
-द ओपिनियन-
गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के लिए चुनाव प्रचाार निर्णायक मुकाम पर पहुंच गया है। एक दिसम्बर को मतदान होना है इसलिए मैदान में उतरी सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा, कांग्रेस व आम आदमी पार्टी सत्ता पर दावेदारी कर रही हैं और वे पूरी ताकत के साथ जुटी हैं। भाजपा ने अपने सारे दिग्गज नेता चुनाव प्रचार में उतार दिए हैं। पिछले 20 दिनों में उसने चुनाव प्रचार में जबर्दस्त तेजी दिखाई है। इसी तरह कांग्रेस भी अपना प्रचार अभियान तेज कर दिया है। गत दिनों राहुल गांधी भी भारत जोडो यात्रा के बीच चुनाव प्रचार के लिए गुजरात के दौरे पर आए और सूरत में पार्टी की चुनाव सभा को संबोधित किया। लेकिन इस बार राहुल गांधी प्रचार अभियान में उस तरह से नहीं जुटे हुए हैं जिस तरह से पिछली बार जुटे हुए थे। तब वे फ्रंट फुटपर आगे बढकर खेले लेकिन इस बार उनकी ताकत भारत जोडो यात्रा के कारण बंटी हुई है। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल नियमित अंतरााल से राज्य का दौरा कर रहे हैं लेकिन दिल्ली में एमसीडी के चुनाव होने के कारण वे पूरी तरह गुजरात के प्रति भी समर्पित नहीं हो पा रहे हैं।
गुजरात में प्रथम चरण में सौराष्ट व कच्छ की 54 तथा दक्षिण गुजरात की 35 सीटों पर भी मतदान होना है और ये सीटें भाजपा के लिए चुनौती बनी हुई है। खासकर आदिवासियों के प्रभाव वाली सीटें भाजपा के लिए आसान नहीं मानी जाती। इसलिए पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी दौरों को इस तरह से समायोजित किया है कि पार्टी के लिए चुनौती बनी सीटें उनकी चुनावी रैली के दायरे में आ जाएं। प्रधानमंत्री ने 19 व 20 को अपने गुजरात दौरे के दौरान अपनी चुनावी सभाओं में दक्षिण गुजरात को छुआ था। अब वे 27 व 28 नवम्बर को फिर राज्य के चुनावी दौरे पर रहेंगे। वैसे तो गुजरात मे आज यानी रविवार चुनाव प्रचार का दिन है। आज पीएम मोदी के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व आप नेता अरविंद केजरीवाल का भी चुनावी दौरा होने वाला है। प्रधानमंत्री सूरत मेें भी चुनाव सभा को संबोधित करेंगे। गत दिनों गुजरात में चुनाव प्रचार के लिए गुजरात आए राहुल ने सूरत में कांग्रेस की रैली को संबोधित किया था। राहुल ने अपनी सभा में भाजपा को आदिवासियों के मसलों पर घेरा था। राहुल ने मध्य प्रदेश में अपनी भारत जोडो यात्रा के दौरान भी भाजपा पर आदिवासियों को था। दूसरी ओर
प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषणों में गुजरात के गौरव की बात करते रहे हैं। उन्होंनंे अपनी चुनाव सभा में कहा भी था कि गुजरात के बदनाम करने वालों को यहां का साथ नहीं मिलेगा। गृहमंत्री अमित शाह पुराने दिनों की असामाजिक गतिविधियों का जिक्र कर लोगों को भाजपा राज में व्यवस्था में आए सुधार को सामने रख रहे हैं। ऐसे में देखना यह है कि भाजपा आदिवासी प्रभाव वाली सीटों व कांग्रेस के मजबूत आधार वाली सीटों पर कैसे अपनी जीत सुनश्चित करती है।
दक्षिण गुजरात में की 35 सीटों में से 14 सीटें अनुसूचिज जनजाति के लिए आरक्षित हैं और इन आरक्षित सीटों में से सात सीटें उसके पास हैं। सूरत में स्थिति इसके विपरीत रही है। पिछली बार भाजपा ने जिले की 16 में से 15 सीटें हासिल की थी। सूरत में बडी संख्या में प्रवासी मतदाता हैं। इसलिए यहां के सामाजिक समीकरण शेष गुजरात से अलग तरह के हैं। आम आदमी पार्टी ने अपने प्रमुख पाटीदार चेहरों को चुनाव मैदान में उतारा है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार भाजपा को इस बार सौराष्ट में अपने बागियों के कारण भी चुनौती का सामना करना पड रहा है। अटकलें ये भी लगाई जा रही हैं कि यहां चुनाव प्रचार में खासी ताकत लगाने वाली आम आदमी पार्टी किसको नुकसान पहुंचाएगी। भाजपा या कांग्रेस में से किसको या दोनों को! राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आप की मौजूदगी से नुकसान भाजपा व कांग्रेस दोनों को हो सकता है। इसलिए भाजपा ने यहां चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक रखी है। उसके दिग्गज नेता प्रचार अभियान में जुटे हैं। वे किसी भी क्षेत्र को अछूता नहीं छोडना चाहते। पीएम मोदी की सभाएं इसकी गवाह हैं। वे एक बडे इलाके पर प्रभाव डालती हैं।