कोटा कोचिंग का या छात्रों की आत्महत्या का बड़ा केंद्र?

-कृष्ण बलदेव हाडा –

कोटा अभी नीट की तैयारी कर रहे रामपुर (उत्तर प्रदेश) से आए कोचिंग छात्र मनजोत सिंह छाबड़ा (18) की संदिग्ध मौत के सदमे से उबर भी नहीं पाया था कि गुरुवार रात को कोटा में एक और कोचिंग छात्र ने फांसी का फंदा लगाकर अपनी जान दे दी। इसके बाद तो जिस तरह से कोटा शहर में लगातार कोचिंग छात्रों की आत्महत्या करने की घटनाएं हो रही है, उसे देखते हुए लगता है कि कोटा कोचिंग ही नही बल्कि कोचिंग छात्रों की आत्महत्या का भी एक बड़ा केंद्र बनता जा रहा है क्योंकि कोटा में इस महीने के पहले 10 दिन में ही तीन कोचिंग छात्रों की मौत हो चुकी है।
कोटा में गुरुवार रात जिस छात्र मनीष प्रजापति (17) ने अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या की, वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का रहने वाला था और करीब छह माह पहले ही कोचिंग के लिए कोटा आया था। कल रात को करीब आठ बजे अपने कमरे में लौटा था। इसके पहले उसके पिता संतोष प्रजापति कोटा आए हुए थे और उससे मिलने के बाद गुरूवार तीसरे पहर ही रेलगाड़ी से आजमगढ़ के लिए रवाना हुए थे। इसी बीच कल रात फांसी का फंदा लगाकर पुत्र के आत्महत्या कर ली तो इस बारे में सूचना मिलने पर उसके पिता बीच रास्ते से ही वापस कोटा लौट आए।
इस अगस्त महीने के महज 10 दिन में कोटा में किसी कोचिंग छात्र की संदिग्ध अवस्था में मौत की यह दूसरी घटना है। इससे पहले विज्ञान नगर थाना क्षेत्र में एक निजी हॉस्टल में रहने वाले उत्तर प्रदेश के ही रामपुर निवासी एक कोचिंग छात्र मनजोत सिंह छाबड़ा (18) की बेहद संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई थी और उसके पिता हरजोत सिंह ने तो अपने पुत्र की आत्महत्या का नहीं बल्कि इसे उसकी हत्या का मामला बताते हुए कोटा के सिख समुदाय के लोगों के साथ पुलिस के उच्चाधिकारियों को शिकायत की थी जिसके बाद पुलिस को हत्या का मुकदमा दर्ज करने को मजबूर होना पड़ा था।
मनजोत सिंह छाबड़ा का शव जब उसके कमरे में मिला तब उसके मुंह पर पॉलीथिन लिपटी हुई थी और हाथ पीछे रस्सी से बंधे हुए थे। ऐसे में पिता हरजोत सिंह छाबड़ा का आरोप था कि जिस परिस्थिति में उनके पुत्र का शव मिला है, उसमें वह आत्महत्या का मामला किसी से सूरत में नहीं हो सकता वह हत्या का मामला है। बाद में उनके अनुरोध और कोटा के सिख समुदाय के उनके साथ एकजुट हो जाने पर पुलिस को मजबूर होकर न केवल हत्या का मुकदमा दर्ज करना पड़ा बल्कि इस मामले के जांच अधिकारी पुलिस उप अधीक्षक धर्मवीर सिंह को बदलना पड़ा और अब जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भगवत सिंह हिंगड़ को सौंपना पड़ा। मनजोत सिंह की संदिग्ध मौत के बाद अभी 10 दिन भी नहीं बीते थे कि एक ओर कोचिंग छात्र ने आत्महत्या कर ली ।
इसके एक सप्ताह पहले बीते शुक्रवार की रात को किसी समय बिहार के मोतिहारी जिले के रहने वाले एक कोचिंग छात्र बार भार्गव मिश्रा (17) ने कोटा के महावीर नगर तृतीय में एक निजी आवास में पेइंग गेस्ट की हैसियत से रहने वाले कोचिंग छात्र भार्गव मिश्रा ने फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली इस घटना का पता बीते सप्ताह में शुक्रवार रात उस समय लगा जब इस छात्र ने रात को करीब नौ बजे उसकी मां का फोन कॉल नही उठाया। बाद में सूचना मिलने पर जब कमरे का दरवाजा खोल कर मकान मालिक अंदर पहुंचे तब पता चला कि छात्र ने फांसी के फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली है। वह करीब चार महीने पहले ही कोटा में कोचिंग के लिए आया था।
कोटा में कोचिंग छात्रों के लगातार आत्महत्या करने के बावजूद कोटा पुलिस ने दो-तीन दिन पहले ही यह दावा किया था कि कोटा में जिन भी कोचिंग छात्रों ने अपनी शिकायतें पुलिस के पोर्टल पर की है, उनमें से दो को छोड़कर बाकी का निस्तारण कर दिया गया है।
कोटा में असल में कोचिंग छात्रों से जुड़ी समस्याएं पुलिस या प्रशासन से संबंधित तो हो सकती है लेकिन उनका सबसे ज्यादा संबंध कोचिंग संस्थानों, हॉस्टलों, मैंस संचालकों के नकारात्मक रवैया की वजह से ज्यादा है जिनकी वजह से कई कोचिंग छात्र तनाव में आ जाते हैं।
यहां कोचिंग संस्थानों में छात्रों को ‘भरा’ जाता है और यह दावा किया जाता है कि उनके सबसे अधिक छात्र अच्छे परिणामों के साथ विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं में उत्तीर्ण होते हैं, लेकिन यह कभी नहीं बताया जाता कि यह उनके यहां के भीड़ भरे कोचिंग संस्थानों में महज कितने से प्रतिशत होते है?
मोहक विज्ञापनों के माया जाल में फंसकर कोटा पहुंचने वाले अभिभावकों से मोटी फीस वसूल कर भारी तादाद में छात्रों को भर्ती करने वाले कोचिंग संस्थान में महज ऎसे कुछ ही सर्वश्रेष्ठ छात्रों का चयन करके उनकी अलग से अध्ययन और उनके अलग से अध्यापन की व्यवस्था की जाती है जिसके चलते यहां के छात्र इन प्रवेश परीक्षाओं में उत्तीर्ण होते हैं और उसके बाद अपने आर्थिक संसाधनों के दम पर मीडिया समूहों को मोटे विज्ञापन देकर अपनी उपलब्धियों को विज्ञापित करते हैं जिसकी एवज में यह मीडिया समूह साल के बकाया दिनों को इन कोचिंग संस्थानों का गुणगान करने में व्यतीत करते हैं जिन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं होता कि इन छात्रों के आत्महत्या करने के कारण कोटा में कोचिंग करने आने वाले अन्य छात्रों की मनोदशा पर कितना प्रतिकूल असर पड़ रहा है?

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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श्रीराम पाण्डेय कोटा
श्रीराम पाण्डेय कोटा
2 years ago

कोचिंग सिटी कोटा अब बच्चों की सुसाइड कैपिटल के नाम से कुख्यात हो रही है. देश के निजी तथा सरकारी विद्यालयों की शिक्षा का स्तर निम्नस्तर होने के कारण ही युवा छात्र कोचिंग की ओर रुख रहे रहे हैं केन्द्र तथा राज्य सरकारों को इस दिशा में तत्काल उपाय खोजने चाहिए ताकि कोचिंग की शोषणकारी व्यवस्था से छुटकारा मिल सके.