
कोटा। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 10 सितम्बर के अवसर पर मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत संस्था मन आरोग्य न्यास द्वारा “आत्महत्या कारण और निवारण ” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।
परिचर्चा के मुख्य वक्ता जन स्वास्थ्य अभियान राजस्थान के पूर्व प्रदेश संयोजक एवं मन आरोग्य न्यास कोटा के समन्वयक विजय राघव ने अपने संबोधन में कहा कि आत्महत्या के प्रमुख कारणों में अवसाद और चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, आर्थिक तंगी एवं बेरोज़गारी, पारिवारिक समस्याएं या रिश्तों में संकट, अकेलापन और सामाजिक अलगाव, नशीले पदार्थों का सेवन आदि हैं।
वहीं विद्यार्थियों के बीच आत्महत्या के विशेष कारणों में उच्च अंकों/ग्रेड की अपेक्षाएं, परीक्षाओं व प्रवेश परीक्षाओं का डर, खराब प्रदर्शन या फैल होने का डर का, असफलता का सामाजिक कलंक, दोस्तों के बीच प्रतिस्पर्धा और तुलना, दोस्तों या सहपाठियों के साथ तालमेल की कमी, साथी छात्रों द्वारा उत्पीड़न या बुलिंग, रोजगार के अवसरों में कमी के कारण नौकरी पाने की आशंका एवं कैरियर की चिंता आदि शामिल हैं।
असफलता के भंवर में फसकर जो व्यक्ति अत्यधिक गहरे तनाव को नहीं झेल पाते हैं वे समस्या का सामना करने की बजाय आत्महत्या का रास्ता चुन लेते हैं।
विजय राघव ने कहा कि अधिकतर मामलों में आत्महत्या करने वाले अपने इरादों की पूर्व चेतावनी अथवा लक्षण प्रकट कर देते हैं। हताश एवं निराश व्यक्तियों के साथ सकारात्मक बातचीत के जरिये आत्महत्या के मामलों की रोकथाम की जा सकती है।
आत्महत्या रोकथाम हेतु मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर जोर देना, मनोचिकित्सा और मनोविज्ञान के विशेषज्ञों की मदद के लिए प्रोत्साहित करना, हेल्पलाइनों के उपयोग की जागरूकता, जीवन कौशल और तनाव प्रबंधन सिखाना, आत्महत्या के खतरे की चेतावनी के संकेतों को पहचानना, मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा के तहत स्कूलों/कॉलेजों में नियमित काउंसलिंग सेवाएं, शैक्षिक दबाव को कम करने के ग्रेड के बजाय सीखने पर जोर की मानसिकता विकसित करना, माता-पिता को व्यावहारिक अपेक्षा के बारे में जागरूक करना, स्कूल एवं कॉलेजों में भेदभाव-विरोधी, एंटी बुलिंग पॉलिसी को सख्ती से लागू करना बेहद जरूरी है। परिचर्चा में अनिल चौधरी, आशीष मित्तल, शंभुदयाल सुमन तथा गौरव नामदेव ने भी अपने विचार रखे।