दलित, आदिवासी और ओबीसी का समीकरण कांग्रेस को गुजरात में दिलाएगा सफलता!

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फोटो सोशल मीडिया

-देवेंद्र यादव-

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देवेन्द्र यादव

राहुल गांधी अपने मन में जो ठान लेते हैं, उसे वह पूरा करके रहते हैं। यह बात उनकी बहन प्रियंका गांधी से पूछने की जरूरत नहीं है। यह तो उनकी कार्यशैली से नजर आ रही है। पिछले लोकसभा सत्र के दरमियान राहुल गांधी ने संसद के भीतर कहा था कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन भारतीय जनता पार्टी को गुजरात में हराएगी। अपने गुजरात फतेह के मिशन को लेकर राहुल गांधी 26 जुलाई शनिवार के दिन छठी बार गुजरात पहुंचे। उन्होंने गुजरात कांग्रेस के नवनियुक्त जिला अध्यक्षों के तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन किया। इस प्रशिक्षण शिविर में नवनियुक्त लगभग 47 जिला अध्यक्षों ने भाग लिया। इसके अलावा गुजरात के तमाम नेता शामिल हुए।

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फोटो सोशल मीडिया

राहुल गांधी ने गुजरात फतेह अभियान की रणनीति के तहत कांग्रेस को गुजरात में मजबूत करने के लिए संगठन सृजन का कार्य शुरू किया। उन्होंने दौरे से पहले गुजरात कांग्रेस के भीतर बड़ा फेरबदल किया। गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष गोहिल को हटा कर डॉ अमित चावड़ा को एक बार फिर से प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया और विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता भी आदिवासी नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री तुषार चौधरी को बनाया।
गुजरात में राहुल गांधी की रणनीति देखकर, इंदिरा गांधी का 1980 और सोनिया गांधी का 2004 का युग याद आ गया। 1977 में जब कांग्रेस पहली बार केंद्र की सत्ता से बाहर हुई थी तब 1980 में जीना भाई दर्जी कि गुजरात कांग्रेस की टीम जिसमें युवा ओबीसी नेता माधव सिंह सोलंकी, आदिवासी नेता अमर सिंह चौधरी, दलित नेता योगेंद्र मकवाना ने इंदिरा गांधी को विश्वास दिलाया और 1980 में इंदिरा जी की सत्ता में वापसी हुई। 2004 में भी गुजरात में दलित, आदिवासी, ओबीसी समीकरण कांग्रेस के काम आया और कांग्रेस ने श्रीमती सोनिया गांधी के नेतृत्व में केंद्र की भाजपा नीत सरकार को हराकर सत्ता में वापसी की।
गुजरात में एक बार फिर से दलित, आदिवासी और ओबीसी का मजबूत समीकरण बनता नजर आ रहा है। अमित चावड़ा, तुषार चौधरी और ऋतिक मकवाना ओबीसी आदिवासी और दलित वर्ग में प्रभावशाली ताकतवर नेता हैं। इन तीनों नेताओं पर राहुल गांधी ने बड़ा भरोसा कर जिम्मेदारी दी है। यह तीनों ही नेता खानदानी कांग्रेसी हैं और इतिहास की बात करें तो यह तीनों कांग्रेस के उन परिवारों से ताल्लुक रखते हैं जिनकी गुजरात में राजनीतिक ताकत की दम का फायदा कांग्रेस को 1980 और 2004 में मिला था। गुजरात में कांग्रेस कमजोर भाजपा के मजबूत होने के कारण नहीं हुई थी बल्कि भाजपा गुजरात में कांग्रेस के महत्वाकांक्षी नेताओं के कारण मजबूत हुई। जिना भाई दर्जी वाली कांग्रेस की मजबूत टीम 2004 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद धीरे-धीरे बिखरती चली गई। इसकी वजह सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार बने अहमद पटेल की गुजरात का मुख्यमंत्री बनने की अति महत्वाकांक्षा रही। अहमद पटेल ने गुजरात में अपनी टीम बनाई जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अमर सिंह चौधरी और उनके पुत्र तुषार चौधरी जैसे मजबूत आदिवासी नेताओं को अपने ग्रुप में शामिल किया। कांग्रेस के भीतर गुजरात में बड़ी ग्रुपिंग होने लगी। परिणाम यह हुआ कि गुजरात में भारतीय जनता पार्टी मजबूत होती चली गई। गुजरात में भाजपा लगातार चुनाव जीतने लगी और मोदी गुजरात के जब तक मुख्यमंत्री बनते रहे तब तक वह प्रधानमंत्री नहीं बने।
राहुल गांधी समझ गए कि गुजरात को फतेह कैसे किया जाएगा। गुजरात को फतह करने के लिए जरूरी है दलित आदिवासी और ओबीसी का मजबूत राजनीतिक समीकरण बने और यह समीकरण गुजरात में बनता हुआ दिखाई दे रहा है।
देखना यह है कि, कांग्रेस का यह समीकरण कांग्रेस को 1980 और 2004 की तरह सत्ता में वापसी करवा पाता है या नहीं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं। मोबाइल नंबर 98296 78916)

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