कोटा संभाग में सोयाबीन का उत्पादन बढ़ाने की विपुल संभावनाएं

प्रधान वैज्ञानिक ने अपने 40 वर्षों के अनुभवों को सरल व सुलभ उदाहरणों के माध्यम से देश व प्रदेश में फार्म मशीनरी ट्रेक्टर, बीबीएफ मशीन, रोटावेटर, सबसोयलर की उपयोगिता एवं प्रयोग में आने वाली समस्याओं व समाधान पर तकनीकी जानकारियों से अवगत कराया

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान के हाडोती संभाग में खरीफ के कृषि सत्र की मुख्य कृषि उपज माने जाने वाली सोयाबीन का उत्पादन को बढ़ाये जाने की अभी भी विपुल संभावना है। इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों ने चौड़ी क्यारी कुंड पद्धति को अपनाने की किसानों को सलाह दी है।
कोटा के कृषि विश्वविद्यालय की ओर से आज सोयाबीन में चौडी क्यारी कुंड विधि एवं बीबीएफ मशीन के प्रयोग पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ के अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक (अनुसंधान) डॉ. प्रताप सिंह ने कोटा संभाग में सोयाबीन परिदृश्य और इसके उत्पादन में आ रही समस्याओं व बीबीएफ मशीन के प्रयोग में आने वाली प्रायोगिक समस्याओं पर अपना विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। प्रधान वैज्ञानिक ने अपने 40 वर्षों के अनुभवों को सरल व सुलभ उदाहरणों के माध्यम से देश व प्रदेश में फार्म मशीनरी ट्रेक्टर, बीबीएफ मशीन, रोटावेटर, सबसोयलर की उपयोगिता एवं प्रयोग में आने वाली समस्याओं व समाधान पर तकनीकी जानकारियों से अवगत कराया।
कुलपति ने वर्तमान समय में सोयाबीन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषकों के खेत के समतलीकरण, सबसोयलर व चौडी क्यारी कुंड विधि को अपनाने पर विशेष जोर दिया।इसके साथ ही विभाग के अधिकारियों व वैज्ञानिकों को वर्तमान में सोयाबीन फसलोत्पादन में आने वाली समस्याओं पर अनुसंधान परक उपायों को विकसित करने के निर्देश दिये।

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