बिहार में कांग्रेस का दलित अध्यक्ष का दाव सफल होगा या पंजाब और हरियाणा की राह पर जाएगा!

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फोटो सोशल मीडिया

-देवेंद्र यादव-

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देवेन्द्र यादव

बिहार विधानसभा चुनाव का अभी ऐलान नहीं हुआ है लेकिन कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष को हटाकर नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान कर दिया। बिहार कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अखिलेश सिंह के स्थान पर राजेश राम को कांग्रेस ने अपना नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है !
कांग्रेस ने पहले अपना बिहार कांग्रेस का राष्ट्रीय प्रभारी मोहन प्रकाश को बदलकर कृष्णा अल्लावारु को नियुक्त किया था और लंबे इंतजार के बाद कांग्रेस हाई कमान ने बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष भी बदल दिया। बिहार में कांग्रेस ने भूमिहार के स्थान पर दलित को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है जिसे राजनीतिक पंडित बिहार में कांग्रेस का प्रयोग और मास्टर स्ट्रोक बता रहे हैं। लेकिन कांग्रेस ने ऐसे प्रयोग बिहार से पहले 2014 में केंद्र की सत्ता से बाहर होने के बाद अन्य राज्यों में भी किए थे, लेकिन उनका यह प्रयोग पंजाब और हरियाणा में सफल नहीं हुआ। पंजाब में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को बदलकर दलित नेता चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया था। हरियाणा में भी विधानसभा चुनाव से पहले दलित नेता उदयभान को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया था। पंजाब में कांग्रेस ने अपनी सत्ता को गंवाया और हरियाणा में कांग्रेस ने जीती हुई बाजी को हारी। यहां तक कि दलित नेता हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष उदय भान भी विधानसभा चुनाव हार गए। पंजाब और हरियाणा के बाद कांग्रेस ने बिहार में दलित नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर राजनीतिक दाव खेला है। बिहार में कांग्रेस लंबे समय से सत्ता से बाहर है। बिहार में कांग्रेस अपना जन आधार ही नहीं बना पाई बल्कि अपना संगठन भी नहीं बना पाई। बिहार में कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के सामने से बड़ी चुनौती बिहार के दो बड़े दलित नेता पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और उनके क्षेत्रीय दलों से है। ये दोनों ही बिहार में दलितों के बीच प्रभावशाली नेता हैं और दोनों की पार्टियां भी बिहार में अपना राजनीतिक वजूद रखती हैं।
कांग्रेस ने दलित नेता राजेश राम को बिहार का प्रदेश अध्यक्ष क्यों बनाया इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। राहुल गांधी ने राजेश राम के नाम पर अंतिम मोहर क्यों लगाई इसके पीछे वजह महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे का बड़ा रोल है। उन्होंने ही राजेश राम की सिफारिश की थी। सुशील कुमार शिंदे राजेश राम के पिता पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम के सिपासालार थे। राजेश राम और सुशील कुमार शिंदे के अच्छे संबंध हैं।
बात संबंधों की नहीं है बात यह है कि क्या राजेश राम बिहार में कांग्रेस को अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन को दिला पाएंगे। क्या वह विधानसभा चुनाव से पहले पूरे बिहार में कांग्रेस का संगठन खड़ा कर पाएंगे जो अभी नजर नहीं आता है। या फिर बिहार में भी कांग्रेस का दलित कार्ड पंजाब और हरियाणा की तरह फेल हो जाएगा। यह तो आने वाला वक्त बताएगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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