
-संजीव कुमार-
हाल में आई महारानी-2 वेबसीरीज बिहार की पृष्ठभूमि पर आधारित एक राजनीतिक परिवेश को दर्शाती है। यह आजकल सोनी लिव पर स्ट्रीम हो रही है। पिछले साल जब इसका सीजन वन आया था, तब इसे लालू यादव और राबड़ी देवी की कहानी कहा जा रहा था। ताजा सीजन पिछले सीजन की कहानी को ही आगे बढ़ाता है। सुभाष कपूर की महारानी के पहले सीजन के

निर्देशक करण शर्मा थे, तो नए सीजन को रवीन्द्र गौतम ने निर्देशित किया है। इसके दृश्यों को देखकर कभी कभी प्रकाश झा की याद आ जाती है। अगर आप राजनीति पसंद करते हो, तो यह सीरीज आपके लिए है। कुल दस एपीसोड की कहानी में बिहार के जातीय समीकरणों को ढंग से उभारा गया है।
कहानी: वेबसीरीज महारानी की कहानी वास्तविक राजनीति से प्रेरित है। हालांकि सीरीज निर्माता-निर्देशक इसका किसी भी राजनीतिज्ञ से प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष संबंध होने से इनकार करते हैं। सीरीज में रानी भारती का किरदार राबड़ी देवी तो भीमा भारती का करेक्टर लालू प्रसाद यादव से प्रेरित है। लालू प्रसाद यादव भी चारा घोटाले में फंसे हैं, वहीं सीरीज में इसे दाना घोटाला बताया गया है। घोटाले में फंसने के बाद लालू अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सीएम बना देते हैं। उस वक्त राबड़ी देवी की स्थिति वही थी, जो सीरीज में रानी भारती की नजर आ रही है। सीरीज में नवीन कुमार का किरदार नीतीश कुमार से प्रेरित है, जिनकी स्वच्छ छवि है। नवीन कुमार ठीक उसी तरह एक चुनावी रणनीतिकार को हायर करते हैं,जैसे नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को किया था। सीरीज में लालू के साले साधु यादव और बाहुबली शहाबुद्दीन का किरदार क्रमशः संयासी और परवेज आलम के रूप में है।
सीरीज की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां से पहले सीजन की कहानी खत्म होती है। पहले सीजन में रानी भारती(हुमा कुरैशी) को अनपढ़, बेबस और लाचार दिखाया जाता है जिसमें शासन की असली बागडोर जेल में बंद उनके पति भीमा भारती(सोहम शाह) के हाथ में रहती है। सीजन दो में दिखाया गया है कि कैसे रानी भारती धीरे-धीरे शासन की बागडोर अपने हाथ में लेना शुरू करती हैं, जिससे उसका पति भीमा ही उसका दुश्मन बन जाता है। भीमा रानी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान करता है। पति-पत्नी की इस लड़ाई का सबसे ज्यादा फायदा नवीन कुमार (अमित सियाल) उठाते हैं। उन्हें सूबे की सियासत में अहमियत मिलने लगती है। 17 साल से सीएम बनने का इंतजार कर रहे नवीन कुमार एक राजनीतिक रणनीतिज्ञ को हायर करते हैं और सत्ता प्राप्ति के लिए हर तरह के दांव पेंच चलते हैं। कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ती है। भीमा भारती एक अन्य महिला के साथ रहने लगते हैं, उसे अपनी नई पार्टी में एक महत्वपूर्ण ओहदा भी दे देते हैं। इससे उनके सबसे करीबी सलाहकार मिश्रा जी (प्रमोद पाठक) खफा हो जाते हैं और भीमा का साथ छोड़ देते हैं। वहीं रानी भारती की सहयोगी आईएएस अफसर कावेरी श्रीधरन (कनि कुसृति)अपनी नौकरी को छोड़कर पूरी तरह से राजनीति में उतर आती है और रानी भारती का हर तरह का सहयोग करती है। कोवरी और रानी की जोड़ी अपने दम पर चुनाव लड़ती है और सूबे में सबसे बड़े दल के रूप में उभरती है। नए कलाकारों की एंट्री के साथ नया सीजन 90 के दशक में देश में पैदा हुए कई राजनीतिक मुद्दे भी दिखाता है, जिसमें मंडल कमीशन, आरक्षण और अलग झारखंड की मांग भी शामिल है। क्या नवीन कुमार का सीएम बनने का सपना पूरा होता है, क्या रानी भारती को दोबारा गद्दी मिल पाती है, भीमा भारती का अंत में क्या होता है, इन सब सवालों के जवाब तो आपको सीरीज देखने पर ही मिल पाएंगे।
महफिल लूट ली हुमा कुरैशी ने
अगर बात कलाकारों के अभिनय की करें तो इसमें कोई दो राय नहीं कि सीरीज का सबसे बड़ा आकर्षण तो रानी भारती की भूमिका में हुमा कुरैशी का दमदार अभिनय है। पहले सीजन की तुलना में दूसरे सीजन में उनका अभिनय निखर कर सामने आया है। वे सभी कलाकारों से इक्कीस ही रहीं। हालांकि दूसरे सीजन में भी पहले सीजन की तरह उन पर दर्शकों की अपेक्षा पर खरे उतरने का दवाब साफ नजर आया, लेकिन उन्होंने कतई निराश नहीं किया। भीमा भारती के रोल में सोहम शाह अच्छे और प्रभावशाली लगे। तुंबाड जैसी फिल्म में अपने अभिनय का जौहर दिखा चुके शाह ने लालू यादव के किरदार को पर्दे पर जीवंत कर दिया। नवीन कुमार की भूमिका में अमित सियाल पूरे बिहारी रंग में रंगे नजर आए। कई वेबसीरीज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे सियाल का अभिनय लगातार दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ रहा है। कमियों की अगर बात करें तो इसमें पूर्वानुमेय कथानक और अजीब मेलोड्रामा है।
कलाकार-हुमा कुरैशी, सोहम शाह, अमित सियाल, दिव्येंदू भट्टाचार्य, कनि कुसृति,विनीत कुमार, पंकज झा, अनुजा साठे आदि।
कहानी-सुभाष कपूर, नंदन सिंह और उमाशंकर
निर्देशन-रविंद्र गौतम
संगीत-रोहित शर्मा
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)

















