कार्यकर्ताओं का उत्साह बता रहा उत्तर प्रदेश में खत्म नहीं हुई कांग्रेस!

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फोटो सोशल मीडिया

-देवेंद्र यादव-

devendra yadav
देवेन्द्र यादव

उत्तर प्रदेश में पहले जिला अध्यक्षों की घोषणा और कांग्रेस कार्यकारिणी की घोषणा के बाद, नव नियुक्त जिला पदाधिकारीयो के शपथ ग्रहण समारोह में कार्यकर्ताओं का जोश और उत्साह, बता रहा है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस खत्म नहीं हुई है बल्कि मौजूद है। जब उत्तर प्रदेश कांग्रेस कार्यकर्ताओं और कांग्रेस की विचारधारा को मानने वाले लोगों के बीच से, यह आवाज सुनाई देती है कि हमें कार्यकारिणी में क्यों नहीं लिया गया, कांग्रेस विचारधारा को मानने वाले लोगों का कार्यकारणी में शामिल नहीं किए जाने का मलाल, यह संकेत दे रहा है कि यदि कांग्रेस हाई कमान उत्तर प्रदेश कांग्रेस संगठन पर गंभीरता से ध्यान देती तो, कांग्रेस इतने लंबे समय तक उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर नहीं रहती। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की जड़ों को स्वयंभू नेताओं ने सीचा नहीं बल्कि, जड़ों को अन्य पेड़ों की मदद करने के लिए मजबूर किया। यही वजह रही कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कमजोर होती गई और बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी को बट वृक्ष बनने का मौका मिला। लेकिन जब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कांग्रेस संगठन सृजन अभियान चलाया और इस अभियान के तहत कांग्रेस कार्यकर्ताओं और कांग्रेस विचारधारा को मानने वाले लोगों की खोज शुरू हुई तब पाया कि कांग्रेस की जड उत्तर प्रदेश में अभी भी हरी है। कांग्रेस की जड़ों को उत्तर प्रदेश के स्वयंभू नेताओं ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के कारण लंबे समय से दबाकर रखा हुआ है। इसलिए उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का बट वृक्ष सूखता चला गया। लेकिन बट वृक्ष खत्म नहीं हुआ। यदि उसे सींचा जाए तो वह हरा हो सकता है।

अब राहुल गांधी के आह्वान पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी अविनाश पांडे और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कांग्रेस की मजबूत जड़ों को सीचना शुरू किया है। परिणाम यह हुआ कि जिलों में कांग्रेस की जंबो कार्यकारिणी घोषित होने के बावजूद कार्यकर्ताओं और कांग्रेस विचारधारा को मानने वाले लोगों के मन में यह मलाल रह गया कि कार्यकारिणी में हमारा नंबर क्यों नहीं आया। उत्तर प्रदेश संगठन को मजबूत करने के अभियान पर राहुल गांधी की सीधी नजर है इसलिए कार्यकर्ताओं और कांग्रेस विचारधारा को मानने वाले लोगों के मन में यह मलाल भी नहीं रहना चाहिए कि संगठन के भीतर उन्हें जिम्मेदारी क्यों नहीं मिली। उन्हें जिम्मेदारी देने के लिए कांग्रेस के पास अनेक अग्रिम संगठन और प्रकोष्ठ हैं जिनमें उनकी सेवा ली जा सकती है। राहुल गांधी को इस दिशा में काम करने की जरूरत है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)

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