
-देवेन्द्र यादव-

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की हार के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पार्टी के नेताओं के सामने कांग्रेस की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखकर अपनी पीड़ा का इजहार किया। उन्होंने कांग्रेस को जिंदा रख भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार से लड़कर जीतने का आखिरी रास्ता बताया। कांग्रेस के वह नेता जो सत्ता और संगठन में मलाईदार पदों पर बैठे हैं क्या वे अपने उम्र दराज नेता मल्लिकार्जुन खरगे की बातों पर क्या अमल करेंगे। ऐसे ही नेताओं की वजह से कांग्रेस आज इस मुकाम पर खड़ी हो गई, कि वह ना तो राज्यों में जीत रही है और ना ही राज्यों की अपनी सरकार को भारतीय जनता पार्टी से बचा पा रही है। कांग्रेस का जमीनी कार्यकर्ता पूरी ईमानदारी और मेहनत कर कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाता है मगर जब सत्ता आती है तब कांग्रेस के मठाधीश कार्यकर्ताओं को किनारा कर देते हैं। निरंतर उपेक्षा का शिकार कांग्रेस का जमीनी कार्यकर्ता धीरे-धीरे कुंठित होकर अपने घरों के भीतर जाकर बैठ गया, क्योंकि कार्यकर्ताओं को अपने नेताओं पर भरोसा नहीं रहा। यही वजह है कि राज्यों के भीतर कांग्रेस के पास पहले की अपेक्षा अब मजबूत जन आधार वाले नेता नहीं रहे। एक दशक से भी अधिक का समय हो गया कांग्रेस को केंद्र की सत्ता से बाहर हुए। कांग्रेस हाई कमान अभी भी नहीं समझा कि कांग्रेस की कमजोरी का असल कारण क्या है। यदि कांग्रेस हाई कमान असल कारण समझ जाता तो युवक कांग्रेस के मजबूत और जुझारू पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष बीवी श्रीनिवासन आज कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल होते। राहुल गांधी के संघर्ष के दिनों में उनके साथ मजबूती के साथ युवक कांग्रेस का संगठन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवासन के नेतृत्व में खड़ा हुआ था। श्रीनिवासन ने पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ देश भर में युवक कांग्रेस का मजबूत संगठन खड़ा किया। इस संगठन ने विभिन्न अवसरों पर केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ बड़े-बड़े आंदोलन किए। मगर श्रीनिवासन के युवक कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटने के बाद पार्टी ने उन्हें अभी तक कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी। यही तो कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी है। श्रीनिवासन जैसे अनेक ऐसे नेता मौजूद हैं जो जनता के बीच राजनीतिक हैसियत रखते हैं मगर उन्हें पर्याप्त अवसर नहीं मिलता है। कांग्रेस को ऐसे अनुभवहीन रणनीतिकार चला रहे हैं जिस वजह से कांग्रेस कमजोर नजर आ रही है। शायद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इसे समझ रहे हैं, क्योंकि वह जमीन से उठे नेता हैं जो जमीनी कार्यकर्ताओं के महत्व को समझते हैं। मगर बड़ा सवाल यह है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नए सलाहकार, खऱगे के चिंतन को गंभीरता से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष को संगठन के भीतर कठोर फैसला लेने देंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)