राजस्थान में राजनीतिक दृष्टि से जाट और गुर्जर समीकरण को देखें तो दोनों जातियां राजस्थान विधानसभा की आधी से अधिक सीटों को प्रभावित करती हैं, और गुर्जर बाहुल्य सीटों पर सचिन पायलट का जबरदस्त प्रभाव है जो 2018 के विधानसभा चुनाव में देश के राजनीतिक पंडितों ने देखा था। तब राजस्थान में सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। हरीश चौधरी और गोविंद सिंह डोटासरा की जोड़ी मारवाड़ और शेखावाटी में कांग्रेस के लिए कारगर सिद्ध हो सकती है क्योंकि मारवाड़ और शेखावाटी में अधिकांश सीटों पर जाट मतदाता भारी पड़ते हैं।
-देवेन्द्र यादव-

एक समय मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर, कांग्रेस नेता सचिन पायलट की नाराजगी से भाजपा और उसके नेता खुश नजर आ रहे थे, मगर राजस्थान विधानसभा चुनाव की घोषणा से चंद दिनों पहले अचानक से सक्रिय हुए सचिन पायलट ने अब भाजपा के नेताओं की मुश्किल है बढ़ा दी हैं।
कांग्रेस हाईकमान ने 6 जुलाई को राजस्थान को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक की थी। इस बैठक के बाद सचिन पायलट ने कहा था कि राजस्थान में कांग्रेस एकजुट है और एकजुट होकर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और लगातार दूसरी बार राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनाएंगे। अपने बयान के बाद सचिन पायलट कांग्रेस के सत्याग्रह में और कांग्रेस के नवनियुक्त ब्लॉक अध्यक्षों की बैठक में सक्रिय नजर आए।
सचिन पायलट की सक्रियता से कांग्रेस के वे नेता भी सक्रिय हुए जो मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे विवाद के कारण मायूस थे और कुंठित होकर अपने घरों में बैठे हुए थे क्योंकि उनके समझ में नहीं आ रहा था कि वह किस नेता के पास जाएं और किस नेता के पास नहीं जाएं।
6 जुलाई की बैठक के बाद, राजस्थान कांग्रेस की एक ऐसी तस्वीर भी नजर आ रही है, उस तस्वीर को देखकर शायद भा ज पा के चुनावी रणनीतिकार और नेता भी परेशान होंगे।
12 जुलाई को कांग्रेस के सत्याग्रह में यह तस्वीर पहली बार दिखाई दी थी जो 13 जुलाई को स्पष्ट नजर आई। क्या कांग्रेस में विधानसभा चुनाव से पहले जाट और गुर्जरों का मजबूत समीकरण बन रहा है। क्या जाट और गुर्जरों का समीकरण राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए मुश्किल खडी करेगा।
क्योंकि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाने से राजस्थान का गुर्जर कांग्रेस से नाराज दिखाई दे रहा था तो वही राजस्थान का जाट भाजपा नेता सतीश पूनिया को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने से नाराज है।
कांग्रेस के नेता सचिन पायलट ने तो अपनी नाराजगी दूर कर घोषणा कर दी कि हम सब कांग्रेसी एकजुट हैं और एकजुट होकर आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराकर लगातार दूसरी बार कांग्रेस की सरकार बनाएंगे। मगर सतीश पूनिया अभी खामोश है।। सतीश पूनिया की खामोशी कांग्रेस को लाभ दिला सकती है और इसीलिए शायद कांग्रेस के चुनावी रणनीति कारों ने भाजपा को हराने के लिए जाट और गुर्जर समीकरण बनाया है।
10 जुलाई को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की नई कार्यकारिणी की घोषणा हुई थी। नई कार्यकारिणी में कांग्रेस हाईकमान ने जाट और गुर्जर जाति के लोगों को अधिक प्रतिनिधित्व दिया है। इस कार्यकारिणी की घोषणा के बाद सचिन पायलट, हरीश चौधरी और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा कांग्रेस के सत्याग्रह और ब्लॉक कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्षों की कार्यशाला में एक साथ खड़े नजर आए।
राजस्थान में राजनीतिक दृष्टि से जाट और गुर्जर समीकरण को देखें तो दोनों जातियां राजस्थान विधानसभा की आधी से अधिक सीटों को प्रभावित करती हैं, और गुर्जर बाहुल्य सीटों पर सचिन पायलट का जबरदस्त प्रभाव है जो 2018 के विधानसभा चुनाव में देश के राजनीतिक पंडितों ने देखा था। तब राजस्थान में सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। हरीश चौधरी और गोविंद सिंह डोटासरा की जोड़ी मारवाड़ और शेखावाटी में कांग्रेस के लिए कारगर सिद्ध हो सकती है क्योंकि मारवाड़ और शेखावाटी में अधिकांश सीटों पर जाट मतदाता भारी पड़ते हैं।
हरीश चौधरी और गोविंद सिंह डोटासरा मारवाड़ और शेखावाटी से ही आते हैं।
सचिन पायलट की अचानक से बढ़ी सक्रियता ने भाजपा के चुनावी रणनीति कारों को परेशानी में डाल दिया। सचिन पायलट, हरीश चौधरी और गोविंद सिंह डोटासरा की तिकड़ी राजस्थान विधानसभा चुनाव में क्या गुल खिलाती है इसका अभी इंतजार करना होगा। यदि सचिन पायलट गोविंद सिंह डोटासरा और हरीश चौधरी की मजबूत तिकड़ी बनी तो राजस्थान में भाजपा के साथ कर्नाटक से भी बड़ा खेला हो जाएगा।
देवेंद्र यादव, कोटा राजस्थान
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)