
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी एक अक्टूबर को हरियाणा में चुनावी जनसभा में, मजाक ही मजाक में, बड़ी गहरी बात बोल गए। राजनीतिक गलियारों में अक्सर चर्चा होती थी कि राहुल गांधी क्यों नहीं समझ रहे कि कई नेताओं के कारण कांग्रेस कमजोर हो रही है, और भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला नहीं कर पा रही है।
राहुल गांधी ने हरियाणा की चुनावी सभा में कहा कि कांग्रेस के भीतर भी चोरी छिपे आरएसएस के लोग आ जाते हैं जिन्हें मैं पहचान जाता हूं।
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि जो लोग कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं वह अंदर से भारतीय जनता पार्टी में जाकर खुश नहीं है जितने खुश वह कांग्रेस में थे उतने खुश वहां नहीं दिखाई देते।
मगर बड़ा सवाल यह है कि जब राहुल गांधी ने आरएसएस के लोगों को पहचान ही लिया है तो क्या हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी कांग्रेस में सर्जिकल स्ट्राइक करेंगे, और उन नेताओं को कांग्रेस से बाहर करेंगे जिन नेताओं के कारण कांग्रेस कमजोर हो रही है और कांग्रेस को उन नेताओं के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
राजनीतिक गलियारों में ही नहीं बल्कि राहुल गांधी के बब्बर शेर भी अक्सर चर्चा करते थे कि कांग्रेस के कई बड़े नेता भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं के संपर्क में रहकर कांग्रेस को बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं। राहुल गांधी को 2014 से 2019 तक का समय देखना होगा जब वह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तब वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी सरकार पर सीधे हमले कर रहे थे। तब राहुल गांधी के साथ कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता खड़ा नजर नहीं आ रहा था। जब राज्यों में विधानसभा चुनाव में एक के बाद एक कांग्रेस हार रही थी तब कांग्रेस की हार का ठीकरा राहुल गांधी के माथे पर फोड़ा जा रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी सरकार की नीतियों का अकेले राहुल गांधी विरोध कर रहे थे जबकि कांग्रेस राज्यों के बड़े नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी और संगठन में बड़ा पद लेने के लिए विवाद खड़ा कर रहे थे। यहां तक कि अनेक नेता पार्टी छोड़कर भी चले गए। कुर्सी की लड़ाई के लिए विवाद खड़ा करने से कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा। हरियाणा के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी चुनावी सभा में कांग्रेस के नेताओं की कुर्सी की लड़ाई का सहारा लिया और कहा कि क्या आप हरियाणा में ऐसी सरकार बनाना चाहते हैं जिनके नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए आपस में झगड़ रहे हैं।
अब राहुल गांधी का यह कहना कि जंगल में एक शेर रहता है मगर मैंने अनेक शेर एक साथ खड़े कर दिए। यह बब्बर शेर आपस में झगड़ते हैं लेकिन में इन्हें एक कर देता हूं। सवाल उठता है कि क्या यह बब्बर शेर हरियाणा में सरकार बनने के बाद राहुल गांधी की रिंग में ईमानदारी और वफादारी के साथ खड़े रहेंगे। क्या यह मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए आपस में विवाद खड़ा नहीं करेंगे। राहुल गांधी को इसके लिए कठोर निर्णय लेना होगा क्योंकि जनता और कांग्रेस के बब्बर शेर ईमानदारी और वफादारी के साथ राहुल गांधी के साथ खड़ी है। जब राहुल गांधी को जनता और कांग्रेस के बब्बर शेर कार्यकर्ताओं की ताकत और भरोसा मिल रहा है तो उन्हें भी विवाद खड़ा करने वाले नेताओं को अपनी ताकत का एहसास कराना होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)