किसानों को अपनी जमीन किसी भी कीमत पर नहीं बेचनी चाहिए- सेजल स्वामी

-जैविक उत्पादों को बाजार मिलेगा

-बृजेश विजयवर्गीय-

कोटा। श्री श्री आर्ट ऑफ लिविंग इंस्टीट्यूट आफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी ट्रस्ट की प्रभारी सेजल स्वामी ने कहा है कि कृषि योग्य भूमि को किसी भी कीमत पर बचाया जाना चाहिए। उन्होंने सूरत में इस बात पर चिंता व्यक्त की की किसान भाई कृषि कार्य को मुनाफा ना समझ कर बोझ समझने के कारण ओने पौने दामों में बेच देते हैं । कृषि योग्य भूमि को बड़ी कंपनियां या उद्योगपति खरीद लेते हैं और वही किसान उनके यहां छोटे-छोटे काम्या मजदूरी करता देखा जा सकता है। श्रीमती सेजल कोटा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित श्री श्री प्राकृतिक खेती विषय पर दो दिवसीय सेमिनार में बोल रही थी । पर्यावरणविद् बृजेश विजयवर्गीय, जैविक खेती के प्रेरक युधिष्ठिर चानसी के साथ परिचर्चा में
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के द्वारा हम खेती की लागत को कम कर सकते हैं और आमदनी भी बढ़ा सकते हैं उन्होंने गाय का गोबर और गोमूत्र संबंधी सभी बातों को तकनीकी कसोटी के माध्यम से बताया कि जैविक खेती और जीवामृत मिट्टी इन सब से हम प्राकृतिक खेती को जीवंत बना सकते हैं ।उन्होंने मिट्टी की संरचना और सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति उसमें नदी एवं मिट्टी के पोषक तत्वों की विस्तार से जानकारी देते हुए प्राकृतिक खेती यानी जैविक खेती को उपयोगी बताते हुए कहा कि हमें आने वाली पीढ़ी के लिए अच्छा स्वास्थ्य और अच्छा पर्यावरण लेकर जाना है और यह सब प्राकृतिक खेती से ही संभव है उन्होंने रासायनिक कीटनाशक के दुष्प्रभावों को भी विस्तार से बताया और कहा कि रासायनिक खेती और कीटनाशकों के इस्तेमाल से हमारे खाद्यान्न जहरीले हो गए हैं जिससे से कैंसर जैसी घातक कई बीमारियां हमारे परिवार तक घुस गई हैं। उन्होंने कहां की किसान खुद को उद्योगपति समझकर खेती की प्लानिंग उद्योग की तरह करें और इस तरह की फसलें पैदा करें जिसकी बाजार में मांग है मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाते हुए कृषि उपज करें ना की किसी की नकल करके खेती करें सेजल स्वामी ने बताया कि गुजरात में आवारा गायों को नगर पालिका उन लोगों को देती है जो प्राकृतिक खेती कर रहे हैं इसमें बछड़ा वह बैल तथा गाय उन में कोई अंतर नहीं किया जाता सभी को गोधन माना जाता है गाय काजी अमृत के समान है इसीलिए कहावत बनी है कि उधार लेकर भीगी पिया जाए उन्होंने बताया कि किस प्रकार भूमि की नमी को कायम रखा जाए इसके लिए मल्चिंग तकनीक के इस्तेमाल की सलाह दी किसानों का आह्वान किया कि अनवरत खेती किसानी करें उसे फालतू न छोड़ें।
सेजल ने बताया कि श्री श्री इंस्टीट्यूट राजस्थान में जैविक उत्पादों की मार्केटिंग के लिए एक कार्य योजना बनाकर प्रमुख शहरों में इसका बाजार विकसित करने का प्रयास कर रहा है इसके लिए प्रभारियों की नियुक्ति शीघ्र की जाने वाली है सरकार भी अपने स्तर पर प्रयास कर रही है लेकिन जैविक उत्पादक किसानों को खुद आकर आकर अपनी मार्केटिंग संभाल नहीं चाहिए।

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments