से भाषण दे रहा है और वह भाषण ही उसका आखिरी भाषण हो जा रहा इस तरह की घटनाएं जब तेजी से बढ़ रही हैं तो फिर किसके लिए आप टाल रहे हैं जो करना है जो आज का कार्य है उसे आज ही पूरा करें । इसी में आपकी जग की और सबकी भलाई है ।
कुछ करने के लिए मन में दृढ़ संकल्प लेकर चलना पड़ता है । जो कुछ कर सकते हैं, जो कार्य करना है वह सामने है पर यदि कार्य रूप में उसे हम करेंगे नहीं तो इसी तरह वह एक दो दिन तो क्या वर्षों वर्षों ही धरा पड़ा रह जाता है और कार्य एक कदम भी आगे नहीं बढ़ता । यह भी सच है कि केवल सोचने से भी कार्य नहीं होता पर सोचने से उस दिशा में आगे बढ़ते रहने की बराबर से प्रेरणा मिलती रहती है । यह मन मस्तिष्क में बना रहता है कि यह कार्य हमें करना है। इसे करने कोई और नहीं आयेगा यह तो हमें ही करना है इसके लिए चिंतन मनन और संकल्प करते रहने से यह होता है कि उस कार्य के प्रति आपके मन में जगह बनी रहती है यह चिंतन के स्तर पर आपको लगातार गतिशील बनाए रखने की एक प्रक्रिया होती है और इससे ताकत मिलती है।
कार्य को करने के लिए किसी दिन या किसी समय का इंतजार नहीं करना चाहिए जो करना है उसे आज और अभी करें अन्यथा तय किया हुआ दिन तो कभी आता नहीं। इसीलिए बराबर से यह बात समझायी जाती है जो कार्य सिर पर है उसे अभी करें और रिलेक्स हो जाएं । अक्सर आदमी की यह आदत होती है कि वह काम तो ले लेता है और काम सरकता ही नहीं वह सोचता है कि आज नहीं तो कल कर लेंगे और यह कल कभी आता ही नहीं। मस्तिष्क में कार्य को रखकर यदि भौतिक रूप से आप आराम करने के आदि हैं तो कोई भी कार्य क्यों न हो वह हो ही नहीं सकता। कार्य आसान या कठिन नहीं होता उसे कठिन हम अपनी आदतों से बना लेते हैं। कठिन से कठिन कार्य यदि कोई मनुष्य कर सकता है तो हम भी कर सकते हैं जब इस भाव से आप चलते हैं तो कार्य पूरा हो जाता है और यदि हमने यह तय कर लिया कि यह कार्य हमसे हो ही नहीं पायेगा तो आसान कार्य होते हुए भी वही कार्य भारी हो जाता है और हम कभी नहीं कर पाते। हमें एक एक कार्य को उठा कर पूरा करना होता है और जैसे जैसे कार्य पूरा होता है स्वाभाविक है कि खुशी मिलती है और कार्य को करने में मन लगता है। बहुत बार यह होता है कि किसी पुस्तक को आपने बहुत मन से खरीदा कि पढ़ेंगे और एक बार उलट पलट कर यदि रख दिया कि फिर बाद में पढ़ेंगे तो वह बाद वाली बात कभी सामने नहीं आती । अभी पिछले दिनों एक किताब को देख रहा था तो उस पर सितंबर 2003 की कोई तिथि लिखी थी भूमिका पर और एकाद जगह पढ़ते पढ़ते अंडरलाईन भी किया गया था और फिर सजा कर किताब को रख दिया गया कि फिर बाद में पढ़ेंगे और वह दिन आज तक नहीं आया। दो दशक से ज्यादा समय निकल गया और नई किताब से धूल नहीं हटी …यह क्यों हुआ तो बस एक ही बात समझ में आती है कि आप किसी भी कार्य को यदि टाल देते हैं तो वह फिर कभी पूरा नहीं होता। ऐसा अनेकशः होता रहता है और आदमी की आदत में यह शुमार होता है कि कुछ भी कार्य करने से पहले उसको एक बार टालता ही टालता है और फिर वह कार्य समय की गति के साथ न जाने कहां चला जाता है। इसीलिए जो लोग भी कुछ अच्छा करना चाहते हैं जो अपने प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहते हैं उनके लिए एक ही बात बार बार कहीं जाती है कि जो कार्य हाथ में लें उसे एक एक कर पूरा करते चलें। यदि किसी अगले दिन पर आपने किसी कार्य को टाला तो वह अगला दिन उस तरह कभी नहीं आता कि आप छुटे हुए कार्य को कर सकें। हर दिन एक अलग और न ई चुनौती को लेकर आता है इसलिए हर दिन के साथ हमें अपने कार्य को पूरा करने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। यदि आप पूरे मन मस्तिष्क से संकल्पित होकर आगे बढ़ते हैं तो कार्य को पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता।