
-कृष्ण बलदेव हाडा-
(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार)
कोटा। राजस्थान के कोटा संभाग में खरीफ कृषि सत्र की मुख्य उपजों सोयाबीन सहित अन्य को बीते सप्ताह बेमौसम हुई बरसात के कारण व्यापक क्षति के बाद अब राज्य सरकार की पीड़ित किसानों को राहत पहुंचाने की तैयारी है और इसके लिए किसानों की उपज को समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा। लेकिन किसानों का कहना है कि यदि केंद्र या राज्य सरकार ने समर्थन मूल्य की मौजूदा दरों को बढ़ाकर खरीद नहीं की तो किसानों को सरकार के ऐसे किसी भी जतन का लाभ मिलने वाला नहीं है।

सोयाबीन, उड़द, मूंग, मूंगफली की खरीद का फैसला
सहकारिता विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्य ने आज प्रदेश के किसानों से राजफ़ैड़ के जरिए खरीफ की फसलें सोयाबीन, उड़द, मूंग, मूंगफली की खरीद का फैसला किया है लेकिन अभी नई खरीद दरों के बारे में कोई निर्णय नहीं हुआ है। सूत्रों ने बताया कि खरीफ की इन चारों प्रमुख फसलों की सरकारी समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए का काम 27 अक्टूबर से शुऑनलाइन पंजीकरणरू कर दिया जाएगा और इसके बाद अगले महीने एक नवम्बर से सोयाबीन, उड़द, मूंग की जबकि 18 नवम्बर से मूंगफली की खरीद की जाएगी।
879 खरीद केंद्र स्थापित करेंगे
सूत्रों ने बताया कि समर्थन मूल्य पर उपजों की खरीद के लिए पूरे राज्य में 879 खरीद केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं जिसमें से क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के 419 एवं ग्राम सेवा सहकारी समितियों के 460 केंद्र होंगे। इसमें सोयाबीन के 83, मूंग के 363, उड़द के 166 और मूंगफली के 267 केंद्र शामिल हैं। राज्य सरकार ने सोयाबीन और मूंगफली सहित दलहनी फसलों मूंग और उड़द की सरकारी समर्थन पर खरीद की घोषणा तो कर दी है, लेकिन अभी समर्थन मूल्य तय नहीं किए गए हैं। इस बारे में किसानों का कहना है कि यदि सरकार ने पिछले साल के घोषित समर्थन मूल्य की तुलना में बढ़ी हुई खरीद दर तय नहीं की तो किसानों को लाभकारी मूल्य मिलने की कतई उम्मीद नहीं है क्योंकि पिछले साल भी राज्य सरकार ने जो समर्थन मूल्य घोषित किया था, उससे किसानों को कोई खास लाभ पहुंचा नहीं था।
पिछले साल समर्थन मूल्य नाकाफी था
पिछले साल खरीफ़ कृषि सत्र के समय राज्य सरकार ने 869 खरीद केंद्रों पर सोयाबीन का 3950, उड़द का 6300, मूंग का 7252 और खरीफ का 5500 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य घोषित किया था जो किसानों के हिसाब से नाकाफी था। हालांकि यह भी सही है कि कोटा संभाग की विभिन्न मंडियों में अभी भी सोयाबीन, मूंग उड़द की आवक हो रही है और किसानों को वर्तमान में पिछले साल के समर्थन मूल्य की तुलना में आज भी उनकी उपज का भाव नहीं मिल पा रहा है। उदाहरण के लिए शुक्रवार को कोटा की भामाशाह कृषि उपज मंडी में सोयाबीन 3500 से 5150 जबकि हरी मूंग 5000 से 6400 प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकी जबकि दोनों ही फसलों का पिछले साल का समर्थन मूल्य इससे कहीं अधिक था। इस हिसाब से आज के बाजार भाव में किसानों के लिए अपनी उपज को बाजार में बेचना घाटे का सौदा ही साबित हो रहा है और आने वाले दिनों में जब खरीफ़ कृषि सत्र की यह सभी फ़सलें तैयार होकर बम्पर पैमाने पर मंडी में पहुंचेगी तो भाव और गिरना तय है और ऐसी स्थिति में लाभकारी नहीं होने के बावजूद किसानों के लिए खुले बाजार में अपनी उपज बेचने के बजाय सरकारी कांटे पर समर्थन मूल्य के हिसाब से तुलवाना अधिक लाभकारी साबित होगा। हालांकि खरीद केंद्रों पर बेचने में किसानों को कई दिक्कतें उठानी पड़ती है।
समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए
इस बारे में हाडोती किसान यूनियन के महामंत्री दशरथ कुमार की स्पष्ट राय है कि यदि राज्य सरकार की किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए नीयत साफ है तो उसके लिए समर्थन मूल्य बढ़ाया जाना चाहिए। दशरथ कुमार का सुझाव है कि सरकार को सोयाबीन की खरीद दर कम से कम 7000 रुपए प्रति क्विंटल तय करनी चाहिए जबकि मूंग 9000, उड़द का 7000 और मूंगफली 6000 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदना चाहिये,तब कहीं जाकर किसान। आंशिक राहत महसूस कर सकेंगे।