
राजस्थान ललित कला अकादमी के सौजन्य से आयोजित “24वां कला मेला-2025”, जवाहर कला केंद्र की सार्थक सहभागिता से एक अद्वितीय कला उत्सव के रूप में प्रतिष्ठित हुआ है। बुधवार, 19 मार्च 2025 से 23 मार्च 2025 तक इस पंचदिवसीय आयोजन में कला प्रेमियों की अभूतपूर्व उपस्थिति देखी गई। जवाहर कला केंद्र का शिल्पग्राम विभिन्न कलाकृतियों से सरोबार है, जहां 118 कला स्टॉल्स पर 500 से अधिक कलाकारों की उत्कृष्ट कृतियाँ प्रदर्शित की गई हैं। इस कला मेले का उद्घाटन कला,संस्कृति एवम पुरातत्व विभाग,राजस्थान के शासन सचिव, श्री रवि जैन जी (मुख्य अतिथि) व संभागीय आयुक्त, जयपुर श्रीमती पूनम ( विशिष्ट अतिथि) ने संयुक्त रूप से कला मेले का झंडारोहण व गुब्बारें उड़ा कर किया।
इस मेले में राजकीय कला महाविद्यालय, कोटा के कलाकार व कला समीक्षक डॉ. रमेश चंद मीणा एवं डॉ. बसंत लाल बामनिया ने अपनी अद्वितीय कलाकृतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। डॉ. रमेश चंद मीणा की छः रचनाएँ— “सत्यम,” “शिवम,” “सुंदरम,” “दिव्य युगल,” “धूल के फूल” और “प्रेम”— भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों एवं आध्यात्मिकता की गहरी छाप प्रस्तुत करती हैं। वहीं, डॉ. बसंत लाल बामनिया ने प्रेम को केंद्र में रखकर अपने आठ भावपूर्ण चित्रों के माध्यम से हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति दी है।
इस कला मेले में देशभर से कई प्रतिष्ठित संस्थाओं और कला समूहों ने भाग लिया, जिनमें राजकीय कला महाविद्यालय, कोटा, दृश्य कला विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर, अतिशय कलित संस्थान, जयपुर, स्काईहॉक आर्ट्स, जयपुर, राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट, जयपुर, वनस्थली विद्यापीठ, टोंक, कलानेरी एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स, जयपुर, कलाचर्चा ट्रस्ट, जयपुर, द एटेलियर्स आर्ट ग्रुप, जयपुर, रेनबो पैलेट फाइन आर्ट अकादमी, जयपुर, बूँदी ब्रश संस्थान, बूँदी, रंगिस्तान कला स्टूडियो, जयपुर, आकृति कला संस्थान, भीलवाड़ा, सृष्टी आर्ट ग्रुप सोसायटी, जयपुर, जयपुर स्कूल ऑफ़ डिज़ाइन (जेईसीआरसी), जयपुर, महारानी कॉलेज, जयपुर, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर, संस्कृति कॉलेज, जयपुर, वेदांत पीजी गर्ल्स कॉलेज, रींगस, सीकर, स्टेन मेमोरियल पी.जी. कॉलेज, जयपुर, प्रभु वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई, श्री महावीर कॉलेज, जयपुर, विनीता आर्ट्स, जयपुर जैसी संस्थाएँ सम्मिलित थीं।
इसके अतिरिक्त, इस कला मेले में कई प्रतिष्ठित स्वतंत्र कलाकारों ने भी भाग लिया, जिनमें
मोहम्मद सरफराज़ (जयपुर), पवन कुमार टांक (जयपुर), प्रबुद्ध घोष (जयपुर), ज़ाकिर क़ुरैशी (जयपुर), विनय त्रिवेदी (जयपुर), रेखा अग्रवाल (जयपुर), डॉ. रमेश चंद मीणा (कोटा), डॉ. बसंत लाल बामनिया (कोटा), पूजा प्रजापत (जयपुर), पारुल परमार (जयपुर), शीतल जांगिड़ (जयपुर), मंजू कुमावत (धौलपुर), हर्ष गुप्ता (जोधपुर), डॉ. रीता पैंज (जयपुर), सोनल जैन (जयपुर), प्रीति जैन (जयपुर), पिंकी (जयपुर), नेहल माथुर (जयपुर), बिंदु कुमारी (जयपुर), कोमल जांगिड़ (जयपुर), संत कुमार (गंगानगर), प्रहलाद शर्मा (जयपुर), डॉ. भावना श्रीमाली (जोधपुर), हरी सिंह भाटी (जोधपुर), उमा चौहान (जोधपुर), मुक्ता गुप्ता (जोधपुर), मोनिका देवी (जयपुर), चारू कपूर (जयपुर), सुरजीत सिंह (जयपुर), हरि शंकर बालोतिया (जयपुर), निज़ामुद्दीन नियाजी (जयपुर), शीला पुरोहित (जयपुर), पूजा भारद्वाज (जयपुर), भवानी सिंह (जयपुर), किरण राजे (जयपुर), मदन लाल राजोरिया (झुंझुनू), छीतरमल जोशी (राजसमंद), राजू प्रजापति (जयपुर), रितिक पटेल (जयपुर), स्वप्निल टांक (जयपुर), उपासना (जयपुर), श्वेता नैन (जयपुर), राहुल उषाहरा (दौसा), कमल कुमार मीना (अलवर), सुनीता मीना (जयपुर), मिंटू भारद्वाज (जयपुर), रवि प्रसाद कोली (जयपुर), सोना मीना (जयपुर), पवन कुमार कुमावत (किशनगढ़), तिलोत्तम कुमार (अजमेर), कृष्ण कुमार कुंडारा (जयपुर), महेश कुमार कुमावत (किशनगढ़), दुर्गेश कुमार अटल (जयपुर), नरेंद्र कुमावत (कुचामन सिटी), शशांक शुक्ला (कानपुर), अपूर्वा वालिया (सीकर), रवि कुमावत (जयपुर), डॉ. अमिता राज गोयल (जयपुर), राजेंद्र प्रसाद मीना (जयपुर), राजेश (सीकर), पायल पांडे (जयपुर), छवि शर्मा (जयपुर), श्याम जयपुर शर्मा (जयपुर), डॉ. शकुंतला महावर (जयपुर), उर्मिला यादव (जयपुर), निखिल कुमार सिंह (जयपुर), मानसी शर्मा (जयपुर), रसीद पठान (सीकर), किशनलाल खटीक (जयपुर), नीरजा शेखावत (जयपुर) आदि कलाकारों की उत्कृष्ट कृतियाँ शामिल थीं।
यह कला मेला न केवल चित्रकला, मूर्तिकला, और अमूर्त कला की विविधता को प्रस्तुत करता है, बल्कि कलाकारों और दर्शकों के बीच संवाद का एक सशक्त माध्यम भी बन रहा है। कला के पारखी दर्शक कभी अमूर्तन की गहराइयों में खो जाते हैं तो कभी मूर्त कला की सूक्ष्मताओं को परखते हैं। कहीं रंगों और आकृतियों का अद्भुत संयोजन, तो कहीं भावनाओं की कोमल अभिव्यक्ति— कला रसिकों को अपने सौंदर्यपक्ष से विमुग्ध कर रही है। कला मर्मज्ञों और समीक्षकों के अनुसार, यह मेला राजस्थान के कला परिदृश्य को एक नई दिशा प्रदान करेगा। डॉ. रमेश चंद मीणा के शब्दों में— “यह मंच कलाकारों को अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित करने का अवसर देने के साथ-साथ कला के नवीनतम रुझानों और पारंपरिक मूल्यों का संगम भी प्रस्तुत करता है।” इस आयोजन को सफल बनाने में राजस्थान ललित कला अकादमी के सचिव डॉ. रजनीश हर्ष, आयोजन समिति संयोजक डॉ. नाथू लाल वर्मा, समिति सदस्य डॉ. जगदीश प्रसाद मीणा एवं डॉ. राजेंद्र प्रसाद सुथार सहित कई कला प्रेमियों एवं विशेषज्ञों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। यह मेला युवा कलाकारों के लिए एक प्रेरणादायक मंच सिद्ध हो रहा है, जो उनकी कला को नई पहचान दिलाने के साथ-साथ कला और संस्कृति के प्रति जागरूकता एवं प्रेम को भी प्रोत्साहित कर रहा है। निःसंदेह, यह आयोजन भारतीय कला जगत में एक ऐतिहासिक मोड़ की भूमिका अदा करेगा और कला साधकों को नवीन दृष्टि एवं सृजनात्मक ऊर्जा प्रदान करेगा।