जली-भुनी प्रेमिका देती रही विमानों को धमकियां

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-सुनील कुमार Sunil Kumar

अभी अहमदाबाद विमान हादसे के बाद, और उसके पहले भी लगातार विमानतलों, और सरकारों को कई तरह की धमकियां मिल रही थीं, कि किसी प्लेन में बम रखा है, या किसी और तरह का खतरा है। ऐसी हर धमकी के बाद उड़ान को वापिस ले जाया जाता है, बारीकी से जांच होती है, और घंटों बर्बाद होते हैं। लोगों का निजी समय तो लगता ही है, देश की अर्थव्यवस्था भी इससे खराब होती है, और सुरक्षा एजेंसियों की अंधाधुंध दौड़-भाग होती है जिससे यह खतरा भी खड़ा हो जाता है कि उसी वक्त कहीं सचमुच का खतरा रहे, तो उसके लिए सुरक्षा साधन कम पड़ें। ऐसे में पूरी दुनिया में यह देखा गया है कि कई किस्म के लोग ऐसी झूठी धमकियां भेजने का शौक रखते हैं। आमतौर पर इनको किसी और से हिसाब चुकता करना रहता है, और अपनी भड़ास निकालने के लिए वे इसको एक जरिया बना लेते हैं।

पिछले एक साल में गुजरात सहित 11 राज्यों को इसी तरह बमों की धमकी भेजने वाली एक कामकाजी महिला को अहमदाबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया है जो कि चेन्नई की रहने वाली है, और एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में वरिष्ठ सलाहकार के पद पर काम कर रही है। यह किसी व्यक्ति से एकतरफा प्रेम संबंध में थी, और उसकी शादी किसी और से हो जाने से वह बदला निकालने के लिए उसके नाम से एक फर्जी ईमेल आईडी बनाकर बमों की झूठी धमकी भेजती थी, ताकि वह व्यक्ति परेशानी में फंसे। चूंकि यह जानकार कामकाजी थी, उसने डार्कवेब, और इसी किस्म की कुछ दूसरी इंटरनेट ईमेल सुविधाओं का इस्तेमाल किया जिससे वह तो बच सके, और जिससे वह प्रेम करती थी, वह फंस जाए। साइबर पुलिस को भी इसकी पहचान करते हुए इसे पकडऩे में साल भर लग गया, वह भी वह एक गलती के चलते पकड़ में आई।

अब अगर यह देखें कि इंटरनेट और साइबर औजारों की मामूली जानकार एक महिला भी असफल प्रेम का बदला लेने के लिए अगर इस हद तक जा सकती है, तो फिर जो लोग सचमुच ही हैकर दर्जे के साइबर विशेषज्ञ हैं, वे क्या नहीं कर सकते? और अब तो दिनोंदिन हालत यह हो रही है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल से लोगों की इस किस्म की ताकत बढ़ती चली जा रही है, और घुसपैठ आसान होती जा रही है। हमने दो ही दिन पहले यह लिखा था कि किस तरह 16 सौ करोड़ पासवर्ड चोरी कर लिए गए, और उन्हें इंटरनेट पर अपराधियों के डार्कवेब पर बेचा जा रहा है। इसके पहले भी कई हैकिंग इस किस्म की हो चुकी हैं, और अब कल्पना करें कि चुराए गए एक-एक पासवर्ड से अगर दुनिया भर में लोग इसी तरह की धमकियां भेजते रहें तो क्या होगा? आज वैसे भी दुनिया में रिवेंज पोर्न नाम से कल तक के प्रेमी-प्रेमिका एक-दूसरे के अंतरंग पलों के फोटो-वीडियो पोस्ट करते रहते हैं, और अब जांच-पड़ताल एक किस्म से पुलिस की क्षमता को पार कर रही है। अब कुछ अधिक ऊंचे दर्जे के मुजरिम अगर चुराई गई शिनाख्त, या गढ़ी गई किसी शिनाख्त से ऐसी और धमकियां भेजने लगेंगे, तो क्या होगा? दुनिया भर में हर पल हजारों विमान उड़ान भरते रहते हैं, और अगर इंटरनेट लोगों को झूठी पहचान गढक़र धमकियां भेजने की छूट देगा, जो कि अभी चल भी रहा है, तो फिर धमकियों और बदहवासी का यह सिलसिला कहां तक नहीं पहुंचेगा?

दरअसल आज जिस रफ्तार से साइबर-सहूलियतें बढ़ रही हैं, उस रफ्तार से साइबर-मुजरिमों को पकडऩे की ताकत नहीं बढ़ रही। हो सकता है कि आगे जाकर सरकारी एजेंसियां ऐसे एआई औजार पा जाएं, जो कि आम साइबर-मुजरिमों की ताकत से अधिक ताकतवर हों, लेकिन आज तो मुजरिम ही पुलिस से कई गुना आगे चलते दिख रहे हैं। इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि मुजरिम मोटरसाइकिलों पर भाग रहे हैं, और सीमित साधनों वाली पुलिस उनके पीछे लाठी लिए हुए साइकिल पर। यह सिलसिला पता नहीं जुर्म और उसे पकडऩे के बीच फासले को और कितना बढ़ाएगा, लेकिन फिलहाल तो यह शर्तिया ही बढ़ते चल रहा है। इंटरनेट पर कालेधंधों को अपने नाम के मुताबिक साधारण इंटरनेट सरीखा एक डार्कवेब भी काम करता है। इस डार्कवेब पर कत्ल के ठेके देने से लेकर, किसी बैंक को लूटने के लिए गिरोह तैयार करने तक, हर किस्म के जुर्म के काम होते हैं। भाड़े के हत्यारे यहां पर अपना इश्तहार भी करते हैं, और जांच एजेंसियों का काम यहां पर खासा मुश्किल भी रहता है। जिस ताजा मामले को लेकर हमने यह लिखना चालू किया है, वह तो किसी पेशेवर मुजरिम का भी नहीं है। एक असफल प्रेमिका ने अपने प्रेमी को मुसीबत में डालने के लिए उसके नाम से ईमेल बनाकर जिस अंदाज में चारों तरफ धमकियां भेजी हैं, वह बड़ी फिक्र की बात है। ऐसी धमकियां सुरक्षा, और जांच के इंतजाम को चौपट कर रही हैं, और धीरे-धीरे झूठी धमकियों की वजह से सभी एजेंसियों में एक लापरवाही आने लगेगी क्योंकि अधिकतर धमकियां झूठी निकलेंगी। इसके बाद फिर कौन सी धमकी असली रहेगी, कौन सा बताया गया खतरा असली रहेगा, यह फर्क जब तक पुलिस कर पाएगी, तब तक हमला हो चुका रहेगा। हमने ऐसे कई किस्म के हमले देखे हैं। दो बरस पहले इजराइल पर हमास ने जिस तरह से हमला किया, उसमें इजराइल की सारी बहुचर्चित सुरक्षा व्यवस्था धरी रह गई थी। इसके पहले 11 सितंबर को जिस तरह न्यूयॉर्क के वल्र्ड ट्रेड सेंटर पर ओसामा के विमानों ने हमला किया था, उसने दुनिया के इस सबसे सतर्क और चौकन्ने देश को भी चौपट करके रख दिया था।

इस मुद्दे पर कोई शॉर्टकट नहीं हो सकता। यही हो सकता है कि सरकार असली और नकली धमकियों को पकडऩे के अपने औजारों की रफ्तार बढ़ाए। यह भी हो सकता है कि ऐसी धमकियां देने वाले लोग पहले से शिनाख्त करके रखे जाएं, क्योंकि इनमें से अधिकतर लोग सोशल मीडिया पर ऐसा रूख बताते हैं कि वे समाज के लिए खतरा हो सकते हैं। यह कहते हुए हम जानते हैं कि यह लोगों की निजता में कुछ हद तक दखल भी होगा, लेकिन जब सार्वजनिक सुरक्षा का मुद्दा हो, तो जिस हद तक जरूरी हो, उस हद तक निजता पर रोक-टोक भी लगानी ही होगी। अब अगर किसी ने सचमुच ही अहमदाबाद के विमान में साजिश के तहत कोई तोडफ़ोड़ की होगी, तो ऐसी हरकत को आगे रोकने के लिए सरकार को इंतजाम तो करना होगा, चाहे विमान के लोग हों, चाहे ट्रेन के, उनके देश-प्रदेश की सरकारें उन्हें खतरे में तो छोड़ नहीं सकतीं।

(देवेन्द्र सुरजन की वॉल से साभार)

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