-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान में कोटा के कोचिंग छात्रों को विधिक जागरूकता समिति ने तनाव रहित सकारात्मक माहौल में उपलब्ध करवाने की पेशकश की है। उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह मंगलवार को एक ही दिन में तीन कोचिंग छात्रों के आत्महत्या कर लेने के मसले ने राष्ट्रीय स्तर पर कोटा के कोचिंग छात्रों में तनाव के मसले को लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न कर दी थी। इसके बाद जिला प्रशासन सहित कई स्वयंसेवी संगठन सक्रिय हुए थे।
कोटा में शैक्षणिक माहौल को और अधिक सकारात्मक एवं तनावरहित बनाने की दृष्टि से कई उपाय किए जा रहे हैं। इसी के तहत जिला मजिस्ट्रेट ओपी बुनकर भी कोचिंग संस्थानों को प्रत्येक रविवार को कोचिंग से पूरी तरह से मुक्ति का निर्देश दे चुका है। अन्य कई संगठन भी इस दिशा में सक्रिय हुए हैं,वहीं पुलिस ने भी कोटा शहर के ऐसी विभिन्न आवासीय-व्यवसायिक इलाकों में अपनी सावचेती और सुरक्षा बढ़ा दी है जहां बड़ी संख्या में या तो कोचिंग के लिए छात्र आते हैं अथवा निवास करते हैं।
विभिन्न मसलों पर चर्चा के लिए कोटा जिले के लिए गठित विधिक चेतना समिति की बैठक का आयोजन सोमवार को एडीआर भवन में किया गया। बैठक में कमेटी सचिव एवं सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रवीण कुमार वर्मा एवं संबंधित संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे। बैठक में वर्ष 2023 माह जनवरी से माह मार्च तक एक्शन प्लान के अनुरूप आयोजित की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों के आयोजन तथा उनकी रूपरेखा तैयार करने के संबंध में चर्चा की गयी।
बैठक के दौरान जागरूकता समिति ने कोटा जिले में कोचिंग विद्यार्थियो के लिए तनाव रहित एवं सकारात्मक शैक्षिक माहौल के लिए प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव में सभी अध्ययनरत कोचिंग विद्यार्थियो से स्थानीय संरक्षक के लिए अनुमति प्रदान करने, संरक्षक का विवरण कोचिंग संस्थान एवं निवास स्थान मय माबाईल नम्बर उपलब्ध करवाये जाने, स्थानीय संरक्षक को छात्र के संबंध में संस्थान, निवास एवं कार्य गतिविधियों की जानकारी, कोचिंग विद्यार्थी की सुरक्षा एवं विकास के लिए स्थानीय सरंक्षकों की सूची संधारित करने, स्थानीय निवास, हॉस्टल में दैनिक कार्याें तथा उपलब्ध सुविधाओं का विवरण हॉस्टल के पूछताछ कक्ष में उपलब्ध करवाने, समस्त आवश्यक मोबाईल नम्बर उपलब्ध करवाने के साथ ही संस्थान, हॉस्टल, स्थानीय संरक्षक, जिला प्रशासन के सहयोग से विद्यार्थियों के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करने सहित विभिन्न बिन्दु रखे गए।
इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रतिनिधि एलपी महावर, अधिवक्तागण भुवनेश कुमार शर्मा, देवेन्द्र मीणा, सीताराम मुराडिया,सामाजिक कार्यकर्ता यज्ञदत्त हाड़ा तथा ममता पारेता उपस्थित रहे।
कोचिंग छात्रों को क्लास रूम स्टडी में टापर्स के साथ प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए कठिन प्रतियोगिता का सामना करना पड़ता है. साप्ताहिक/ मासिक टेस्ट में अंकों की दौड़ में पिछड़ने पर छात्रों का क्लास ए से बी, बी से सी में बदल दिया जाता है. ऐसे में छात्रों में हीन भावना पैदा होती है तथा फैकल्टी और सहयोगी छात्र बदल जाने से छात्रों के अध्ययन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. ए की अपेक्षा सी एवं डी की फैकल्टी भी कम क्वालीफाईड होती है इससे भी छात्रों की प्रतिभा पर असर पड़ता है. कोचिंग संस्थान अच्छे परिणाम दिखाने के कारण प्रतिमान छात्रों पर अधिक ध्यान देते हैं ,सामान्य छात्रों के आई आईटी/ मेडिकल में चयन को संदिग्ध समझकर,केवल खानापूर्ति करते रहते हैं. इसका प्रमाण परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद समाचार पत्रों में छपने वाले कोचिंग संस्थानों के विज्ञापन से देखा,समझा जा सकता है. प्रशासन को छात्रों के अध्ययन के रूप काज पर ध्यान देना आवश्यक है