समय के असली शहंशाह तो साहित्यकार ही होते है 

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कोटा।  शहर की वरिष्ठ साहित्यिक संस्था सर्जना एवं राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालयकोटा के.संयुक्त तत्वाधान मे आयोजित सृजन संवाद संगोष्ठी गरिमा के साथ सम्पन्न  हुई। हिन्दी के वरिष्ठ गीतकार –कवि एवं समाजशास्त्री डा आनंद कश्यप के ताजा छपे काव्य संग्रह “नीले धुले आयाम” पर केंद्रित इस संगोष्ठी मे समीक्षक विद्वान वक्ताओ ने रचनाधर्मिता को समय की प्रेरक शक्ति बताते हुये सामाजिक उन्नयन मे महत्वपूर्ण बताया । अपने विचार व्यक्त करते हुये डा उषा झा ने कहा कि- समय  के असली शहंशाह तो साहित्यकार ही होते है ।

  संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये भारतीय प्रशासनिक सेवा की पूर्व वरिष्ठ अधिकारी एवं स्वय चित्रकार शुचि शर्मा ने कहा कि रचनाकार समय की नबज़ के खरे विशेषज्ञ पारखी होते है अत: उन्हे सामाजिक बेहतरी के लिए अपने विचारो को बेबाक व्यक्त करना चाहिए कविता पाठ करने से पूर्व डा आनंद कश्यप ने काव्य सृजन की मूल्यवत्ता पर प्रकाश डालते कहा कि – कविता के सृजन संस्कार राजनीति से परे सामाजिक उंन्नयन के कारक होते है साहित्य की भूमिका स्वतन्त्रता और प्रगति की स्वामी होती है अत : उसे अपनी अस्मिता के अनुरूप अपनी भूमिका का निर्वाह करना चाहिए। उन्होने अपने संग्रह के अनेक गीत एवं कविताओ का पाठ किया। 

      गोष्ठी मे वरिष्ठ साहित्यकार डा नरेंद्र नाथ चतुर्वेदी , महेंद्र नेह एवं बृजेन्द्र कौशिक ने भी संबोधित किया। गोष्ठी का संचालन वरिष्ठ युवा कवि डा उदय मणि कौशिक ने किया। संभागीय पुस्तकालय अध्यक्ष डा दीपक कुमार श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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