
-देवेंद्र यादव-

प्रोफेसर रतनलाल, प्रोफेसर रविकांत और इंद्रजीत सिंह का कांग्रेस में शामिल होना कोई धमाका नहीं है। इसे कांग्रेस हाई कमान के द्वारा भूल सुधार है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि हम भूल सुधार रहे हैं। उन्हीं में से एक भूल यह भी है कि, कांग्रेस लंबे समय तक सत्ता में रहकर, अपने कार्यकर्ताओं को भूल गई। सत्ता और संगठन में पीढ़ी दर पीढ़ी मलाई खाने वाले नेताओं को राजनीतिक प्रोत्साहन देती रही। इससे कांग्रेस में नेता तो अधिक हो गए और कार्यकर्ता खो गए। यही वजह रही कि कांग्रेस लंबे समय से केंद्र की सत्ता से बाहर है। कांग्रेस इससे पहले भी कई बार सत्ता से बाहर हुई है मगर यह सिलसिला लंबा नहीं चला। कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस को केंद्र की सत्ता मैं वापसी करवाई। मौजूदा वक्त में कांग्रेस लगातार तीन लोकसभा के चुनाव हार चुकी है। मैंने पहले भी सवाल किया था कि वह कार्यकर्ता और नेता कहां है, जिनकी राजनीतिक ताकत और ईमानदार मेहनत की दम पर 1980 और 2004 में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की थी। उनके परिवार के लोगों को यदि कांग्रेस खोजे तो वह आज भी मौजूद होंगे। कांग्रेस के भीतर सत्ता और संगठन पर कुंडली मारकर बैठे स्वयंभू नेताओं की लगातार उपेक्षा के कारण ऐसे लोग कुंठित हैं।
प्रोफेसर रतनलाल, प्रोफेसर रविकांत और इंद्रजीत सिंह ने कांग्रेस का दामन थामते हुए कहां था कि वह तो जन्मजात कांग्रेसी हैं। रतनलाल और रविकांत को पहली बार कांग्रेस ज्वाइन करने का अवसर मिला। देश के भीतर ऐसे कितने ही प्रोफेसर रतनलाल और रविकांत मौजूद हैं जो खानदानी कांग्रेसी हैं। मगर उन्हें कांग्रेस में शामिल होने का अवसर ही नहीं मिला या नेताओं ने उन्हें कांग्रेस में शामिल करने का प्रयास ही नहीं किया। कांग्रेस का सदस्यता अभियान, ब्लॉक जिला और प्रदेश के स्वयंभू नेताओं के घरों में बैठकर पूरा हो जाता है। ये नेता ब्लॉक जिला और प्रदेश के ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर के पदों का भी बंदर बांट कर लेते हैं। जब राहुल गांधी का भूल सुधार अभियान चल पड़ा है तो कांग्रेस को देशभर में सदस्यता अभियान भी शुरू कर देना चाहिए। इसकी जिम्मेदारी जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर पदों पर कुंडली मारकर बैठे नेताओं को देनी चाहिए जो अपने घर के कमरे में बैठकर नहीं बल्कि घर-घर जाकर सत्यापन कर कांग्रेस का सदस्य बनाएं। देशभर में करोड़ों की संख्या में कांग्रेस परिवार का कार्यकर्ता मिल जाएगा। राहुल गांधी ने कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कांग्रेस संगठन सृजन का कार्यक्रम चला रखा है। यह कार्यक्रम तब सफल होगा जब जिन्हें राहुल गांधी ने जिम्मेदारी दी है वह नेता घर-घर जाकर पहले कांग्रेस का सदस्यता अभियान चलाएं और जो सदस्य बनाए गए हैं वह सदस्य ब्लॉक जिला और प्रदेश और राष्ट्रीय नेताओं का चयन करें। कांग्रेस का संविधान भी यही कहता है। कांग्रेस के भीतर आंतरिक चुनाव हों, नियुक्तियां नहीं। आज कांग्रेस इसीलिए कमजोर है क्योंकि जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर नेता पदों कि बंदर बांट कर लेते हैं। कभी कांग्रेस के इतिहास में सुना था कि कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सचिवों और सह सचिवों की संख्या 75 रही है। जब राष्ट्रीय स्तर पर ही हाल यह है तो प्रदेश पीछे क्यों रहेंगे। प्रदेश में भी जंबो कार्यकारिणी बनाई जा रही है। इसे ही कहते हैं कांग्रेस के स्वयंभू नेताओं के द्वारा पदों की बंदर बांट करना।राहुल गांधी को इस पर भी गंभीरता से विचार करना होगा। यह समझना होगा कि जिन लोगों को राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी दी है वह इस काबिल भी है या नहीं। उनका कांग्रेस में कितना योगदान है और कितने सालों से वह पार्टी में अपनी सेवा दे रहे हैं। आज भी कांग्रेस का खानदानी कार्यकर्ता अपना सब कुछ कांग्रेस को समर्पित करने के बाद भी उपेक्षित है।
(देवेंद्र यादव, कोटा राजस्थान, मोबाइल नंबर 98296 78916)