#सर्वमित्रा_सुरजन
छह दिनों की विदेश यात्रा के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार की सुबह भारत वापस लौटे। भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी अन्य नेताओं के साथ उनका स्वागत करने विमानतल पहुंचे थे। खबरों के मुताबिक श्री मोदी ने देश पहुंचते ही अपनी पार्टी के नेताओं से सवाल किया कि भारत में क्या हो रहा है। भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘उन्होंने नड्डा जी से पूछा कि यहां कैसा चल रहा है, और नड्डा जी ने उन्हें बताया कि पार्टी के नेता उनकी सरकार के नौ वर्षों के रिपोर्ट कार्ड के साथ लोगों तक पहुंच रहे हैं और देश खुश है।’
यह समझना कठिन नहीं है कि देश खुश है का मिथक प्रधानमंत्री को खुश रखने के लिए गढ़ा जा रहा है। क्योंकि देश के हालात समझने के लिए फिलहाल मणिपुर का उदाहरण ही काफी है, जहां पिछले डेढ़ महीनों से हिंसक तनाव पसरा हुआ है। अगर मणिपुर के लोग दर्द में हैं, तो फिर देश को खुश कैसे कहा जा रहा है। इतनी आसानी से भाजपा अध्यक्ष मणिपुर के दुख को शेष देश से किस तरह काट सकते हैं। यह भी आश्चर्य की बात है कि सूचना तकनीकी के इस जमाने में प्रधानमंत्री को ये खबर नहीं है कि देश में क्या चल रहा है, भारत में क्या हो रहा है। अभी अमेरिका दौरे पर श्री मोदी ने कई रक्षा और रणनीतिक सौदों पर हस्ताक्षर किए। उनके दौरे की सफलता में एक उपलब्धि में यह भी है कि अमेरिका तकनीकी साझा करने पर राजी हुआ है।
लेकिन भारत ने भी इतनी प्रगति संचार क्षेत्र में तो कर ही ली है कि देश में क्या हो रहा है, इसकी पल-पल की जानकारी विदेश गए प्रधानमंत्री तक पहुंचा दे। प्रधानमंत्री राजकीय यात्रा पर ही थे, छुट्टियों पर नहीं कि उनका फोन बंद हो और उन्हें किसी बात को लेकर परेशान न किया जाए। मणिपुर में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि उन्हें संभालने का कोई ओर-छोर नजर नहीं आ रहा, ये बात क्या प्रधानमंत्री तक भाजपा नेताओं ने नहीं पहुंचाई। क्या उन तक सर्वदलीय बैठक की खबर नहीं पहुंची है। या उनके लिए देश का मतलब भाजपा से है और वे भाजपा के हालचाल श्री नड्डा से ले रहे थे।
गौरतलब है कि 24 जून को भाजपा सरकार ने मणिपुर के हालात पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस दौरान प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति पर सवाल उठे, लेकिन भाजपा ने हमेशा की तरह किसी को जवाब देना जरूरी नहीं समझा। भाजपा के रवैये से शिकायत के बावजूद कई दलों के नेता इस उम्मीद के साथ बैठक में शामिल हुए कि उनके विचारों को सुना जाएगा, उन्हें बोलने के लिए पर्याप्त वक्त दिया जाएगा। कांग्रेस की ओर से मणिपुर में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके इबोबी सिंह बैठक में शामिल हुए, लेकिन उन्होंने बाद में निराशा व्यक्त की कि उन्हें बोलने के लिए बहुत कम वक्त मिला। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस बारे में कहा कि तीन घंटे की बैठक में केवल 7-8 मिनट इबोबी सिंह को दिए गए, जबकि वे मणिपुर को सबसे अच्छे से समझते हैं। कांग्रेस ने एक बार फिर प्रधानमंत्री से अपनी चुप्पी तोड़ने का आह्वान किया और मांग की कि मणिपुर के मुख्यमंत्री को तुरंत बर्खास्त किया जाए, क्योंकि हालात संभालने में वे विफल रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी अगर वाकई जानना चाहते हैं कि देश में क्या चल रहा है, तो उन्हें अपनी पार्टी के नेताओं के साथ विपक्षी नेताओं की बात भी सुनना चाहिए और फिर फैसला लेना चाहिए। श्री मोदी जब भाजपा नेताओं की बात सुन ही रहे हैं, तो उन्हें हिमंता बिस्वासरमा और निर्मला सीतारमण की बातों पर भी गौर फरमाना चाहिए, जिन्होंने इस वक्त श्री मोदी की ढाल बनने का स्वत:स्फूर्त निर्णय लेते हुए बराक ओबामा के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सीएनएन को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि हिंदू बहुसंख्यक भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का उल्लेख किये जाने योग्य है। यदि मेरी मोदी से बात होती तो मेरी दलील होती कि यदि आप अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा नहीं करते हैं तो मुमकिन है कि आगे भारत में अलगाव पैदा हो। श्री ओबामा की बातों से सहमति होना आवश्यक नहीं है।
लेकिन अगर श्री मोदी भारत के डीएनए में लोकतंत्र की बात करते हैं, तो फिर उनके नेताओं में अच्छी और बुरी दोनों तरह की बातें सुनने और सहने का माद्दा होना चाहिए। बराक ओबामा को उनके राष्ट्रपति रहते प्रधानमंत्री मोदी ने अपना मित्र बताते हुए उनके पहले नाम बराक से संबोधित किया था, यह कूटनीतिक शिष्टाचार नहीं था, लेकिन श्री मोदी ने उनसे महज निकटता के नाते ऐसा किया। अब उन्हीं बराक ओबामा ने अल्पसंख्यकों पर नसीहत क्या दे दी, मोदीजी के सिपहसालार उन पर हमलावर हो गए। हिमंता बिस्वासरमा ने ट्वीट किया कि देश में कई ‘हुसैन ओबामा’ हैं और राज्य की पुलिस इस पर कार्रवाई करेगी।
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘ओबामा जी को ये नहीं भूलना चाहिए कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो विश्व में रहने वाले सभी लोगों को भी परिवार का सदस्य मानता है. उनको अपने बारे में भी सोचना चाहिए कि उन्होंने कितने मुस्लिम देशों पर हमला किया है।’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ‘…यह आश्चर्य की बात थी कि जब प्रधानमंत्री अमेरिका के दौरे पर थे तो एक पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति भारतीय मुसलमानों पर बयान दे रहे थे… मैं सावधानी के साथ बोल रही हूं, हम अमेरिका के साथ दोस्ती चाहते हैं, लेकिन वहां से भारत की धार्मिक सहिष्णुता पर टिप्पणियां की गईं। उनके (ओबामा) शासन में छह मुस्लिम बहुल देशों पर बमबारी की गई। 26,000 से अधिक बम गिराए गए… लोग उनकी बातों पर कैसे भरोसा करेंगे?’
तो देश में ये चल रहा है कि कल तक मोदीजी जिन्हें अपना गहरा मित्र बता रहे थे, अब उन्हें वित्त मंत्री भरोसे के लायक नहीं बता रही हैं। दरअसल यह भरोसे की नहीं सहिष्णुता की बात है, जो इस वक्त देश में बिल्कुल नहीं देखी जा रही है। मणिपुर के हालात भी इसलिए बिगड़े क्योंकि भाजपा ने दूसरे दलों की राय सुनने की सहनशीलता नहीं दिखाई। देखना ये है कि मोदीजी देश लौटकर हालात संभाल पाते हैं या नहीं।
(देवेन्द्र सुरजन की वाल से साभार)