
एक हाथ में संदल और एक में कीचड़ वाले लोगों की अब भरमार है। जिनके हाथ खाली हैं, वह ज़्यादा बेहतर हैं। सोशल मीडिया में तो वाह -वाह करते करते, आह -आह कब किसी की निकल जाए,पता नहीं। इसलिए ठहरकर,सम्भलकर और इत्मीनान से चलें।
-Hafeez Kidwai-

सोशल मीडिया हो या निजी ज़िन्दगी, इस बात को गिरह बांध लीजिये,तो ज़िन्दगी में सुक़ून रहेगा।
उन लोगों से थोड़ी दूरी बनाकर चलो जिनके एक हाथ में सन्दल (चन्दन) और दूसरे हाथ में कीचड़ रहता है। यानि वोह लोग जो तुमसे खुश हो जाएं तो तुम्हें पलकों में बिठा लें और अगर गलती से नाखुश हो गए तो, तुममें कीड़े भी डाल दें। यह वोह लोग हैं जिनकी तादात बहुत ज़्यादा है। यह ज़रा से अपने मन की सुनकर आपके पैरों में बिछ जाएंगे और ज़रा बात इनके मुख़्तलिफ़ क्या हुई। एक ज़बान में सैकड़ों गालियाँ देकर निकल जाएँगे। इनकी ख़ुशी पर लहालोट मत हो और इनकी नाराज़गी पर मायूस भी मत हो।
मैं बता दूँ यह जो लोग हैं, यह बड़े जल्दबाज़ होते हैं। अक्सर गर्म खाने से मुँह जला बैठते हैं। इनकी सोहबत से बचो और अगर ना भी बच सको, तो इनके रिएक्शन पर कान भी मत धरो। ऐसा नहीं है यह आजकल की पैदावार हैं। यह इस माटी पर हमेशा रहे हैं। मैं नाम लिखूँ तो जगह कम पड़ जाए। वैसे एक बात और यह ज़्यादा तादात में हैं तो इनकी चाल भी भेड़ चाल जैसी ही होगी। यह बुरे लोग नही हैं, बस इनका अपने दिमाग पर कोई कन्ट्रोल नही है। अगर कभी कन्ट्रोल कर भी लिया तो ज़बान तो हरगिज़ ही काबू में ना रहेगी। मैं अगर तुमसे कहूँ कि इनके खोखले सर में झाँक कर देखो तो तुम्हे यक़ीनन उसमें कोई दूसरा ही बैठा मिलेगा। जो इन्हें हाँक भी रहा होगा। यह कान के बड़े कच्चे,सूझ के कम और अक़्ल के हल्के लोग हैं।
यह इतने भोले हैं कि इनको अपनी ही आँख पर भरोसा नही है। ऐसे भोले रोबोट से दूरी ही भली है। मैं पहले भी कह चुका हूँ कि यह जो खुश होकर तुम्हे ऊपर आसमान पर बिठाते हैं। यही नाक पर मक्खी बैठते ही धड़ाम से तुम्हे ज़मीन पर गिरा देंगे। इसलिए इनकी किसी कोशिश से फूल कर कुप्पा न बनो और ना ही गुस्से में चुकन्दर बनों। इनके साथ एक जैसे हल्का बरताव करो। मगर यह इस बरताव पर भी बरस उठेंगे तो इन्हें बरसने दो,यही ठीक है। मैं चाहता हूँ कि तुम इंसान पहचानों। इंसान पहचानना ज़िन्दगी का सबसे कठिन चैप्टर है। मैं तुम्हे बताऊँ इस चैप्टर में बड़ों बड़ों को मुँह के बल गिरते देखा है। इसलिए कहता हूँ कि चेहरों को पढ़ो,उनके काम, मुस्कुराहट, रोना, तारीफ़, बुराई सब पर नज़र रखो। जो जल्दी जल्दी खाने से मुँह जला लें। जो सिर्फ अपने काम की बेचैनी में आसमान उठा लें,जो अपने परिवार, दोस्त को मंझधार में छोड़कर आया हो।
जिसने किसी भी काम के साथ ईमानदारी न की हो। जो ज़िम्मेदारी से भागे, उन सब पर कम ही भरोसा करो। यहाँ लिखे हर लफ्ज़ को बार बार पढ़ो,जब तक सही अर्थ तुम्हारा मज़बूत दिमाग न ले ले। तब तक आँख बन्द करके मत चलना।
ऊपर के हर लफ्ज़ को खंगालो। अपने इर्द गिर्द के लोगों में उनकी पहचान करो और बड़ी ही खूबसूरती से उनके हाथों से दूरी बना लो। ऐसे प्रसंशक या आलोचक सिर्फ एक भीड़ हैं, जिनका होना या न होना,तुम्हारे कामों पर फ़र्क नही डालेगा। मेरे हर लफ्ज़ को भुला दो मगर उस बात को गाँठ बाँध लो जो मैं कहना चाह रहा हूँ। कीचड़ और सन्दल से सने हाथों से दूर ही रहो, तुम्हारी ज़िन्दगी के सुकून के लिए यह बेहद ज़रूरी है।
एक हाथ में संदल और एक में कीचड़ वाले लोगों की अब भरमार है। जिनके हाथ खाली हैं, वह ज़्यादा बेहतर हैं। सोशल मीडिया में तो वाह वाह करते करते, आह आह कब किसी की निकल जाए,पता नहीं। इसलिए ठहरकर,सम्भलकर और इत्मीनान से चलें। बढ़ाई से खुश न हों और बुराई से मायूस न हों। यहां कब प्रशंसक एक ट्रोल बन जाए क्या पता, इसलिए सादा रहे,सदा रहें….
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