
-प्रतिभा नैथानी-
(लेखिका के समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में नियमित लेख एवं कविताएं प्रकाशित होते हैं)
29 मई 1953 इतिहास की वह तारीख़ है, जब तेनजिंग नोर्गे और एडमंड हिलेरी ने माउंट एवरेस्ट फतह किया था।
इस बात की ख़बर लगते ही पूरे विश्व में दोनों के नाम का डंका बज गया । नेपालवासी जश्न में डूब गए। तेनजिंग नोर्गे नेपाल के हीरो घोषित हुए तो वहीं एडमंड हिलेरी को भी उनके देश न्यूजीलैंड ने सर का खिताब दिया।

ब्रिटेन की महारानी ने भी एडमंड और तेनजिंग दोनों को ख़ूब मान-सम्मान दिया। इस जोड़ी के एवरेस्ट फतह करने से पहले भी लगभग 1200 पर्वतारोही अलग-अलग समय पर यह प्रयास कर चुके थे। किंतु पहली कामयाबी जैसे इन्हीं के नाम लिखी हुई थी।
बर्फीली चोटियों पर आरोहण का अपना अलग ही रोमांच
और यहीं से शुरू होती है हिमालय की दुर्गति की कथा। इसकी बर्फीली चोटियों पर आरोहण का अपना अलग ही रोमांच है, किंतु इन्हें फतह करने के बाद मिलने वाले मान-सम्मान का आकर्षण इस रोमांच से कहीं ज्यादा। तभी तो सैकड़ों पर्वतारोही अपनी जान जोख़िम में डालकर प्रतिवर्ष इन चोटियों पर चढ़ाई करते हैं। मानव गतिविधियों के कारण हिमालय को क्या नुकसान हो रहे हैं, यह अब किसी से छुपा हुआ नहीं है। हिमालय बचाओ रैलियां, सेमिनार, गोष्ठियों के सिवा हिमालय बचाने का कोई कारगर तरीका किसी के पास नहीं। यह ठीक उसी तरह साबित हो रहा है जिस तरह ‘गंगा बचाओ’ अभियान में अरबों रुपए ख़र्च होने के बावजूद कई दशक बाद भी गंगा मैली ही रही।
पर्वतारोहण से नौकरी प्राप्त करने की राह आसान
रीता गोंबू पर्वतारोही तेनजिंग नोर्गे की पोती हैं, जिन्होंने प्रथम महिला एवरेस्ट विजेता बछेंद्री पाल और अर्जुन पुरस्कार प्राप्त पर्वतारोही चंद्रप्रभा एतवाल वाले दल में शामिल होकर अलग-अलग समय पर एवरेस्ट फतह करने का प्रयास किया था। आज़ वह देहरादून स्पोर्ट्स कॉलेज में अध्यापिका हैं। बछेंद्री पाल भी टाटा स्टील जमशेदपुर में कार्यरत हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि साहसिक खेलों का दर्ज़ा प्राप्त होने के कारण पर्वतारोहण वह जरिया भी है जिससे नौकरी प्राप्त करने की राह आसान हो जाती है।
माउंट एवरेस्ट में आशा की किरण नज़र आई
संतोष यादव वह महिला हैं जिन्होंने दो बार एवरेस्ट पर विजय प्राप्त की । प्रेमलता अग्रवाल को लोग अणतालीस वर्ष की वरिष्ठ आयु में एवरेस्ट विजय के कारण भली-भांति जानते हैं। इसी तरह अर्जुन बाजपेई सबसे कम उम्र में एवरेस्ट विजेता बनने वाले सुप्रसिद्ध पर्वतारोही हैं। उत्तर प्रदेश की अरुणिमा सिन्हा नामक एक महिला खिलाड़ी से लूटपाट के बाद बदमाशों ने उन्हें ट्रेन से नीचे फेंक दिया था, जिसमें उनकी एक टांग कट गई थी। वालीबॉल में राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी थीं वह, लेकिन इस दुर्घटना के बाद खेल में अब उनके लिए कुछ नहीं बचा था। अन्धकार मय भविष्य को आशा की किरण नज़र आई माउंट एवरेस्ट में। कुछ ठान कर नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से उन्होंने ट्रेनिंग ली और अंततः एवरेस्ट फतह भी कर लिया। एक दिव्यांग महिला द्वारा एवरेस्ट विजय का यह पहला मौका होने के कारण अरुणिमा सिन्हा को राज्य सरकार से पच्चीस लाख रुपए के साथ-साथ पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया।
सम्मान भी मिला
पर्वत चढ़कर इतिहास रचने वालों को तो निसंदेह बहुत कुछ हासिल हो जाता है, लेकिन हिमालय के हिस्से आती है केवल- क्षति। हिमालय रौंदकर अपना लोहा मनवाने के साथ यदि हिमालय बचाने के लिए भी कुछ किया जाता तो वह ज्यादा सार्थक होता। एडमंड हिलेरी ने माउंट एवरेस्ट के बाद भी दुनिया की कई और चोटियों पर विजय पताका फहराई थी। हिमालय ने जितनी यश और प्रसिद्धि उन्हें दिलवाई उन्होंने भी हिमालय वासियों की तरक्की के लिए उतने ही बढ़-चढ़कर प्रयास किए।
कचरा छोड़ आने के संदर्भ में कुछ प्रतिबंध लगाने आवश्यक
तेनजिंग नोर्गे दार्जिलिंग में रहते थे, एडमंड हिलेरी ने उनके साथ मिलकर वहां स्कूल खुलवाए। नेपाल की साक्षरता बढ़ाने के उद्देश्य से एडमंड हिलेरी और नोर्गे ने वहां भी स्कूलों की स्थापना करवाई। वर्तमान पर्वतारोहियों से प्रश्न है कि चोटियों पर झंडा फहराने के सिवा आपने क्या किया ? चढ़ाई करने से किसी को रोका तो नहीं जा सकता लेकिन वहां जाकर कचरा छोड़ आने के संदर्भ में कुछ प्रतिबंध लगाने आवश्यक हैं। हिमालय बचाओ के नारे लगाने से हिमालय नहीं बचेगा। अपने ज़ख्म भरने में वह स्वयं सक्षम है, उसे बस एकांत चाहिए। दे सकेंगे हम ?
पर्वतारोहण,कौतूहल,आत्म विश्वास पैदा करने तथा यश अर्जित करने का साधन हो सकता है लेकिन प्रकृति से छेड़छाड़ आत्मघाती सिद्ध होता है। हिमाचल क्षेत्र में बादल फटना,अति वृष्टि ,भूस्खलन जैसी विपदाओं का होना, ग्लेशियर का पिघलना जैसी घटनाएं भविष्य के विनाश की ओर इशारा करती हैं। हिमाचल को बचाने के लिए पर्यटन पर नियंत्रण, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर अंकुश जरुरी है। प्राकृतिक दृश्यावलोकन दूर से सुहाना लगता है, इनमें घुसपैठ से बचने के प्रयास किए जाने चाहिए।