
-देवेंद्र यादव-

कांग्रेस 64 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के गढ़ गुजरात से, केंद्र सरकार को ललकारते हुए नजर आ रही है।
लगभग तीन दशक से कांग्रेस गुजरात की सत्ता से और एक दशक से भी अधिक समय से केंद्र की सत्ता से बाहर है। गुजरात की राजनीतिक जोड़ी नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने 2014 लोकसभा चुनाव में केंद्र की सत्ता से कांग्रेस को पहली बार भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत के साथ जितवा कर केंद्र की सत्ता पर काबिज किया था। तब से लेकर अब तक कांग्रेस गुजरात और केंद्र की सत्ता में आने के लिए जूझ रही है। एक समय राहुल गांधी ने संसद के भीतर कहा था कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन आगामी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हराकर अपनी सरकार बनाएगी। राहुल गांधी के इस बयान के बाद कांग्रेस ने अपना राष्ट्रीय अधिवेशन गुजरात में आयोजित करने का फैसला किया और 8 अप्रैल ग्यारस के दिन कांग्रेस के तमाम नेता गुजरात के अहमदाबाद में जुटे जहां मंथन किया गया कि कांग्रेस को कैसे मजबूत किया जाए और भाजपा को सत्ता से हटाया जाए। इस दो दिवसीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में अनेक मुद्दों पर चर्चा होगी।
8 अप्रैल को शुरू हुए कांग्रेस के अधिवेशन से महत्वपूर्ण बात यह निकलकर आई की कांग्रेस के नेता जनता के बीच जाएंगे और जनता की समस्याओं को सुनेंगे।
कांग्रेस के नेताओं से जनता ही नहीं बल्कि कांग्रेस का कार्यकर्ता भी नाराज था। कांग्रेस के नेता जनता और कार्यकर्ताओं के बीच नहीं जाते हैं और ना ही उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुनते हैं। कांग्रेस शायद इसीलिए जनता से दूर होती चली गई और कमजोर हो गई। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस को राज्यों के विधानसभा चुनाव जीतने में भी बड़ी परेशानी हो रही है। राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और निर्णय किया कि कांग्रेस के नेताओं को जनता के बीच जाना होगा।
राहुल गांधी ने यह सब अपनी भारत जोड़ो यात्रा में सीखा था। तब उन्होंने जनता से सीधा संवाद किया जिसका परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस को 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में 99 सीट जीतने का अवसर मिला।
8 अप्रैल को कांग्रेस के लगभग 150 सदस्यों ने मंथन किया। 9 अप्रैल को कांग्रेस का पूर्ण अधिवेशन होगा। 8 अप्रैल को श्रीमती सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी सहित कांग्रेस के नेता प्रार्थना मीटिंग में साबरमती आश्रम पहुंचे। 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले 2027 में गुजरात विधानसभा के भी चुनाव हैं। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे समझते है कि गुजरात में कांग्रेस कमजोर नहीं है। जरूरत है गुजरात कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने की और इस काम में स्वयं राहुल गांधी जुटे हुए हैं। गत दिनों उन्होंने गुजरात दौरे पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मीटिंग में कहा था कि गुजरात में कांग्रेस को भाजपा नहीं बल्कि कांग्रेस ही हराती है। राहुल गांधी ने कहा था कि गुजरात में भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस की विचारधारा रखने वाले लोगों का प्रवेश हो गया है इन लोगों को कांग्रेस से निकालना होगा !
कांग्रेस को यदि 2027 में कामयाबी मिली तो 2029 में बड़ी कामयाबी भी मिल सकती है। इसीलिए कांग्रेस और राहुल गांधी की नजर गुजरात पर अधिक है। अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सलाहकार गुरदीप सिंह सप्पल के सुझावों की भी इस अधिवेशन में महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। विगत दिनों उन्होंने उत्तराखंड से मेरा वोट मेरा अभियान चलाने की शुरुआत की थी। कांग्रेस सारे देश में यह अभियान चलाएगी।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं