‘भारतीय काल गणना पूर्ण वैज्ञानिक है ‘

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कोटा। राजकीय कला महाविद्यालय कोटा की ए.बी.आर.एस.एम.(उच्च शिक्षा राजस्थान) की स्थानीय इकाई द्वारा नव संवत्सर 2082 के उपलक्ष में स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. रोशन भारती ने की और मुख्य वक्ता के रूप में इतिहास संकलन समिति प्रांत अधिकारी डॉ. बाबू लाल भाट ने पाथेय प्रदान किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. विजय कुमार पंचोली(सहायक निदेशक, कोटा परिक्षेत्र),विशिष्ट अतिथि प्रो. नवीन मित्तल रहे और विषय प्रवर्तन सेवानिवृत्त प्रो.गीताराम शर्मा ने किया।कार्यक्रम का सफल संचालन प्रो. आदित्य कुमार गुप्त(इकाई सचिव,राजकीय कला महाविद्यालय कोटा) ने किया।

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कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी अतिथियों द्वारा सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। विषय प्रवर्तन करते हुए प्रो. गीताराम शर्मा ने कहा कि भारतीय संवत्सर पूर्णतः वैज्ञानिक है क्योंकि इसमें सूक्ष्म से सूक्ष्म काल गणना का ध्यान रखा गया है। जब भारतीय संवत्सर आता है तब प्रकृति भी नव रूप धारण करती है। प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि प्रश्न उस तिथि का नहीं है उस विमर्श का है। भारतीय ज्ञान परंपरा सतत् रूप से चली आ रही है। पीढ़ियों से कोई बात निकालनी आसान नहीं होती हैं। कोई भी प्रणाली क्यों न हो वह सूर्य की सत्ता को नकार नहीं सकता । ऋग्वेद में कहा गया है कि सूर्य ही आत्मा हैं। सूरज इस व्योम मंडल का नायक है। भारतीय ज्ञान परंपरा स्वत्त्व बोध की और स्वाभिमान की परंपरा है। भारतीय ज्ञान परंपरा चारों प्रमाणों से प्रमाणित हैं। हमारी परंपरा एक दिन की नहीं लाखों वर्षों की परंपरा है।
अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर रोशन भारती ने कहा कि – जीवन एक निश्चित लय ताल में निबद्ध है। संवत्सर में भी सम पर आने का भाव है।
मुख्य वक्ता डॉ. बाबूलाल भाट ने कहा कि भारत की संस्कृति अति प्राचीन और श्रेष्ठ मूल्यों को धारण करने वाली संस्कृति है । यहां की जीवन प्रणाली को अंग्रेजों ने इस तरह से आक्रांत कर लिया था कि हम आज भी दासता के चिह्न नहीं छोड़ पा रहे हैं। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से सृष्टि का आविर्भाव हुआ। हमारी काल गणना वैज्ञानिक हैं। नव वर्ष पूरी प्रकृति मना रही होती है। संस्कृति की परंपरा उज्जवल और उन्नत हो इसके लिए हम सभी को हर संभव कोशिश करते हैं।
सहायक निदेशक डॉ वी के पंचोली ने कहा कि – हमें अपना सारा कार्य चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के हिसाब से करना चाहिए ।
कार्यक्रम के दौरान प्रो.मंजू गुप्ता, डॉ. रामावतार मेघवाल, डॉ. महावीर साहू, प्रो. एल सी अग्रवाल, प्रो. जी .आर खान, प्रोफेसर विवेक मिश्र, मनोरंजन सिंह, अमिताभ बासु, ,एच एन कोली, अंजली शर्मा, समय सिंह मीना, चंचल गर्ग, कल्पना श्रृंगी , महावीर साहू , रसीला, निधि शर्मा, के.जी.महावर, अनिल पारीक, बसंत बामनिया, अकिला आजाद, संतोष मीना संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

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