
-देवेंद्र यादव-

जिस प्रकार से चुनाव में दिल्ली की जनता के मूड का आंकलन करना मुश्किल है ठीक वैसे ही दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद यह आंकलन करना मुश्किल हो रहा है कि आम आदमी पार्टी सत्ता से बाहर क्यों और कैसे हो गई और दिल्ली में 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी की सत्ता में वापसी कैसे हो गई।
बड़ा तर्क यह दिया जा रहा है कि कांग्रेस के सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के कारण आम आदमी पार्टी सत्ता से बाहर हो गई और दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सरकार बना ली। लेकिन क्या यह तर्क सत्य है। जनता, राजनीतिक पंडित और कांग्रेस के नेताओं और चुनावी रणनीतिकारों के मन में नहीं आ रहा है वह तर्क यह भी हो सकता है कि आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को अपनी सत्ता का एक तरह से हस्तांतरण किया है। आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को लगातार तीसरी बार शर्मनाक हार को मजबूर किया है। जिसके तीन उम्मीदवारों को छोड़कर बाकी सभी उम्मीदवारों की जमानत तक जप्त हो गई। वह बात अलग है कि कांग्रेस की तरह आम आदमी पार्टी के नेता कांग्रेस की इस शर्मनाक हार पर जश्न नहीं मना रहे हैं। इसलिए राजनीतिक पंडित और कांग्रेस के रणनीतिकारों और राहुल गांधी और पार्टी हाई कमान के यह समझ में नहीं आ रहा है कि आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को दिल्ली से एक बार फिर से बाहर कर दिया। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले और घोषणा होने के बाद भारतीय जनता पार्टी और चुनाव आयोग पर आरोप लगा रहे थे। उनका आरोप था कि भारतीय जनता पार्टी मतदाता सचियो में हेर फेर कर रही है। भाजपा के नेता मतदाताओं को खुलेआम पैसा बांट रहे हैं। अरविंद केजरीवाल आरोप यहां तक लगा रहे थे कि भारतीय जनता पार्टी चुनाव में धांधलीकर चुनाव जीतना चाहती है। मगर दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणाम आने और आम आदमी पार्टी की हार होने के बाद अब अरविंद केजरीवाल के वह आरोप कहां हैं। क्यों नहीं अरविंद केजरीवाल अब आरोप लगा रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने धांधलीकर चुनाव जीता। क्या कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के जाल में फंस गई और यह कहने लगी की आम आदमी पार्टी कांग्रेस के वजह से चुनाव हार गई। जबकि बड़ी सच्चाई तो यह है दिल्ली से आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को पूरी तरह से खत्म कर दिया। इसीलिए मैंने अपने पिछले ब्लॉग में लिखा था कि कांग्रेस के नेता और उसके रणनीतिकार राजनीतिक रूप से दिवालिया हो चुके हैं। उनमें सोचने और समझने की ताकत बची नहीं है। ताकत बची है तो सिर्फ राहुल गांधी और गांधी परिवार को मूर्ख बनाने की जिसमें वह सफल भी हो रहे हैं इसीलिए कांग्रेस बार-बार राज्यों के चुनाव हार रही है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)