वफ़ादारी तुम्हारी जानता हूँ। अदाकारी*तुम्हारी और कुछ है।।

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फोटो अखिलेश कुमार

ग़ज़ल

-शकूर अनवर-

shakoor anwar
शकूर अनवर

मिलनसारी तुम्हारी और कुछ है।
तुम्हारी हमसे यारी और कुछ है।।
*
वफ़ादारी तुम्हारी जानता हूँ।
अदाकारी*तुम्हारी और कुछ है।।
*
हमारा जो जुनूँ* है सामने है।
तुम्हारी होशियारी और कुछ है।।
*
तुम्हारा सैर को जाना भी धोखा।
तुम्हारी घुड़-सवारी और कुछ है।।
*
ज़रा देखो समंदर का नज़ारा*।
यहाँ की चित्रकारी और कुछ है।।
*
जो दिखते हो तुम ऐसे तो नहीं हो।
तुम्हारी इंकसारी*और कुछ है।।
*
वहाॅं तुम हो उदू*भी साथ में है।
यहाॅं हालत हमारी और कुछ है।।
*
तुम्हें अपना कहूं तो कैसे “अनवर”।
तुम्हारी राज़दारी* और कुछ है।।
*
शब्दार्थ:-
अदाकारी*अभिनय
जुनूँ* दीवानगी
नज़ारा*दृष्य
इंकसारी*विनम्रता
उदू* प्रेमिका का प्रेमी, दुश्मन
राज़दारी* वफ़ादारी, लायल्टी
*
शकूर अनवर
9460851271

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