-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान में अवैध खनन और इसकी वजह से प्रदेश के वन-वन्यजीवों और चरागाह भूमि की बर्बादी के खिलाफ कोटा जिले के सांगोद विधानसभा क्षैत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर आंदोलन का आगाज 23 जनवरी को खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया के गृह जिले बारां के मुख्यालय से ही करेंगे जिसमें उन्होंने राजस्थान सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की घोषणा की याद दिलाते हुए प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को भी आमंत्रित किया है। यह अलग बात है कि आमंत्रण स्वीकार किया जाने वाला नहीं है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को भेजे एक पत्र में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने कहा है कि चार साल पहले मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभालने के बाद अशोक गहलोत ने प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाने की घोषणा की थी। उनका यह आंदोलन इसी घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने की याद दिलाने के लिए शुरू किया गया है और इसकी शुरुआत बारां जिले से इसलिए की जा रही है क्योंकि बीते चार सालों में बारां जिला भ्रष्टाचार काकेंद्र बिंदु ही नहीं बल्कि गढ़ बन गया है। खासतौर से अवैध खनन के मामले में। यहां अवैध खनन करके जमीन-जंगल-चरागाह-वन भूमि क्षेत्र को खोद-खोद कर बर्बाद किया जा रहा है और यह सब राजनीतिक संरक्षण प्राप्त खनन माफियाओं की वजह से हो रहा है और इस खनन माफिया को मुख्यमंत्री श्री गहलोत की सरकार में शामिल एक मंत्री का ही खुला संरक्षण हासिल है।
श्री भगत सिंह ने आरोप लगाया है कि बीते चार सालों में बारां जिले को भ्रष्टाचार का कितना बड़ा केंद्र बिंदु बनाया जा चुका है, इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि इस मंत्री के निर्देशों की पालना के तहत बारां जिले में प्रदेश के सर्वाधिक भ्रष्ट प्रशासनिक अफसरों की नियुक्तियां छा-छट कर की जाती है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे इंद्र सिंह राव इसका ज्वलंत उदाहरण है जिसे बारां के कलक्टर के पद पर नियुक्त किया था और कलेक्टर पद पर रहते हुए यह दाग भी इसी अफ़सर के चेहरे पर लगा जिसे भ्रष्टाचार के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार किया और लंबे समय तक जेल में रहा।

श्री भरत सिंह ने कहा कि राज्य सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति की अनुपालना के लिए वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को यहां होने वाले धरने-प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्य के लिये भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष इस मुहिम का हिस्सा बनेंगे।
श्री भरत सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति,संवेदनशील सरकार और कांग्रेस पार्टी के भारत जोड़ो हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के तहत ही बारां में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि श्री भरत सिंह ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर अवैध खनन के खिलाफ सड़क पर उतरने की चेतावनी दी थी। अब बारां के जिला मजिस्ट्रेट नरेंद्र गुप्ता को पत्र भेजकर अवैध खनन के खिलाफ 23 जनवरी को प्रातः 11 बजे धरना-प्रदर्शन करने की सूचना दी है। श्री भगत सिंह ने कहा कि अवैध खनन के लिए बारां जिला केंद्र बिंदु बन गया है। यह इसलिए भी गंभीर विचारणीय विषय है कि बारां जिले में अवैध खनन की यह स्थिति इस मायने में काफी महत्वपूर्ण है कि जिस खनन विभाग पर पूरे प्रदेश में खनन रोकने और ऐसी गतिविधियां भविष्य में नहीं होने देने की जिम्मेदारी है, उसके मुखिया इसी बारां जिले के हैं और यहां की अंता सीट से विधानसभा में प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके बावजूद न केवल प्रदेश में बल्कि खुद बारां जिले में व्यापक पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है।
श्री भरत सिंह मुख्यमंत्री को यह बता चुके हैं कि बारां जिले में एक भी वैध खदान नहीं है। इसके बावजूद प्रशासन तंत्र की मौजूदगी में समूचे जिले में इतने बड़े पैमाने पर अवैध खनन संभव हो पा रहा है,यह प्रशासनिक तंत्र की मिलीभगत और खनन विभाग के मुख्य की शह के बिना संभव नहीं है और इसके लिए वे लगातार प्रमाण भी पेश करते आए हैं और मुख्यमंत्री से इस विभाग के मुखिया को तुरंत अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने का अनुरोध करते रहे लेकिन कई बार मांग के जाने के उपरांत भी न तो मंत्री को हटाया जा रहा है और अवैध खनन पर रोक का तो सवाल ही नहीं उठता जबकि इस खनन से न केवल जंगल-जमीन बर्बाद हो रहे हैं बल्कि अवैध खनन जनित हादसों में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है।
बारां के जिला मजिस्ट्रेट को भेजे पत्र में श्री भरत सिंह ने यह बताया है कि अवैध खनन से मौतों के मामलों में बारां जिला भी अछूता नहीं है। जिले में अवैध खनन के कारण लोगों खासतौर से इस काम में लगे मजदूरों की मौतों का सिलसिला अनवरत चलता रहा है। नए साल की शुरुआत में ही जिले के कस्बा थाने में अवैध खनन के बाद मिट्टी की ढुलाई कर रहे एक ट्रैक्टर के पलटने से उसके चालक शिशुपाल सहरिया (24) की दबने से मौत हो गई। तीन दिन पहले ही जिले के सदर थाना क्षेत्र में घट्टी गांव में मिट्टी की खुदाई करते समय एक मजदूर जगदीश सहरिया की जान चली गई। इसके पहले बीते साल के दिसंबर माह के अंतिम दिनों में मांगरोल क्षेत्र के रामगढ़ रोड पर रेत की अवैध तरीके से ढुलाई कर रहे एक ट्रैक्टर से कुचलकर एक महिला कौशल्या बाई की मौत हो गई थी। इसके अलावा दिसंबर महीने में ही अवैध खदानों के वर्चस्व की लड़ाई में जिले के अंता क्षैत्र के चहेड़िया गांव के पास एक हिस्ट्रीशीटर अख्तर मिर्जा की दूसरी गिरोह ने हत्या कर दी थी। अवैध खनन को लेकर इस इलाके में आपसी रंजिश और झगड़ों की वजह से सदैव तनाव-दहशत का माहौल बना रहता है लेकिन राजनीतिक संरक्षण के कारण प्रशासन अपने आपको असहाय महसूस करता है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में अवैध खनन माफिया की सक्रियता का मामला देश भर में उस समय सुर्खिसों में आया था जब प्रदेश के भरतपुर संभाग के ब्रज भूमि क्षेत्र में गिट्टी-पत्थर के लिए पहाड़ियों में हो रहे व्यापक अवैध खनन को रोकने की साधु-संतों की बार-बार मांग के बावजूद उसकी लगातार अवहेलना किए जाने पर साधु-संतों ने कई दिन तक अनवरत रूप से अवैध खनन के खिलाफ अनशन किया था लेकिन जब इसके बाद भी सरकार ने इस अवैध खनन को रोकने की दृष्टि से कोई भी सार्थक कदम नहीं उठाया तो इससे खफा होकर भरतपुर जिले के डीग क्षेत्र के एक महंत विजय दान ने अपने शरीर पर केरोसिन छिड़ककर आग लगा ली थी जिससे वह गंभीर रूप से झुलस गए थे जिन्हें बाद में उपचार के लिए पहले जयपुर और फिर वहां से नई दिल्ली ले जाया गया लेकिन उनकी हालत की गंभीरता के कारण चिकित्सकों के लाख जतन के बावजूद उन्हें नहीं बचाया जा सकता और उन्होंने दम तोड़ दिया।
इस हादसे के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुछ सावचेती दर्शाई थी और न केवल भरतपुर जिले बल्कि पूरे राज्य में जिला कलक्टर को अवैध खनन रोकने के निर्देश दिए थे। कुछ समय तक तो यह आदेश प्रभावी रूप से लागू किया लेकिन बाद में धीरे-धीरे इसमें शिथिलता आती गई और नतीजा फिर से कई जगह अवैध रूप से खनन शुरू हो गया, जिनमें भरतपुर संभाग के ब्रजभूमि क्षेत्र की पहाड़ियों का अवैध खनन भी शामिल है।
ऐसे कई घटनाक्रमों के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक श्री भरत सिंह अपने आप को आहत महसूस कर रहे थे और उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक को सीधे आड़े हाथों लेते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की उनकी अपनी नीति से परे हटकर कथित रूप से भ्रष्टाचार और अवैध खनन में लिप्त अपने एक मंत्री को हटाने में पूरी तरह से नाकाम रहने का आरोप लगा दिया था और कहा था कि वे (भरत सिंह) इस मंत्री की माया के आगे चित्त हो गये है क्योंकि उन्हें प्रदेश के मुखिया का ही संरक्षण हासिल है। इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री को एक कड़ा पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने स्पष्ट कहा था कि- ” जिस भ्रष्ट मंत्री को मंत्रिमंडल से हटाना चाहिए, वह आपकी सरकार की ‘ नाक का बाल ‘ बन गया है जबकि सरकार बनाते समय आपने भ्रष्टाचार को रोकने का संकल्प लिया था।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। उनके यह निजी विचार है।)