
-कृष्ण बलदेव हाडा-
आखिरकार केंद्र के प्रतिनिधि मंत्री के रूप में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के मसले पर राजनीति से प्रेरित अपनी मंशा प्रकट कर ही दी जो वास्तव में उनकी अकेले की नहीं बल्कि उनके साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की असल मंशा का भी प्रतिनिधित्व करती है जो भी नहीं चाहते कि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार के रहते पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को अमलीजामा पहनाया जा सके।
राजस्थान विधानसभा के चुनाव अब महज करीब 6 महीने ही दूर रह गए हैं और यह वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में अपने चुनाव अभियान के दौरान अजमेर जिले और जयपुर ग्रामीण की जनसभाओं में यह वायदा किया था कि विधानसभा चुनाव के बाद पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देकर केंद्र सरकार से हर संभव वित्तीय मदद दिलवाई जाएगी। विधानसभा चुनाव हुए और भारतीय जनता पार्टी चुनाव हार गई । इसके बाद अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाने का वायदा भी जुमला साबित हुआ।
संभवत राजस्थान विधानसभा के चुनाव के पहले जिस समय अजमेर और जयपुर ग्रामीण की जनसभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाने का वादा कर रहे थे, तब उन्होंने कुछ शब्दों को ‘साइलेंट मोड’ पर रखा हुआ था।असल में उस समय वह कहना तो यह चाहते थे कि-” यदि विधानसभा के चुनाव के बाद राजस्थान में फिर से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया जाएगा” लेकिन तब संभवत नरेंद्र मोदी ने किसी अप्रिय विवाद से बचने के लिए “राजस्थान में फिर से भाजपा की सरकार बनी तो” जैसे शब्दों को ‘साइलेंट मोड’ पर रखकर सीधे-सीधे यह वायदा कर डाला कि विधानसभा चुनाव के बाद इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाया जाएगा लेकिन इसे राजनीतिक कारणों से पूरा नहीं कर पाने के कारण अब यह जुमला राजस्थान के 13 जिलों के किसानों के परिवारों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारी पड़ रहा है क्योंकि इस परियोजना से यह हजारों परिवार लाभान्वित होने वाले हैं।
यहां सबसे महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय तथ्य यह है कि विधानसभा के पिछले कार्यकाल में जब राजस्थान में श्रीमती वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी, तब प्रदेश के 13 जिलों के किसानों के व्यापक हितों को देखते हुए श्रीमती वसुंधरा राजे ने व्यक्तिगत रुचि लेकर पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का न केवल खाका तैयार करवाया था बल्कि अपनी ही कार्यकाल के दौरान इस अति महत्वकांक्षी परियोजना को मंजूरी भी दी थी। तब शायद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस परियोजना का महत्व समझा और यह वायदा कर डाला कि विधानसभा चुनाव के बाद पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिला दिया जाएगा लेकिन विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की हार के बाद नरेंद्र मोदी का यह वादा भी चुनावी जुमला साबित हुआ।
अब ताजा मीडिया रिपोर्ट में तो केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने अपनी, केंद्र सरकार की और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस राजनीतिक प्रेरित मंशा पर यह कहकर मोहर लगा दी है कि- ‘यदि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन जाए तो पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के लिए 46 हजार करोड़ रुपए दिलवा देंगे।’ हालांकि यह बात कहते समय गजेंद्र सिंह शेखावत भारतीय जनता पार्टी के जिस नेता की अगुवाई में ‘राजस्थान में भाजपा राज’ बनाने की राय प्रकट कर रहे हैं, असल में यह उनकी अपनी निजी मंशा के बिलकुल विपरीत है क्योंकि वे तो वे तो श्रीमती वसुंधरा राजे समेत प्रदेश के किसी अन्य भारतीय जनता पार्टी के नेता की तुलना में अपने आप को मुख्यमंत्री के रूप में सबसे अधिक प्रबल दावेदार मानते हैं।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर गजेंद्र सिंह शेखावत की राजनीति प्रेरित भावना की अभिव्यक्ति के सार्वजनिक होने के बाद कांग्रेस ने भी कटाक्ष किया है कि ‘यह राजस्थान की जनता के प्रति भारतीय जनता पार्टी के निकृष्ट और कुंठित सोच का प्रमाण है।’
वैसे पिछले विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर किए गए वायदे के बाद बीते साढ़े चार सालों में जो कुछ घटा है, वह केंद्रीय नेताओं की संकीर्ण सोच का ही नतीजा है क्योंकि सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि जो जल संसाधन मंत्रालय इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलवाने में अहम भूमिका निभा सकता है, उसके ही मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ही तो पिछले साढ़े चार सालों से इस परियोजना को लेकर खामोश बैठे रहे और अब तो उनके इस कथन से उनकी और उनकी सरकार की बदनीयती भी स्पष्ट हो गई है कि- “भाजपा की सरकार बना दो, 46 हजार करोड़ रुपए दिलवा दूंगा।”
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)