संदीप मील को स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान

whatsapp image 2025 09 09 at 15.09.21

-कहानी संग्रह ‘बोल काश्तकार’ का सम्मान के लिए चयन

दिल्ली। 9 सितम्बर 2025 साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में कार्यरत संस्थान ’स्वयं प्रकाश स्मृति न्यास’ ने सुप्रसिद्ध साहित्यकार स्वयं प्रकाश की स्मृति में दिए जाने वाले वार्षिक सम्मान की घोषणा कर दी है। न्यास द्वारा जारी विज्ञप्ति में न्यास के अध्यक्ष डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर का यह सम्मान इस बार कहानी विधा के लिए सुपरिचित कथाकार संदीप मील के कहानी संग्रह ‘बोल काश्तकार’ को दिया जाएगा।

whatsapp image 2025 09 09 at 15.09.22 सम्मान के लिए तीन सदस्यी निर्णायक मंडल ने सर्वसम्मति से इस कहानी संग्रह को वर्ष 2025 के लिए चयनित करने की अनुशंसा की है। निर्णायक मंडल के अध्यक्ष प्रसिद्ध साहित्यकार अखिलेश (लखनऊ) ने अपनी संस्तुति में कहा कि संदीप मील युवा पीढ़ी के ऐसे विशिष्ट कथाकार हैं जिनके यहां मनुष्य विरोधी सत्ताओं की पहचान और मुखालिफत दोनों ही है। विशेष रूप से ग्रामीण जीवन के नए यथार्थ को जिस गहनता, प्रामाणिकता, संवेदनशीलता और पक्षधरता के साथ उन्होंने अभिव्यक्त किया है वह विरल है। निर्णायक मंडल के वरिष्ठ सदस्य कथा आलोचक राजीव कुमार (दरभंगा) ने संस्तुति में कहा कि शहरीकरण एवं बाजारीकरण के दबाव में हमारे समाज का एक बड़ा समूह कथा-परिदृश्य से किंचित ओझल होता जा रहा है, संदीप मील अपनी कहानियों में उन्हें शिद्दत से अभिव्यक्ति देते हैं. उनकी कहानियों में किसान एवं कामगार वर्ग प्रमुखता से जगह पाते हैं तथा इनके सामने दरपेश चुनौतियों को संदीप मील ने जनपक्षधर रूझान के साथ पेश किया है। निर्णायक मंडल के तीसरे सदस्य आलोचक पल्लव (दिल्ली) ने कहा कि कहानी के क्षेत्र में संदीप मील ने अपनी गंभीर पहचान बनाई है और वे कलात्मक ढंग से उन व्यापक मानवीय सरोकारों को कहानी में फिर प्रस्तुत करते हैं जिन्हें नयी बाजार व्यवस्था नष्ट कर देना चाहती है। मील ने अपनी कहानियों से लगातार पुष्ट किया है कि वंचितों और साधारण लोगों की आवाज़ अभी भी साहित्य में दर्ज़ की जा रही हैं।
संदीप मील के तीन कहानी संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जो इस प्रकार हैं – दूजी मीरा, कोकिलाशास्त्र और बोल काश्तकार। हाल ही में ‘समंदर भर रेत’ नाम से उनका पहला उपन्यास प्रकाशित हुआ है। इनके अतिरिक्त एक बाल कहानी संग्रह और कुछ वैचारिक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। जनांदोलनों में सक्रियता के साथ मील ने राजनीति विज्ञान में डॉक्टरेट और पोस्ट डॉक्टरेट की है। मील की सक्रियता किसानों से लेकर संस्कृतिकर्मियों के बीच लगातार बनी रही है।
डॉ अग्रवाल ने बताया कि मूलत: राजस्थान के अजमेर निवासी स्वयं प्रकाश हिंदी कथा साहित्य के क्षेत्र में मौलिक योगदान के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने ढाई सौ के आसपास कहानियाँ लिखीं और उनके पांच उपन्यास भी प्रकाशित हुए थे। इनके अतिरिक्त नाटक,रेखाचित्र, संस्मरण, निबंध और बाल साहित्य में भी अपने अवदान के लिए स्वयं प्रकाश को हिंदी संसार में जाना जाता है। उन्हें भारत सरकार की साहित्य अकादेमी सहित देश भर की विभिन्न अकादमियों और संस्थाओं से अनेक पुरस्कार और सम्मान मिले थे। उनके लेखन पर अनेक विश्वविद्यालयों में शोध कार्य हुआ है तथा उनके साहित्य के मूल्यांकन की दृष्टि से अनेक पत्रिकाओं ने विशेषांक भी प्रकाशित किए हैं। 20 जनवरी 1947 को अपने ननिहाल इंदौर में जन्मे स्वयं प्रकाश का निधन कैंसर के कारण 7 दिसम्बर 2019 को हो गया था। लम्बे समय से वे भोपाल में निवास कर रहे थे और यहाँ से निकलने वाली पत्रिकाओं ‘वसुधा’ तथा ‘चकमक’ के सम्पादन से भी जुड़े रहे।
डॉ अग्रवाल ने बताया कि फरवरी में आयोज्य समारोह में कथाकार संदीप मील को सम्मान में ग्यारह हजार रुपये, प्रशस्ति पत्र और शॉल भेंट किये जाएंगे। साहित्य और लोकतान्त्रिक विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए गठित स्वयं प्रकाश स्मृति न्यास में कवि राजेश जोशी(भोपाल), आलोचक दुर्गाप्रसाद अग्रवाल (जयपुर), कवि-आलोचक आशीष त्रिपाठी (बनारस), आलोचक पल्लव (दिल्ली), इंजी अंकिता सावंत (मुंबई) और अपूर्वा माथुर (दिल्ली) सदस्य हैं।

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments