
-देशबन्धु में संपादकीय
अपने व्यवसाय के तौर-तरीकों और विशेषकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अपनी नज़दीकियों के चलते हमेशा विवादग्रस्त रहे गौतम अदानी, उनके भतीजे सागर अदानी, विनीत जैन (अदानी ग्रीन एनर्जी के पूर्व सीईओ) सहित 8 लोगों के खिलाफ एक अमेरिकी कोर्ट ने गिरफ़्तारी वारंट जारी किया है। ये सारे अदानी की कम्पनी से जुड़े लोग हैं। यह मामला अदानी एनर्जी की ओर से अमेरिका में सौर ऊर्जा अनुबन्धों से सम्बन्धित है जिसके सिलसिले में अभियोजकों ने आरोप लगाया है कि ठेका पाने के लिये भारतीय अधिकारियों को भारी-भरकम रिश्वत दी गयी। मज़ेदार बात यह है कि इस आरोप के लगने के कुछ ही घंटे पहले इस फ़र्म ने अमेरिकी निवेश ग्रेड बाज़ार में 20 वर्षीय ग्रीन बाॅण्ड बेचा था। बाज़ार में इसे ज़बरदस्त प्रतिसाद मिला था औऱ इस इश्यू के लिये तीन गुना अधिक आवेदन प्राप्त हुए लेकिन मामला अदालत में जाने के बाद इस बॉन्ड को रद्द कर दिया गया। वैसे इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता क्योंकि मामला चलता रहेगा। देखना यह होगा कि कोर्ट इस पर क्या कार्रवाई करता है और इधर भारत में निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिये बनी सेक्यूरिटिज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) तथा सरकार कौन से कदम उठाती है। हालांकि इसकी सम्भावना नज़र नहीं आती क्योंकि सेबी हो या मोदी सरकार- पहले भी अदानी के हितों की रक्षा में सदैव तत्पर दिखाई दिये हैं। यह मामला 25 नवम्बर को शुरू होने जा रहे संसद के सत्र में विपक्ष जरूर उठायेगा। इसकी जांच के लिये संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग अभी से उठने लगी है।
गुरुवार की सुबह जैसे ही यह सूचना भारत पहुंची, राजनीतिक व आर्थिक गलियारों में सनसनी फैल गयी। जहां लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में प्रेस काॅन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि (सेबी) की प्रमुख माधवी बुच और मोदीजी मिलकर जिस प्रकार अदानी को बचाते आये हैं वैसे ही अब भी बचायेंगे। उन्होंने कहा कि सेबी प्रमुख को तत्काल पद से हटाकर किसी निष्पक्ष व्यक्ति को बिठाना चाहिये और अदानी को गिरफ़्तार कर उनसे पूछताछ की जाये। उन्होंने कहा कि वैसे इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती क्योंकि ‘जब तक वे और मोदी एक हैं तब तक वे (अदानी) सेफ़ है।’ उन्होंने कहा कि अदानी पर कार्रवाई को लेकर कांग्रेस के साथ इंडिया गठबन्धन है और संसद में इस मामले पर जेपीसी की मांग की जायेगी।
बुधवार को न्यूयॉर्क में दुनिया के सबसे अमीर कारोबारियों में से एक गौतम अदानी द्वारा अमेरिका में कार्यरत उनके एक व्यवसायिक प्रतिष्ठान को ठेका दिलाने के लिये अधिकारियों को 25 करोड़ डॉलर की घूस की पेशकश करने तथा इस तथ्य को निवेशकों से छिपाने का आरोपपत्र दाखिल किया गया। कम्पनी को अगले 20 वर्षों में दो अरब डॉलर का लाभ मिलने का अनुमान था। अभियोजन के अनुसार इसकी जांच तकरीबन दो साल से चल रही थी। वैसे अमेरिकन जस्टिस डिपार्टमेंट एंड एक्सचेंज कमीशन द्वारा लगाये गये आरोपों को अदानी समूह ने पूर्णतः बेबुनियाद बतलाया। समूह ने अपने बयान में कानूनी विकल्पों की तलाश करने की बात करते हुए दावा किया कि अदानी समूह कानून का पालन करने वाली कम्पनी है। उधर ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ़ न्यूयॉर्क के अभियोजक ब्रायन पीस ने बतलाया कि ‘अरबों डॉलर का काॅन्ट्रैक्ट पाने के लिये भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने की योजना बनी थी।’ वैश्विक निवेशकों से पूंजी जुटाने के लिये उसने घूस देने की इस योजना के बारे में झूठ भी बोला। उन्होंने कहा कि ‘उनका कार्यालय अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिये कटिबद्ध है। वह ऐसे लोगों से निवेशकों को बचाने के लिये कृतसंकल्पित है जो बाज़ार की विश्वसनीयता की कीमत पर अमीर हो रहे हैं।’
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ समय से अदानी दुनिया भर में इसलिये चर्चा में हैं क्योंकि बहुत कम समय में वे विश्व के सर्वाधिक धनी लोगों में शुमार हो गये हैं। दो वर्ष पहले वे रातों-रात दूसरे क्रमांक तक पहुंच गये थे। हिंडेनबर्ग की दो खोजी रिपोर्टों में दावा किया गया है कि मोदी सरकार के प्रश्रय के चलते वे शीर्ष स्थान तक पहुंचे हैं। मोदीजी ने नियमों को ताक पर रखकर उन्हें कई काम दिलाये हैं।
राहुल गांधी, अदानी समूह और रिलायंस समूह के मुकेश अंबानी द्वारा देश के व्यवसाय जगत पर एक तरह से कब्ज़ा कर लेने के ख़िलाफ़ हमेशा से आवाज़ उठाते रहे हैं। पिछली लोकसभा में इस पर चर्चा के दौरान राहुल ने वह तस्वीर दिखलाई थी जिसमें मोदी अदानी के साथ और उनके विमान में सफर कर रहे थे। यहां तक कि उनके भाषणों के उन अंशों को स्पीकर ओम बिरला द्वारा हटा दिया जाता रहा। मौजूदा लोकसभा के प्रारम्भिक सत्र से ही इस विषय पर हंगामे होते रहे हैं। लोकसभा अध्यक्ष द्वारा जब इन दोनों (अदानी-अंबानी) उद्योगपतियों के नामों का उल्लेख न करने की हिदायत दी गयी तो राहुल ने ए-1 और ए-2 कहे जाने की इज़जत मांगी थी। वैसे उससे पहले भी राहुल कह चुके हैं कि देश में पहले दो क्रमांकों पर क्रमशः अदानी और अंबानी हैं। मोदीजी तीसरे नंबर के व्यक्ति हैं और वे केवल ठेके दिलाने का काम करते हैं। वैसे आरोप बेबुनियाद नहीं है क्योंकि कई देशों में मोदी राष्ट्राध्यक्षों से कहकर अदानी समूह को ठेके दिला चुके हैं। बांग्लादेश में यह बात बाकायदा वहां की संसद में भी उठाई गयी थी। यदि देश की प्रतिष्ठा बचानी है तो भारत सरकार को मामले की जांचकर दोषियों के ख़िलाफ़ स्वयं कार्रवाई करनी चाहिये। हालांकि जैसा राहुल गांधी ने दावा किया है इसकी गुंजाइश न के बराबर है।