प्रेमिकाएं! सजी कंगूरे सी तो पत्नियां घर की नींव होती हैं

स्त्री का पुरुष के जीवन में बहुत महत्व है। वह हर रुप में पूजनीय सम्मानीय है। मां, बेटी, बहू, भाभी, बहन, मित्र और भी बहुत से रिश्ते। प्रेमिका का रिश्ता भी कुछ इसी तरह है, एक सत्य है जिसे नकारा नहीं जा सकता। पुरातन काल से पढ़ते, सुनते आ रहे हैं, प्रेम के चक्कर में कभी प्रेरणा बना ऊंचाइयां छू गए, कभी अवसाद के गहरे समंदर में गोते लगाए तो कभी उम्र के ज्वार की लहरें बन टकरा गए। उसी पर कुछ पंक्तियां हैं।

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फोटो साभार अखिलेश कुमार

-मनु वाशिष्ठ-

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मनु वशिष्ठ

प्रेमिकाएं! स्वप्न सुनहरी,
तो पत्नियां कटु यथार्थ होती हैं

प्रमिकाएं! सतरंगी इंद्रधनुष सी
तो पत्नियां मीठी धूप, छांव होती हैं

प्रेमिका! श्रृंगार रस की कविता
पत्नियां संस्कृति का महाकाव्य होती हैं

प्रेमिकाएं! (ई एम आई) की किश्त
तो पत्नियां पेंशन प्लान होती हैं

प्रेमिकाओं! की चाहत आसमां के तारे
तो पत्नियां जरूरत की मांग रखती हैं

माना! कि प्रेमिकाएं बने प्रेरणा
लेकिन पत्नियां परिणाम देती हैं

प्रेमिकाएं! सजी कंगूरे सी
तो पत्नियां घर की नींव होती हैं

प्रेमिकाएं! नाजुक फूल
तो पत्नियां कड़वा नीम होती हैं

प्रेमिकाएं! देती नासूर (प्रेम रोग)
तो पत्नियां वैद्य, हकीम होती हैं

प्रेमिकाओं के सहते नखरे हजार
तो पत्नियां जर खरीद गुलाम होती हैं

दोनों ही बहती नदी के दो किनारे
जिसको जो भाए, सुखद अंजाम देती हैं

_ मनु वाशिष्ठ कोटा जंक्शन राजस्थान

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