दलित और मुस्लिम समाज की जद्दोजहद के इर्द गिर्द बुना गया है Banu Mushtaq का लेखन

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-मनीष आजाद Manish Azad

इस बार का ‘बुकर पुरस्कार’ कन्नड़ की लेखिका Banu Mushtaq को उनकी किताब ‘Heart Lamp’ के लिए दिया गया है। इसका अंग्रेजी अनुवाद Deepa Bhasthi ने किया है।

12 कहानियों के इस संग्रह (Heart Lamp) में दक्षिण भारत के मुस्लिम समुदाय विशेषकर मुस्लिम महिलाओं के रोज रोज के संघर्ष, उनकी आशा-निराशा को आज के परिप्रेक्ष्य में पाठकों के सामने लाया गया है।

‘काला जल’ के लेखक मशहूर कथाकार शानी ने बहुत पहले यह सवाल उठाया था कि हिंदी साहित्य से मुस्लिम पात्र और गुलाबी भाषा धीरे धीरे गायब क्यों होती जा रही है।

Banu Mushtaq का समूचा लेखन ही दलित और मुस्लिम समाज की जद्दोजहद के इर्द गिर्द बुना गया है।

Banu Mushtaq ने अपने कैरियर की शुरुआत ‘लंकेश पत्रिका’ में रिपोर्टिंग से की थी। ‘लंकेश पत्रिका’ की स्थापना गौरी लंकेश के पिता पी. लंकेश ने की थी।

मस्जिद में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश के लिए अभियान चलाने के लिए कट्टरपंथी मुसलमानों ने उनका सामाजिक बहिष्कार भी किया था।

कर्नाटक में हिजाब विवाद में उनका साफ कहना था कि लड़कियों को हिजाब पहनकर स्कूल जाने का हक है। इसे नहीं छीना जाना चाहिए।

इस पुरस्कार से उनका लेखन और उनका एक्टिविज्म ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगा।

‘Heart Lamp’ अमेजॉन पर महज 274/- में उपलब्ध है।

 

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