
-डॉ. सुरेश पाण्डेय और डॉ. संजय सोनी ने विद्यार्थियों को बताया सेहतमंद जीवन का मंत्र
कोटा। राजकीय महात्मा गांधी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, रामपुरा में एक विशेष नेत्र जागरूकता एवं समग्र उपचार (होलिस्टिक हीलिंग) कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस जागरूकता कार्यक्रम में प्रसिद्ध नेत्र सर्जन एवं सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा के संचालक डॉ. सुरेश कुमार पाण्डेय तथा समग्र चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. संजय सोनी (आरोग्यम, एलन) ने छात्रों व शिक्षकों को स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्रधानाचार्य घनश्याम वर्मा द्वारा दोनों विशिष्ट अतिथियों के स्वागत से हुआ। इस अवसर पर डॉ. सुरेश पाण्डेय ने कहा कि वर्ष 2050 तक लगभग आधी दुनिया अर्थात् पाँच अरब) लोग निकट दृष्टिदोष (मायोपिया) से पीड़ित होंगे। यह स्थिति न केवल आंखों के लिए, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर चुनौती बनती जा रही है।

नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय ने बताया कि बच्चों और किशोरों में मायोपिया दृष्टि दोष तेजी से बढ़ रहा है, जिसका प्रमुख कारण अत्यधिक समय तक मोबाइल, टैबलेट और अन्य झिलमिलाती स्क्रीन वाले उपकरणों का उपयोग, सूर्यप्रकाश की कमी, अत्यधिक मीठा और तैलीय भोजन है। डॉ. पाण्डेय ने छात्रों को मोबाइल फोन की लत यानी नोमोफोबिया (नो मोबाइल फोन फोबिया) के खतरों से भी अवगत कराया। उन्होंने कहा कि मोबाइल की लत बच्चों में एकाग्रता की कमी, नींद की गड़बड़ी, मानसिक तनाव और नेत्र समस्याएं उत्पन्न करती है। डॉ. पाण्डेय ने सभी को 20-20-20 नियम अपनाने की सलाह दी। इसका अर्थ है — प्रत्येक 20 मिनट पर स्क्रीन से हटकर 20 फीट (लगभग 6 मीटर) दूर स्थित किसी वस्तु को 20 सेकंड तक देखें। यह नियम आंखों को तनाव से बचाने में सहायक होता है और डिजिटल दृष्टि थकान को कम करता है। मानसून के मौसम में नेत्र देखभाल पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि इस मौसम में आंखों में संक्रमण की आशंका अधिक रहती है, अतः आंखों को स्वच्छ रखें, गंदे हाथों से आंखें न छुएं और यदि आंखों में जलन, लाली या धुंधला दिखना शुरू हो जाए तो शीघ्र नेत्र चिकित्सक से संपर्क करें। उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों में समय-समय पर नेत्र परीक्षण कराना आवश्यक है, जिसमें सम्पूर्ण नेत्र परीक्षण, नेत्र-दाब मापन (आई प्रेशर जांच) और रेटिना परीक्षण सम्मिलित हों, जिससे अपवर्तन दोष (रिफ्रेक्टिव एरर) और लेजी आंख (एम्ब्लायोपिया) जैसी गंभीर समस्याओं का समय रहते निदान हो सके।
इस कार्यक्रम में डॉ. संजय सोनी ने बच्चों को स्वस्थ भोजन, अंकुरित अनाज, रेशेदार आहार और लाभकारी जीवाणु युक्त आहार (प्रोबायोटिक एवं प्रीबायोटिक) अपनाने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि हमारे आंत्र-मस्तिष्क तंत्र (गट-ब्रेन ऐक्सिस) का सीधा संबंध हमारी मानसिक स्थिति और रोग प्रतिरोधक क्षमता से है। डॉ. सोनी ने बच्चों को चीनी और तैलीय फास्ट फूड से दूर रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि ऐसे भोजन से शरीर में वसा जमा होती है, यकृत (लीवर) में चर्बी बढ़ती है और मधुमेह (डायबिटीज) का खतरा समय से पहले उत्पन्न होता है। उन्होंने यह भी कहा कि फास्ट फूड के पैकेट पर चेतावनी लिखी जानी चाहिए कि “फास्ट फूड का नियमित सेवन फैटी लिवर तथा पूर्व-मधुमेह (प्री-डायबिटीज़) की संभावना को बढ़ाता है।” उन्होंने सभी विद्यार्थियों को नियमित व्यायाम, सैर, योग, ध्यान और पौष्टिक आहार को अपनाने की सलाह दी और बताया कि ये आदतें शारीरिक ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होती हैं।
इस अवसर पर ‘स्वस्थ आहार – स्वस्थ जीवन’ विषय पर आधारित एक सुंदर और प्रेरक पोस्टर का अनावरण किया गया, जिसमें बच्चों को संतुलित और प्राकृतिक आहार अपनाने के लिए प्रेरित किया गया। साथ ही, डॉ. सुरेश पाण्डेय की पुत्री इशिता पाण्डेय द्वारा लिखित प्रेरक पुस्तक “ड्रीम बिग, फ्लाई हाई” (बड़े सपने देखो और ऊँची उड़ान भरो) विद्यालय पुस्तकालय हेतु भेंट की गई। यह पुस्तक विश्व के 55 प्रेरणास्पद व्यक्तित्वों की जीवन यात्रा पर आधारित है और युवाओं को आत्म-विश्वास व प्रेरणा से भर देती है। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री घनश्याम वर्मा, समस्त शिक्षकगण, सहकर्मी एवं 300 से अधिक विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने अतिथियों से जिज्ञासाएँ पूछीं और स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी जानकारी प्राप्त की। इस प्रकार यह कार्यक्रम न केवल नेत्र स्वास्थ्य जागरूकता का माध्यम बना, बल्कि समग्र स्वास्थ्य, खानपान और जीवनशैली के प्रति एक गहरी समझ प्रदान कर गया।

















