
-देवेंद्र यादव-

क्या दिल्ली विधानसभा का चुनाव भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच में फंस गया है। राज्य में तीनों दलों ने समय-समय पर शासन किया है। कांग्रेस और भाजपा दिल्ली राज्य की सत्ता में वापसी करने के लिए लालायित हैं तो वहीं आम आदमी पार्टी अपनी सत्ता को बरकरार रखना चाहती है। इसके लिए तीनों ही पार्टियों ने मुफ्त की रेवड़ी बांटने का खूब ऐलान किया। तीनों ही प्रमुख पार्टियों के ऐलान को सुनकर आम मतदाता, वादों और घोषणाओं के भ्रम में फंसता नजर नहीं आ रहा है बल्कि वह खामोश होकर 5 फरवरी का इंतजार करने लगा है। देश को इंतजार 8 फरवरी का है जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे बताएंगे कि दिल्ली की जनता का 2025 के विधानसभा चुनाव में मूड क्या था।
क्योंकि दिल्ली में बुद्धिजीवि मतदाताओं की संख्या खासी है, इसलिए दिल्ली के मतदाताओं का मूड क्या है इसका अनुमान ठीक से ना तो राजनीतिक पंडित लगा सकते हैं और ना ही राजनीतिक विश्लेषक लगा सकते हैं।
यदि मुफ्त की रेवड़ी की बात करें तो आम आदमी पार्टी पहले से ही दिल्ली में मुफ्त रेवड़ी बांट रही है और इस मुफ्त रेवड़ी की मिठास का आनंद दिल्ली की आम जनता ने भरपूर लिया या नहीं लेकिन आम आदमी पार्टी ने मुफ्त की रेवड़ी का भरपूर आनंद लिया। अरविंद केजरीवाल ने तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन दिल्ली के विकास की बात करें तो दिल्ली के लोग आज भी कांग्रेस सरकार और उसकी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को याद कर रही है।
यदि दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार मतदाताओं के मूड की बात करें तो दिल्ली का मतदाता मुफ्त की रेवड़ी को चुनेगा या फिर विकास पर वोट देगा। यदि मुफ्त की रेवाड़ी की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मैं लगभग एक समान घोषणा की है और गारंटी भी है और यदि विकास की बात करें तो लोग शीला दीक्षित के शासन में हुआ विकास कार्य को याद कर रही है इसलिए दिल्ली में 8 फरवरी को देश को उलट फेर भी नजर आ सकता है। दिल्ली का मतदाता कांग्रेस को चौंका सकता है और कांग्रेस आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी को चौका सकती है। दलित, मुस्लिम, पूर्वांचल के मतदाता खासकर बुद्धिजीवी वर्ग राहुल गांधी की बातों पर भरोसा कर खामोश रहकर प्रभावित होता हुआ नजर आ रहा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)