
– विवेक कुमार मिश्र-

पृथ्वी फूलों से ही हंसती है ….
बच्चों संग किलकती है
इच्छा का संसार
रच जाती पृथ्वी सृजन के संसार में
स्त्री की गाथा
एक खिलते फूल के साथ
जन्म ले लेती
एक फूल
केवल फूल नहीं होता
फूल के संग पृथ्वी पर
स्त्री की कथा भी चल पड़ती
जीवन के प्रसंग और शास्त्र
सब पृथ्वी पर ही होते
और अंततः खिला फूल
पृथ्वी का जीवन होता
इस तरह वह
अस्तित्व की कथा लिख जाता
एक फूल में
पृथ्वी की अपार इच्छाएं
बोलते हुए आ जाती
फूलों का खिलना
पृथ्वी के होने का
मनुष्य के खुश होने का
इतिहास और संस्कृति के पाठ का
समय के खिल जाने का पाठ
अस्तित्व की कथा के साथ
फूल के संग पृथ्वी पर लिख जाता है….!!!
– विवेक कुमार मिश्र
सह आचार्य हिंदी
राजकीय कला महाविद्यालय कोटा
एफ -9 समृद्धि नगर स्पेशल बारां रोड कोटा -324002