-अखिलेश कुमार-

(फोटो जर्नलिस्ट)
पर्यावरण और पारिस्थितिकी की स्थिति को बताने के लिए ये फोटो पर्याप्त हैं। आधुनिकीकरण के चक्कर में जिस तरह पेड़ों की बलि चढाई जा रही है उसी का परिणाम है कि मोर जैसे पक्षी को बहुत पवित्र माना जाता है उसको अपने लिए बिजली के खंभे और सूखे पेड़ की शरण लेनी पड़ रही है।

बचपन से पाठ्य पुस्तकों में मोर की पर्यावरण में भूमिका के बारे में पढ़ाया जाता था लेकिन अब समय आ गया है कि वह पर्यावरण संरक्षण में मदद करने के बजाय कांक्रीट के जंगल में खुद के अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है।
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11000 वोल्ट की हाई टैंशन लाइन पर चढ़ कर क्या ये मोर सही सलामत नीचे आ गया। आदमी ने प्रकृति के अन्य जीवों का धरती पर रहना मुश्किल कर दिया है।
सर प्रकृति मनुष्य के निजी स्वार्थ की भेंट चढ रही है। कोटा विकास प्राधिकरण के गठन पर पर्यावरण प्रेमी इसीलिए हायतौबा मचा रहे हैं।