कवि की आंखों में पूरा संसार ही होता है

कोटा. विश्व कविता दिवस के अवसर पर राजकीय कला महाविद्यालय कोटा में विश्व कविता दिवस मनाया गया । इस अवसर पर हिंदी के विभागाध्यक्ष प्रो.विवेक शंकर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि विश्व कविता दिवस कविता की व्यापक जगह को रेखांकित करता है । कवि अपने समय समाज का सूक्ष्म वर्णन करता है । कवि की आंखों में पूरा संसार ही समाया होता है । इस अवसर पर इतिहास की प्रोफेसर निधि शर्मा ने कहा कि कविता में इतिहास का लोकवृत छिपा होता है। इतिहास को समझने के लिए हमें उस कालखंड के साहित्य का भी बारीक अध्ययन करना होता है जिससे बहुत सारे तथ्य नये सिरे से चमकने लगते हैं ।

हिंदी विभाग के प्रो. विवेक कुमार मिश्र, सह आचार्य डॉ. रामावतार सागर और डॉ. रमेश चंद मीणा ने अपनी-अपनी कविताओं का पाठ किया । प्रो. विवेक कुमार मिश्र ने कहा कि कविता संसार के साथ मनुष्य के रागात्मक संबंध की सघन अनुभूति है । कविता की खिड़कियां मूलतः मनुष्य की सामाजिकता, लोकतांत्रिकता और ऐतिहासिकता को अपने साथ इस तरह से लेकर चलती हैं कि मनुष्य इस भूमि से अपने यथार्थ का जहां साक्षात्कार करता है वहीं यहां से उसे भविष्य की दिशाएं भी मिलती हैं । अपनी कविता हस्ताक्षर , हिसाब किताब तथा अन्य कविताओं का पाठ किया । डॉ.रामावतार सागर ने कार्यक्रम को गति प्रदान करते हुए एक ग़ज़ल ‘अहसासों की गर्मी लेकर लौटें है ” और अन्य कविताओं का पाठ किया । रामावतार सागर की कविता इसी भूमि से आमजन के संवेदन को इस तरह से स्पर्श करते चलती हैं कि उन्हें सुनते ही लगता है कि अरे यह दुनिया तो हमारी ही है और अभी तक हमने इस तरह से देखा ही नहीं। उनकी कविताओं में जीवन का सघन अहसास बहुत मुखर होकर बोलता है । इसी क्रम में डॉ. रमेश चंद मीणा ने कार्यक्रम का शानदार संचालन करते हुए अपनी कविताओं का पाठ किया ।

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