
-देवेंद्र यादव-

क्या राहुल गांधी अपनी दादी श्रीमती इंदिरा गांधी और मां सोनिया गांधी की तरह हौसला दिखाएंगे, जिन्होंने अपने-अपने समय में कांग्रेस में बड़ी सर्जरी कर पार्टी को 1980 और 2004 में केंद्र की सत्ता में वापसी करवाई थी।
यदि कांग्रेस के इतिहास को पलट कर देखें तो, कांग्रेस ने सत्ता में वापसी तब की जब हाई कमान ने पार्टी के भीतर बड़ी सर्जरी की। याद करो श्रीमती इंदिरा गांधी का समय। इमरजेंसी में कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गज नेता कांग्रेस का साथ छोड़ गए। इंदिरा गांधी अलग-अलग पड़ गई थीं। 1977 में कांग्रेस ने केंद्र में सत्ता गंवा दी थी, मगर श्रीमती इंदिरा गांधी ने हिम्मत नहीं हारी और चंद नेताओं को साथ लेकर 1980 में केंद्र की सत्ता में वापसी की।
कमोबेश यही हालत उस समय कांग्रेस की थी जब श्रीमती सोनिया गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली थी। उस समय भारतीय जनता पार्टी के पास कांग्रेस से अधिक मजबूत नेता थे और केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी। अटल बिहारी वाजपेई का मिशन शाइनिंग इंडिया था लेकिन 2004 मैं सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने भी श्रीमती इंदिरा गांधी की तरह केंद्र की सत्ता में वापसी की। सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी जब तक श्रीमती इंदिरा गांधी और श्रीमती सोनिया गांधी की तरह कठोर और ठोस कदम नहीं उठाएंगे तब तक कांग्रेस केंद्र की सत्ता में वापसी नहीं कर पाएगी। क्योंकि यह कांग्रेस का इतिहास रहा है, राहुल गांधी यदि कांग्रेस की सत्ता में वापसी कराने के लिए गंभीर है तो उन्हें श्रीमती इंदिरा गांधी और श्रीमती सोनिया गांधी की तरह गंभीरता दिखानी होगी। इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी के दौर की बात करें तो उस समय के नेताओं का जमीर जिंदा था और कांग्रेस विचारधारा भी दिल में थी। उस समय के नेता हाई कमान के निर्णय से नाराज हुए लेकिन जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी में आज के नेताओं की तरह ना तो शामिल हुए और ना ही पार्टी के भीतर रहकर जन संघ और भारतीय जनता पार्टी की कभी मदद की। कांग्रेस को जिंदा रखने के लिए उन्होंने भी जब अपनी अलग पार्टी बनाई तो अपनी पार्टी का नाम कांग्रेस से ही शुरू किया। मौजूदा वक्त में नेताओं की कांग्रेस से बाहर निकलने की वजह यह है कि कांग्रेस जब सत्ता में थी तब वह नेता अधिक पावर में थे। उनके पास अपने पिता की राजनीतिक जमीन और दौलत थी जो उनके पिता ने कांग्रेस में रहकर ही हासिल की थी। जब कांग्रेस का बुरा वक्त आया तब वह नेता अपनी राजनीतिक जमीन और दौलत को सुरक्षित रखने के लिए सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के साथ जा मिले। राहुल गांधी को बड़ा झटका उन नेताओं ने दिया जिन नेताओं पर राहुल गांधी सबसे अधिक भरोसा करते थे। इसलिए यह कहना कि राहुल गांधी को पता नहीं है कि कांग्रेस के भीतर स्लीपर सेल कौन है यह बेमानी होगा। राहुल गांधी को सब पता है मगर जब तक टीम कांग्रेस नहीं बनाएंगे तब तक कांग्रेस का भला नहीं होगा क्योंकि ज्यादातर स्लीपर सेल इन्हीं रास्तों से कांग्रेस के भीतर प्रवेश कर रहे हैं। राहुल और प्रियंका की टीम अघोषित रूप से अपने राजनीतिक स्वार्थ को साधने के लिए कुछ नेताओं ने बना रखी है। इसके कारण कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो रहा है। यह गांधी परिवार के खिलाफ बड़ी साजिश है। यह नेता गांधी परिवार को टीम में विभाजित कर अपना राजनीतिक हित साधने में जुटे हुए हैं और गांधी परिवार को आम जनता और आम कार्यकर्ताओं से दूर कर रहे हैं। इनकी गतिविधियों के बारे में गांधी परिवार को पता ना चले इसलिए इन्होंने जनता और कार्यकर्ताओं को गांधी परिवार से मिलने से रोका और 10, जनपद के भीतर लगने वाले जनता दरबार को बंद कराया। उसकी जगह टीम सोनिया गांधी, टीम राहुल गांधी और टीम प्रियंका गांधी का निर्माण किया। गांधी परिवार की राजनीतिक और सामाजिक ताकत को इन चतुर नेताओं ने टीम बनाकर तीन हिस्सों में बांट दिया। इससे कांग्रेस को ही नहीं बल्कि गांधी परिवार को भी राजनीतिक रूप से नुकसान हुआ और हो रहा है। इसे राहुल गांधी को समझना होगा और टीम कांग्रेस बनानी होगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं)