बारिश की बूंदें

431e07d3 27f9 4f9e 9d31 f396e91d5bb0

– विवेक कुमार मिश्र

vivek mishra 162x300
डॉ. विवेक कुमार मिश्र

बारिशें हो रही हैं
बिना कुछ कहे हो रही हैं बारिशें
कितना पुराना रिश्ता है
बारिशों का पृथ्वी से
पृथ्वी की कांपती पुकार सुन ही लेती हैं
भले कहीं पर हो बारिश की बूंदें
पर अंततः घूम घाम कर
बारिशें आ ही जाती हैं
कहते हैं कि चिड़िया के पंख पर होकर
बारिश आ ही जाती है
और घूमती हुई चिड़िया
उड़ती हुई चिड़िया
लेकर आती है बारिश की बूंदें
बारिश की बूंदें यहां से वहां तक
बिखरे हुए मोती की तरह बरस जाती हैं
किसी से यह भी नहीं कहती कि
तुम्हारे लिए ही बरस रही हूं,
पृथ्वी पर जब बारिश की बूंदें आती हैं
तो सबके लिए एक राहत भरी
खबर लेकर आती हैं कि
आज हमारे साथ ही
आसमान और पृथ्वी
एक बिंदु पर मिल रहे हैं
भीगती हुई पृथ्वी ने
अपने आंचल में
आसमान को भर लिया है
देखो-देखो पूरा आसमान ही
बारिशों के साथ भागा चला आ रहा है
और भीग रहे हैं सब
क्या पेड़ क्या पहाड़ क्या पृथ्वी
सब कुछ तो बारिश की बूंदों में
रच बस रहा है
कहते हैं कि…
बारिश की बूंदें हैं पृथ्वी के लिए
आसमान से उतर ही जाती हैं ।

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments