
-दुष्यन्त सिंह गहलोत-
कोटा। भारत में राष्ट्रीय स्तर पर मिर्गी के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 17 नवंबर को मिर्गी दिवस मनाया जाता है। मिर्गी मस्तिष्क का एक क्रॉनिक रोग है, जिससे रोगी को बार-बार दौरा आता है। मिर्गी पीड़ित रोगी को न्यूरॉन्स में अचानक असामान्य एवं अत्यधिक विद्युत का संचार होने के कारण यह दौरा बार-बार पड़ता है, जिसके कारण वह बेहोश हो जाता है। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। इस रोग से पीड़ित हर व्यक्ति की परेशानी अलग-अलग हो सकती है। वरिष्ट न्यूरो फिजिशियन डॉ. संजय जायसवाल ने बताया कि भारत में लगभग 10 लाख के करीब लोगों को मिर्गी के दौरे आते हैं। कोटा संभाग में भी सैकडों रोगी हैं, जिन्हें मिर्गी के दौरे आते हैं, इस पूरे मामले में जागरुकता की बेहद आवश्यकता है। यदि हम जागरुक होंगे तो दौरा आने पर सही विधि से रोगी को अधिक नुकसान से बचा सकते हैं।

– मिर्गी होने के कई कारण हो सकते हैं
डॉ. जायसवाल ने बताया कि मिर्गी जन्मजात हो सकती है या मस्तिष्क में किसी प्रकार का संक्रमण से भी मिर्गी रोग हो सकता है। स्ट्रोक या फिर ब्रेन ट्यूमर भी इसका कारण हो सकता है। सिर में चोट या किसी दुर्घटना के चलते सिर पर चोट लगना भी इसका एक कारण सामने आया है। बचपन के दौरान कभी लंबे समय तक तेज बुखार से पीड़ित होना, मिर्गी होने के कारण हो सकते हैं।
– मिर्गी आने पर क्या करना चाहिए
डॉ. जायसवाल ने बताा कि जब किसी व्यक्ति को मिर्गी आए तो उसे घबराना नहीं चाहिए, उसे हिम्मत से काम लेना है। पीड़ित व्यक्ति को मिर्गी के दौरे के दौरान कंट्रोल करने की कोशिश ना करें। पीड़ित व्यक्ति के आसपास भारी वस्तु या फिर हानिकारक वस्तु को दूर रखें नहीं तो उन्हें चोट लग सकती है। यदि पीड़ित व्यक्ति गर्दन कसकर रखने वाले कपड़े पहन रखें हैं तो उसे तुरंत ही ढीला कर लें। मिर्गी पीड़ित व्यक्ति को एक और मोड़ कर लेटाए ताकि मुंह से निकलने वाला उल्टी या फिर तरल पदार्थ सुरक्षित रूप से बाहर निकले। मिर्गी पीड़ित व्यक्ति के सिर के नीचे कुछ आरामदायक वस्तु या फिर तकिया रखें। मिर्गी पीड़ित व्यक्ति को चिकित्सा सहायता जब तक न मिले, तब तक पीड़ित व्यक्ति के साथ ही किसी को मौजूद रहना चाहिए। यक्ति को आराम करने दें या फिर अगर वह सोया हुआ है तो उसे सोने दें। मिर्गी पीड़ित व्यक्ति को अधिकांश दवाओं से ठीक किया जाता है। मिर्गी के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण फैक्ट यह है कि मिर्गी के उपचार में देरी नहीं करनी चाहिए, मिर्गी पीड़ित होने के बारे में अगर किसी व्यक्ति को पता चलता है उसे तुरंत ही उपचार शुरू कर देना चाहिए। जल्द उपचार से बिगड़ी हुई स्थिति को रोका जा सकता है।
– भ्रांतियों से दूर रहे
देश में आज भी मिर्गी आने पर कई टोने टोटके किए जाते हैं, जिससे बचने की आवश्यकता है। मिर्गी का दौरा कुछ समय बाद आपने आप ही ठीक हो जाता है। जब भी मिर्गी का दौरा आए तो जूते सुंघाना, चाबी देना, लोहे की वस्तु पकडवाना या देवी देवता का प्रकोप मानते हुए पूजा पाठ करना जैसी भ्रांतियों से बचना चाहिए। रोगी को शीघ्र ही चिकित्सकीय परामर्श की आवश्यकता होती है।