खबर सुनी जो मैंने आज उनके आने की, हरा हरा सा हुआ दिल का रास्ता जैसे।

7a917da4 f4cc 466e 9094 949970d5ade8
फोटो साभार अखिलेश कुमार

-डॉ.रामावतार सागर

ramavatar sagar
डॉ रामावतार सागर

बिना खता के मिली हो मुझे सज़ा जैसे।
वो पास आए भी और चल दिए रुला जैसे।
बहुत ही दूर था मुझसे मेरा क़रीबी भी,
मेरे गमों का उसे चल गया पता जैसे।
चलो उतार देंं अहसान अब सारे उसके,
समझने लग गया है खुद को ही खुदा जैसे।
बड़े नसीब से मिलता है तुमसा हरजाई,
कुबूल हो गयी हो कोई तो दुआ जैसे।
नजर लगी थी उसी रास्ते पे जाने क्यूँ,
उधर से आ रही हो मेरी दिलरुबा जैसे।
खबर सुनी जो मैंने आज उनके आने की,
हरा हरा सा हुआ दिल का रास्ता जैसे।
तुम्हें भी याद नहीं दिल के जख्म क्यों सागर,
तुम्हारा बरसों पुराना हो राब्ता जैसे।

डॉ.रामावतार सागर
कोटा,राज.

Advertisement
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments