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प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर बिहार का एक गांव। फोटो विष्णु देव मंडल

विष्णु देव मंडल
चेन्नई। बिहार में जेडीयू का भाजपा से गठबंधन टूटने और आरजेडी के साथ सरकार बनने के बाद कुछ ऐसी आपराधिक वारदातें हुई जिससे देश के अन्य हिस्सों में कार्यरत बिहार के प्रवासियों में अपने परिजनों को लेकर चिंता व्याप्त हो गई है। इनमें हत्या, डकैती, चोरी और लूटपाट के मामले शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि देश में सबसे कम रोजगार के अवसर वाले राज्यों में बिहार प्रमुख है। इसी वजह से यहां के निवासी देश के हर कोने में कामकाज वास्ते बसे हैं। कश्मीर से

विष्णु देव मंडल

कन्याकुमारी तक बिहारी प्रवासी मिल जाएंगे। जिनमें से अधिकांश अपने परिवार को गांव में ही छोड़ आते हैं। बहरहाल देश के प्रमुख मेन्युफेक्चरिंग हब चेन्नई में भी बडी संख्या में बिहार के निवासी रहते हैं। उनमें से अधिकांश लोगों को इस बात की चिंता सता रही है कि बिहार में यदि इसी तरह अपराधों का ग्राफ बढा तो उनके परिवार कैसे सुरक्षित रहेंगे।

नामजद अभियुक्त का नाम बताने पर ही एफआईआर

चेन्नई कोलातूर निवासी पंकज कुमार झा सीतामढ़ी,बिहार के स्थाई निवासी हैं। उनका पूरा परिवार गांव में रहता हैं। वह पिछले दो दशक से चेन्नई में प्रवासित हैं। पिछले शनिवार को उनके घरों के अलावा कुछ अन्य घरों में भी चोरी की वारदात हुई। चोर कई मूल्यवान वस्तुएं ले गए। उन्होंने बताया की जब से बिहार में सत्ता परिवर्तन हुआ है, तब से अपराधी बेलगाम हो गए हैं। सीतामढ़ी जिले में भी पिछले कुछ दिनों में कई हत्या, चोरी, डकैती और लूटपाट के वारदातें हुई हैं। पुलिस मामला दर्ज करने से भी कतरा रही हैं। उन्होंने कहा कि उनके परिवार के सदस्य कई बार थाने में चोरी की वारदात के बारे में रिपोर्ट करवाने के लिए गए थे लेकिन थाने में रिपोर्ट नहीं ली गई। वह आज चेन्नई से सीतामढ़ी जा रहे हैं। शिवहर, बिहार निवासी सूर्यकांत कहते हैं की उनके घरों में भी पिछले दिनों चोरों ने मूल्यवान वस्तुओं की चोरी कर ली और जब परिजन थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने गए तो थानेदार ने मामला दर्ज करने से मना कर दिया। उनका कहना था की आप नामजद अभियुक्त का नाम बताएं। फिर एफआईआर दर्ज की जाएगी।

डर है कि कहीं उनके परिवार को नाहक परेशान न किया जाए

मंदवली, चेन्नई, में एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत सुधांशु का कहना है कि उनके परिवार मधुबनी जिले के झंझारपुर में रहते है। जब से बिहार में सरकार बदली है, उनके परिवार के साथ भी जमीन विवाद के नाम पर मारपीट की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार बदलने के कारण वहां सिस्टम फेल हो गया है। प्रभावशाली स्थानीय नेताओं के कहने पर शरीफ लोगों को फंसाया जा रहा है। उन्हें डर है कि कहीं उनके परिवार को भी नाहक परेशान न किया जाए। सुपौल बिहार निवासी दीपा शंकर भी बेहद चिंतित है। वह अन्ना नगर की एक आईटी कंपनी में कार्यरत हं।ै उन्हें इस बात का डर है कि बिहार में पटना समेत सभी जिले अति संवेदनशील हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब पहली बार मुख्यमंत्री बने तब राज्य में वर्ष 2005 से 2013 तक सुशासन के कारण उन्हें काफी सम्मान मिला। लेकिन इसके बाद के कार्यकाल में वह बिहार में सुशासन को बरकरार नहीं रख पाए। पिछले दिनों पटना में एक फौजी जवान और एक छात्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। ऐसी घटनाओं से प्रवासी बिहारी सदमे में है!

(लेखक चेन्नई में ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय से जुड़े हैं और अंशकालिक पत्रकार हैं )

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