-विष्णु देव मंडल-

एक वक्त था जब भारत की प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी देश के पक्ष में सीमा विवाद या फिर किसी भी मसले पर बेहतर काम करती थीं तो विपक्ष के नेता दिवंगत अटल बिहारी बाजपेयी उनके फैसले को भरपूर समर्थन देते थे लेकिन पिछले कुछ वर्षों से कई महत्वपूर्ण मुद्दे सीमा विवाद या फिर हमारे सैनिकों के पराक्रम पर पक्ष और विपक्ष में हुए विवाद देश के हित में नहीं है!
बहरहाल अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत चीन सैनिक आमने-सामने हैं। बीते 9 दिसंबर को भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को एलएसी से खदेड़ कर भगाया। दोनों देशों के सैनिकों के बीच धक्का-मुक्की और बल प्रयोग भी हुआ।
दोनों तरफ से सीमा पर युद्ध के हिसाब से टैंक और अन्य हथियार जुटाए जा रहे हैं।
लेकिन भारत के राजनीतिक पार्टियां पक्ष और विपक्ष खासकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच वाक युद्ध जारी है।
बताते चलें कि पिछले दिनों कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारत जोडो यात्रा के दरमियान पत्रकारों को संबोधित करते हुए यह आरोप लगाया था कि अरुणाचल स्थित तवांग बॉर्डर पर भारत और चीन के बीच स्थिति ठीक नहीं है। चीन के सैनिक हमारे भारतीय सैनिकों को पीट रहे हैं और नरेंद्र मोदी का सरकार नींद में है। राहुल गांधी के अनुसार चीनी सैनिकों ने हमारा 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है लेकिन भारतीय मीडिया भाजपा सरकार या मोदी से सवाल नहीं पूछते लेकिन हमसे हर आड़े तिरछे सवाल पूछे जाते हैं?
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे मौजूदा चीन और भारत के बीच सीमा विवाद से जुड़े मामले पर संसद में बहस चाहते हैं वही भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता राजीव भाटिया के मुताबिक चीन और भारत के सीमा विवाद के बारे में जो स्थिति पैदा हुई है उस पर भारतीय संसद में चर्चा होना उचित नहीं है। यह कॉन्फिडेंशियल मामला है जिसे हम उजागर नहीं कर सकते।
वहीं भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को अपने संबोधन में बताया की तवांग में स्थित अनुकूल बनी हुई है। किसी तरह के भय की जरूरत नहीं है। भारतीय सेना चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है इसीलिए देश को चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारा इरादा साफ है हम किसी की जमीन को कब्जाने के पक्ष में नहीं है, अगर यदि किसी ने हमारी जमीन को हमसे छीनने की जरा भी कोशिश करेंगे दो हम उससे सख्ती से निबटने के लिए सक्षम भी हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बिना किसी पार्टी का नाम लेते हुए मीडिया को बताया की राजनीति हमेशा सच्चाई पर आधारित होनी चाहिए। राजनीति में बहस भी होनी चाहिए लेकिन झूठी बातें और भ्रम फैलाना राजनीति में अनुचित है खासकर ऐसे मौके पर जब लाइन ऑफ कंट्रोल पर भारत और चीन की सेना आमने-सामने है तो विपक्षी दलों को इस व्यवहार से बचना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि जब भी भारत की सेना अन्य देशों के खिलाफ पराक्रम दिखाती है मसलन सर्जिकल स्ट्राइक एयर स्ट्राइक या फिर गलवान तवांग में विरोधियों को छक्के छुड़ाते हैं तो फिर भारत के राजनीतिक दल भारत सरकार के अलावा सेनाओं के पराक्रम पर सवाल क्यों उठाते हैं। क्या विपक्षी दलों के नेताओं को भारतीय सेना पर भरोसा नहीं है? क्या मोदी के विरोध में हमारे सैनिकों का विरोध करना उचित है। जब हमारी सेना चीनी सैनिकों को तवांग में पीट-पीटकर भगा रहे हैं फिर भी कांग्रेश पार्टी के नेता राहुल गांधी किस आधार कह रहे हैं चीनी सैनिक हमारे जबान को पिटाई कर रहे हैं? जबकि इस वक्त सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट होकर सरकार के साथ होना चाहिए। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में विपक्षी दलों ने अपनी राजनीति करने का ट्रेंड बदला है। मुद्दा कितने हर भी संवेदनशील हो बस सरकार के विरोध करने हैं। पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक एयर स्ट्राइक जो भारतीय सेना ने किया था उस पर भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस पार्टी के नेता नवजोत सिंह सिद्धू ,राहुल गांधी सरीखे दर्जनों नेताओं ने सेना के पराक्रम पर सवाल उठाया था जो अभी भी जारी है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। यह उनके निजी विचार हैं)