
-देवेंद्र यादव-

सोशल मीडिया में चर्चा है कि कांग्रेस के भीतर राहुल गांधी बड़ी सर्जरी करने वाले हैं। इस बारे में राहुल गांधी गहन चिंतन और मंथन कर रहे हैं। लेकिन क्या इंतजार अहमदाबाद में आयोजित कांग्रेस के महा अधिवेशन का हो रहा है या कांग्रेस के महा अधिवेशन में राहुल गांधी की नई टीम नजर आएगी।
कांग्रेस कमजोर क्यों हो गई और क्यों लगातार राज्यों और देश में चुनाव हार रही है, शायद राहुल गांधी इसकी नब्ज पकड़ने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। राहुल गांधी लगातार प्रयास कर रहे हैं, मगर कामयाबी हाथ नहीं लग रही है।
मैंने अपने पिछले ब्लॉगो में लिखा था राहुल गांधी यदि कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए गंभीर हैं तो उन्हें सबसे पहले यह चार कदम उठाने होंगे। सबसे पहले उन्हें कांग्रेस के भीतर राष्ट्रीय महामंत्री संगठन का पद समाप्त करना होगा दूसरा उन्हें चुनाव के समय वार रूम को खत्म करना होगा। तीसरा कदम उन्हें विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की चयन के लिए सर्वे कराना बंद करना होगा और चौथा एक लाइन का प्रस्ताव लाना बंद करना होगा। राहुल गांधी यदि तीन चार मुद्दों पर काम करें तो कांग्रेस फिर से पुनर्जीवित हो जाएगी। राहुल गांधी कांग्रेस को मजबूत करते-करते अपने पारंपरिक लोक सभा क्षेत्र अमेठी में इतने कमजोर हो गए की खुद 2019 में लोकसभा का चुनाव हार गए। राहुल गांधी अमेठी से लोकसभा का चुनाव क्यों और कैसे हारे और क्यों राहुल गांधी को अमेठी के अलावा केरल के वायानाड लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए भेजा जहां वह चुनाव जीत गए लेकिन अमेठी में हार गए। राहुल गांधी अक्सर कहते हैं, कांग्रेस के भीतर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा रखने वाले लोगों का प्रवेश हो गया है। इसे खत्म करना होगा। लेकिन सवाल यह है कि आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा वाले लोगों का कांग्रेस के भीतर प्रवेश कैसे हुआ इसे राहुल गांधी और कांग्रेस अभी तक नहीं समझ पाई है। दरअसल इसका प्रवेश कांग्रेस के वाररूम और प्रत्याशियों के लिए सर्वे के माध्यम से हुआ। इस प्रक्रिया के कारण कांग्रेस को नोट और वोट की चोट लगी और जन्म जात कांग्रेसी कार्यकर्ता प्रक्रिया से बाहर हुए। उन्होंने पैसों की दम पर चौकड़ी जमा कर बैठे नेताओं के सहारे विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में टिकट प्राप्त कर कांग्रेस में प्रवेश किया।
प्रत्याशी चयन के लिए सर्वे कराना इसलिए भी कांग्रेस के लिए नुकसानदायक है क्योंकि सर्वे के नाम पर कांग्रेस का कार्यकर्ता अपने विधानसभा क्षेत्र में अपना प्रभाव दिखाने के लिए लाखों रुपया खर्च कर देता है और अंत में जब उन्हें टिकट नहीं मिलता तो वही कार्यकर्ता या तो कुंठित होकर घर बैठ जाता है या फिर अपने ही प्रत्याशी को चुनाव हराने में जुट जाता है। राहुल गांधी अक्सर कहते हैं कांग्रेस कभी नहीं हारती है कांग्रेस को कांग्रेस के नेता ही हराते हैं। कांग्रेस को नेता नहीं बल्कि कांग्रेस के जन्मजात कार्यकर्ता कुंठा और निराशा में चुनाव हराते हैं क्योंकि जब मेहनत करने के बाद कार्यकर्ता के सामने अवसर होता है विधानसभा का टिकट पाने का तब कुंडली मारकर बैठे नेता सर्वे के नाम पर ईमानदार और वफादार जीतने वाले कार्यकर्ता को बाहर कर देते हैं। वे टिकट ऐसे व्यक्ति को देते हैं जिसका क्षेत्र में कोई राजनीतिक वजूद नहीं होता है। यदि राहुल गांधी कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए इतने गंभीर हैं तो उन्हें यह चार कदम उठाने चाहिए कांग्रेस अपने आप पुनर्जीवित हो जाएगी और राहुल गांधी को नई टीम मिल जाएगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)