
-देवेंद्र यादव-

राहुल गांधी द्वारा लगातार मेहनत करने के बावजूद कांग्रेस कमजोर क्यों है। क्यों कांग्रेस हाई कमान को संगठन सृजन का कार्य शुरू करने की जरूरत पड़ गई। क्या संगठन सृजन से देश भर में कांग्रेस मजबूत हो जाएगी। ये तमाम सवाल हैं जो कांग्रेस के भीतर अभी भी जस के तस बने हुए हैं। शायद इन सवालों का जवाब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने खोज निकाले। इसीलिए कांग्रेस उत्तर प्रदेश के बाद हरियाणा और मध्य प्रदेश में कांग्रेस संगठन सृजन का कार्य शुरू करने जा रही है। इसके लिए कांग्रेस हाई कमान ने दोनों राज्यों में जंबो पर्यवेक्षकों की टीम घोषित कर दी है। मगर सवाल यह है कि यह टीम जिलों में जाकर कांग्रेस पार्टी का जिला अध्यक्ष किसको बनाया जाए इसकी खोज करेगी और जिला अध्यक्ष नियुक्त करने की सिफारिश करेगी। सवाल यह है कि क्या हाई कमान के इस कदम से कांग्रेस मजबूत हो जाएगी। जबकि खोज तो यह करनी चाहिए की जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर वह कौन से नेता है जो सदस्य मनोनीत होकर बैठे हुए हैं। यदि ईमानदारी से खोज हो जाए तो प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी संख्या में वह नेता सदस्य निकलेंगे, जो नेता पीढ़ी दर पीढ़ी कांग्रेस में पदों पर कब्जा जमा कर बैठे हैं। अनेक ऐसे नेता भी हैं जिनके परिवार के सदस्य प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के सदस्य मनोनीत हुए हैं और शायद इसीलिए कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप भाजपा के नेता ही नहीं लगते हैं बल्कि पीढ़ी दर पीढ़ी कांग्रेस के लिए ईमानदारी से काम करने वाला आम कार्यकर्ता भी लगाता है। जहां तक संगठन सृजन की बात करें तो उत्तर प्रदेश में संगठन सृजन के माध्यम से जिला अध्यक्षों की खोज हुई। जब जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की लिस्ट सामने आई तब पता चला कि प्रदेश मैं अधिकांश जिला अध्यक्ष वही नियुक्त कर दिए जो लंबे समय से इस पद पर थे। उत्तर प्रदेश में जो हुआ वह अन्य प्रदेश में नहीं दोहराया जाए इस पर राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि पार्टी हाईकमान ने जिन नेताओं को हरियाणा और मध्य प्रदेश में पर्यवेक्षक लगाया है, उनमें से कई नेता ऐसे हैं जो विभिन्न प्रदेशों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय प्रभारी और सह प्रभारी रह चुके हैं। यदि यह नेता प्रभारी और सह प्रभारी रहते हुए प्रदेशों में ठीक से संगठन को मजबूत करने के लिए कार्य करते तो शायद कांग्रेस को संगठन सृजन की जरूरत ही नहीं पड़ती। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी ने राज्यों में संगठन को मजबूत करने के लिए कैसे काम किया इसका बड़ा उदाहरण राजस्थान है। राजस्थान में कांग्रेस हाई कमान ने प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा की। हाई कमान के द्वारा की गई घोषणा के बाद राजस्थान कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने दर्जनों लोगों को कांग्रेस के संविधान को दरकिनार कर अपने लेटर पैड पर प्रदेश का पदाधिकारी बना दिया। जिसकी भनक कांग्रेस हाई कमान को तब हुई जब कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया। इसी तरह से प्रदेशों में जिला प्रदेश और राष्ट्रीय सदस्य बनकर नेता बैठे हुए हैं। जब संगठन सृजन का काम शुरू कर ही दिया है तो कांग्रेस हाई कमान जिला अध्यक्षों की खोज तक ही सीमित नहीं रहे बल्कि खोज यह भी करे कि किस नेता के कितने पारिवारिक लोग प्रदेश और राष्ट्रीय सदस्य हैं। कांग्रेस कमजोर क्यों है यदि इसकी असल जड़ को पकड़ना है तो जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय सदस्यों की नियुक्ति की खोज करनी होगी और ईमानदारी से कांग्रेस के वफादार ईमानदार कार्यकर्ताओं को नियुक्त करना होगा।
प्रदेशों में संगठन सृजन के कार्यों में जिन नेताओं को मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने पर्यवेक्षक के रूप में लगाया है उनकी सूची देखकर आम कार्यकर्ता इस कदम से खुश होगा क्योंकि पहली बार कांग्रेस के स्वयंभू नेताओं को उनकी राजनीतिक औकात दिखाई है। पर्यवेक्षकों की लिस्ट पर नजर डालें तो इसमें अधिकांश वह नेता है जो राष्ट्रीय प्रभारी और सह प्रभारी रह चुके हैं। जब यह नेता एक जिले में जाएंगे तब इनको शायद गिल्टी फील होगी क्योंकि इन्होंने फाइव स्टार की राजनीति की है और अब राहुल गांधी ने इन नेताओं को उनकी राजनीतिक जमीन दिखा दी। यह नेता कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी सह प्रभारी और कांग्रेस के विभिन्न संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और हैं तब वह प्रदेशों में जाकर आम कार्यकर्ताओं से मिलने तक की जरूरत महसूस नहीं करते थे। दिल्ली से हवाई जहाज से अपने प्रभार वाले प्रदेश में जाकर फाइव स्टार होटल में रात्रि विश्राम कर होटल में ही कांग्रेस को मजबूत करके हाई कमान के सामने आ जाया करते थे। लेकिन पहली बार राहुल गांधी ने शायद इन नेताओं को उनकी राजनीतिक जमीन का एहसास कराया है। राहुल गांधी को एक और कदम उठाना चाहिए जब यह नेता जिलों में जाए तब यह होटल में नहीं रुके बल्कि कार्यकर्ता के घर जाकर रुके और बैठक होटल की जगह कांग्रेस कार्यालय में करें। शक है कि जो पर्यवेक्षक लगाए हैं क्या वह सभी अपने प्रदेशों में पहुंच जाएंगे। सवाल है क्योंकि कई नेताओं को शर्म तो आएगी ही।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)