
-देवेंद्र यादव-

आम आदमी पार्टी् ने दिल्ली चुनाव के बीच केन्द्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एक पोस्टर जारी किया है। सवाल यह है कि क्या देश में ईमानदार पार्टी आम आदमी पार्टी और उसके नेता अरविंद केजरीवाल ही हैं।
इसे समझने के लिए सबसे पहले आम आदमी पार्टी की उत्पत्ति और किन-किन लोगों ने इसका गठन किया तथा कैसे आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की मजबूत कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार को सत्ता से बाहर कर अपनी सरकार बनाई और उसके मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बने। देखना यह रोचक होगा कि जिन लोगों ने आम आदमी पार्टी का गठन किया और पार्टी को दिल्ली की सत्ता तक पहुंचाया उनमें से कितने लोग आम आदमी पार्टी में रह गए हैं। जो दिग्गज आम आदमी पार्टी से अलग हुए या उन्हें अलग किया गया और अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के एक छत्र नेता बन गए यह भी देखना होगा।
फिलहाल पार्टी में अरविंद केजरीवाल को चुनौती देने वाला कोई नहीं है। यदि नहीं है तो क्यों नहीं है, इसे समझना होगा और इसी से पता चलेगा कि क्या अरविंद केजरीवाल अपने जाल में खुद फंस गए।
आम आदमी पार्टी दिल्ली में इसलिए लोकप्रिय हुई क्योंकि उसकी सरकार की योजना बेहतर शिक्षा बेहतर स्कूल और मोहल्ला क्लीनिक है। और इन योजनाओं को देने वाले मंत्री थे मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन।
इन दोनों मंत्रियों की योजनाओं ने आम आदमी पार्टी का दिल्ली में राजनीतिक ग्राफ बढ़ाया और इन दोनों का भी दिल्ली की राजनीतिक में ग्राफ बढा। मनीष सिसोदिया दिल्ली में इतने लोकप्रिय नेता हो गए थे कि भविष्य में आम आदमी पार्टी के भीतर अरविंद केजरीवाल को चुनौती दे सकते थे। मनीष सिसोदिया तो दिल्ली के उपमुख्यमंत्री भी थे। लोकप्रियता में सत्येंद्र जैन भी कम नहीं थे। मगर अचानक भ्रष्टाचार के आरोप में सबसे पहले यह दोनों नेता ही जेल गए।
इन दोनों के बाद आम आदमी पार्टी के भीतर राज्यसभा सांसद संजय सिंह तेजी से उभरे। तेज तर्रार नेता संजय सिंह संसद से लेकर सड़क पर जनता की आवाज को बुलंद करते हुए दिखाई देने लगे। इनका राजनीतिक ग्राफ भी देश की राजनीति में तेजी से बढ़ने लगा मगर इन्हें भी जेल जाना पड़ा। और अंत में स्वयं अरविंद केजरीवाल भी जेल गए और जेल से ही अपनी राज्य सरकार को चलाने का प्रयास किया। मगर यह संभव नहीं हो पाया। तब अचानक अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल सामने आई और लगने लगा कि अरविंद केजरीवाल की जगह उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। मगर केजरीवाल यह नहीं कर पाए और मुख्यमंत्री बनाया आतिशी को। संजय सिंह का राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त हो रहा था इसलिए उन्हें दोबारा राज्यसभा में पहुंचाया। संजय सिंह को आतिशी की जगह मुख्यमंत्री भी बनाया जा सकता था। संजय सिंह जिस प्रकार से केंद्र की भाजपा सरकार को सड़क से लेकर संसद तक घेर रहे थे उससे उनकी राजनीतिक लोकप्रियता जनता की नजर में तेजी से बढ़ रही थी। संजय सिंह नहीं तो गोपाल राय को भी मुख्यमंत्री बनाया जा सकता था जिनकी बदौलत आम आदमी पार्टी को पूर्वांचल के मतदाताओं ने अपना समर्थन देकर दिल्ली में बड़ी संख्या में विधानसभा सीट जितवाई थी। मगर अरविंद केजरीवाल ने आतिशी पर ही भरोसा किया। क्या केजरीवाल को अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंता थी इसलिए उन्होंने संजय सिंह या गोपाल राय की बजाय आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया। अब कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों अरविंद केजरीवाल और उसके नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। जो नेता दिल्ली में आम आदमी पार्टी की ताकत थे सिसोदिया, संजय सिंह, सत्येंद्र जैन कहीं ना कहीं कमजोर नजर आ रहे हैं। संजय सिंह तो आज भी सक्रिय और दमदार हैं मगर सिसोदिया और जैन कहां हैं। इन नेताओं की बदौलत आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में दमदार जीत हासिल की थी, जो भविष्य में अरविंद केजरीवाल को पार्टी में चुनौती दे सकते थे। मगर यह तीनों नेता भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाने के बाद से कमजोर नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को अपनी सरकार को बरकरार रखने के लिए पसीने आ रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)